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रविवार, 4 अप्रैल 2010

कहीं अधिक

ईस्टर के सन्देश में सुनी एक बात मुझे सदा स्मरण रहती है: "प्रभु यीशु के पुनुरुत्थान द्वारा जो मिला वह उससे कहीं अधिक है जो आदम के पतन के कारण गंवाया गया।" नुकसान से अधिक लाभ? क्या यह हो सकता है?

प्रतिदिन हम अनुभव करते हैं उस नुकसान को जो संसार में पाप के आने से हुआ। लोभ, अन्याय, दुष्टता आदि सब बुराईयों का आरंभ आदम और हव्वा के पाप से है, जो उन्होंने परमेश्वर की इच्छा की जगह अपनी इच्छा पर चलने के द्वारा किया (उतपत्ति ३)। उनकी इस अनाज्ञाकारिता का परिणाम, उनके प्रत्येक वंशज को, विरासत में मिला है। यदि परमेश्वर इसका उपाय न करते तो हम बिलकुल आशारहित और बहुत ख़राब स्थिति में होते। किंतु यीशु ने क्रूस के द्वारा पाप पर और पुनुरुत्थान द्वारा मृत्यु पर विजय पाई।

मसीह की इसी विजय का उत्सव रोमियों ५ अध्याय में मनाया गया है, जिसे "कहीं अधिक" का अध्याय भी कहा जाता है। इस अध्याय में पौलुस पाप द्वारा हुए विनाश की तुलना करता है परमेश्वर के अनुग्रह की बहाल करने की सामर्थ से। अध्याय के निषकर्ष में पौलुस कहता है: "...परन्‍तु जहां पाप बहुत हुआ, वहां अनुग्रह उस से भी कहीं अधिक हुआ। कि जैसे पाप ने मृत्यु फैलाते हुए राज्य किया, वैसा ही हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा अनुग्रह भी अनन्‍त जीवन के लिये धर्मी ठहराते हुए राज्य करे" (रोमियों ५:२०, २१)।

व्यक्तिगत रूप में पाप के कारण हमने चाहे जितना भी नुकसान उठाया हो, उससे कहीं अधिक लाभ हमें मसीह के पुनुरुत्थान की विजय से मिलता है। - डेविड मैक्कैसलैन्ड


हमारा पाप बड़े हैं - परमेश्वर का अनुग्रह उन सबसे कहीं अधिक बड़ा है।


बाइबल पाठ: रोमियों ५:१२-२१


...परन्‍तु जहां पाप बहुत हुआ, वहां अनुग्रह उस से भी कहीं अधिक हुआ। - रोमियों ५:२०


एक साल में बाइबल:
  • रूत १-४
  • लूका ८:१-२५

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