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रविवार, 18 अप्रैल 2010

आगे क्या?

एक अमेरीकी टेलीविज़न धारावहिक ’द वेस्ट विंग’ में कल्पित अमेरीकी राष्ट्रपति जोसियाह बार्टलेट, कर्मचारियों के साथ होने वाली अपनी सभा का अन्त हमेशा दो शब्दों के साथ करता है - ’आगे क्या?’ यह उसका बताने का तरीका है कि चर्चा का यह विष्य अब यहां समाप्त हुआ और अब दुसरे विष्यों पर और इससे आगे की सोचना है। अमेरीकी राष्ट्रपति भवन ’व्हाईट हाउस’ के जीवन के दबाव और ज़िम्मेदारियों की मांग है कि उसे बीती बातों पर ध्यान केंद्रित रखने की बजाए उनसे आगे की ओर देखना है और आगे आने वाली बातों पर ध्यान देना है।

प्रेरित पौलुस का भी जीवन के प्रति ऐसा ही दृष्टीकोण था। वह जानता था कि वह अपने आत्मिक लक्ष्य पर अभी नहीं पहुंचा है, मसीह के जैसा होने के लिये उसे एक बहुत लंबा रास्ता तय करना है। ऐसे में वह क्या कर सकता था? या तो वह भूत कल की बातों पर, अपनी पराजयों, निराशाओं, संघर्षों और विवादों पर अपना ध्यान केंद्रित रख सकता था, या फिर उन बातों से शिक्षा लेकर आगे बढ़ सकता था।

फिलिप्पियों ३ में पौलुस बताता है कि उसने इन में से कौन सा मार्ग चुना। वह कहता है, "जो बातें पीछे रह गई हैं उनको भूलकर आगे की बातों की ओर बढ़ता हुआ निशाने की ओर दौड़ा चला जाता हूँ ताकि वह इनाम पाऊं जिसके लिये परमेश्वर ने मुझे मसीह यीशु में ऊपर बुलाया है" (पद १३, १४)।

यही वह दृष्टीकोण है जो आगे बढ़ने और फिर जो भी आगे आने वाला है उसे गले लगाने को तैयार रहता है। यदि हम अपने उद्धारकर्ता के स्वरूप में ढलकर उसके साथ अनन्तकाल को बिताना चाहते हैं तो हमें भी यही दृष्टीकोण अपनाना होगा। - बिल क्राउडर


अपनी नज़रें इनाम पर केंद्र्ति रखो।


बाइबल पाठ: फिलिप्पियों ३:७-१६


निशाने की ओर दौड़ा चला जाता हूँ ताकि वह इनाम पाऊं जिसके लिये परमेश्वर ने मुझे मसीह यीशु में ऊपर बुलाया है - फिलिप्पियों ३:१४


एक साल में बाइबल:
  • २ शमुएल ३-५
  • लूका १४:२५-३५

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