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गुरुवार, 25 मार्च 2010

प्रतिदिन प्रतिपल

जब यीशु ने अपने शिष्यों को संसार में भेजा तो उन्हें यह प्रतिज्ञा दी कि "मैं जगत के अन्त तक सदैव तुम्हारे साथ हूँ" (मत्ती २८:२०)। जिस शब्द का अनुवाद "सदैव" हुआ है, मूल युनानी भाषा में उसका अर्थ होता है "हर एक दिन"।

यीशु ने सामजिक रीति पर बात कहने के हलके से रूप में सदैव उनके साथ रहने का उन्हें आश्वासन नहीं दिया, बल्कि "हर एक दिन" में। "हर एक दिन" की इस प्रतिज्ञा में हमारे जीवन के हर एक दिन की हर अच्छी-बुरी परिस्थिति, हर एक कार्य, दिन का हर एक उत्तरदायित्व, हर दिन में होने वाली हर एक भलाई या बुराई, सब में उसकी सह-उपस्थिति निहित है।

चाहे दिन हमारे लिये कुछ भी लेकर आये, हमारा प्रभु हमारे साथ उन सभी परिस्थितियों मे उपस्थित है, चाहे वह आनन्द का दिन हो या दुख का, बिमारी का या स्वास्थ्य का, सफलता का या असफलता का। हमारे साथ चाहे कुछ भी हो, हमारा प्रभु हमारे साथ चल रहा है, हमें सामर्थ देते, हमें प्रेम करते, हमें विश्वास, आशा और प्रेम से परिपूर्ण करते हुए। जब वह अपनी शांति और सुरक्षा से हमें ढांप देता है तो हमारे बैरी, हमारे भय, हमारे संकट और सन्देह सब पीछे हट जाते हैं। हम हर परिस्थिति का सामना निडर होकर कर सकते हैं, क्योंकि हम जानते हैं कि प्रभु हमारे साथ है, जैसे उसने पौलुस को कहा "मैं तेरे साथ हूँ" (प्रेरितों १८:१०)।

अपने व्यस्त दिन में कुछ क्षण रुककर प्रार्थना करें कि आप उस अदृश्य परमेश्वर का अनुभव और उस के दर्शन हर स्थान पर पा सकें; अपने आप से कहें, "प्रभु मेरे साथ यहां है" और अपने साथ परमेश्वर की उपस्थिति होने का अभ्यास डालें। - डेविड रोपर


जब तक यहोवा मिल सकता है तब तक उसकी खोज में रहो, जब तक वह निकट है, तब तक उसे पुकारो - यशायाह ५५:६


बाइबल पाठ: प्रेरितों १८:९-११


देखो मैं जगत के अन्त तक सदैव तुम्हारे संग हूँ। - मत्ती २८:२०


एक साल में बाइबल:
  • यहोशु १९-२१
  • लूका २:२५-५२

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