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गुरुवार, 10 जून 2010

अनन्त वसन्त का देश

दक्षिण कैरोलिना के कोलंबिया बाइबल कॉलेज के एक भूतपूर्व अधिपति श्री जे. रॉबर्टसन ने दर्शाया कि हमारे बूढे और बुढ़ापे में कमज़ोर होने में भी परमेश्वर का एक बुद्धिमतापूर्ण उद्देश्य है। उनका कहना है, "मेरा विचार है कि परमेश्वर की योजना में जवानी का बल और सुन्दरता शरीर का है और बुढ़ापे का बल और सुन्दरता आत्मा का है। हम धीरे धीरे अपने क्षणिक और नाशवान बल और सौन्दर्य को खोते जाते हैं ताकि हम अपने अविनाशी बल और सौन्दर्य की तरफ ध्यान लगा सकें। तब ही हम नाशवान को छोड़कर अपने अविनाशी घर को जाने के लिये आतुर होंगे। यदि हम सदा जवान, बलवान और सुन्दर रहेंगे तो कभी संसार छोड़कर जाना नहीं चाहेंगे।"

अपनी जवानी में जब हम अपने रिश्तों, मित्रों और कार्यों में मग्न और आनन्दित रहते हैं तो अपने स्वर्गीय घर जाने की लालसा नहीं रखते। परन्तु समय के साथ जब हम अपने आप को परिवार और मित्रों से वंचित पाते हैं, हमारा देखना और सुनना धूमिल हो जाता है, भोजन का स्वाद नहीं रहता, ठीक से नींद नहीं आती, तो हमें अपने स्वर्गीय घर की लालसा होने लगती है।

अपने आप को मैं यह सलाह देता हूँ: जीवन की ग्रीष्म ॠतु हो या पतझड़, सदा कृतज्ञ रहो क्योंकि, जैसा प्रेरित पौलुस ने लिखा है, "परमेश्वर... हमारे सुख के लिये सब कुछ बहुतायत से देता है" (१ तिमुथियुस ६:१७)। साथ ही, जब जीवन की शरद ऋतु आरंभ होती है तब आनन्दित भी रहो क्योंकि तब उम्मीद कर सकते हैं कि शीघ्र ही हम अनन्त वसन्त के देश में होंगे। - वर्नन ग्राउंड्स


स्वर्ग की प्रतिज्ञा हमारी अनन्त आशा है।


बाइबल पाठ: सभोपदेशक १२:१-७


मैं लड़कपन से लेकर बुढ़ापे तक देखता आया हूं, परन्तु न तो कभी धर्मी को त्यागा हुआ, और न उसके वंश को टुकड़े मांगते देखा है। - भजन ३७:२५


एक साल में बाइबल:
  • २ इतिहास ३४-३६
  • यूहन्ना १९:१-२२

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