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बुधवार, 25 अगस्त 2010

मित्र के लिए विलाप

एक पास्टर होने के नाते मुझे कई बार अन्त्येष्टि क्रियाओं का नेतृत्व करना पड़ता है। ऐसे में सभा का संचालक मुझे एक पोस्ट कार्ड के आकार का कार्ड पकड़ा देता है जिसमें मृतक के बारे में लिखा होता है, जिससे मैं उस व्यक्ति के बारे में जानकारी बता सकूं। चाहे यह पद्वति कितनी भी व्यावाहरिक और आवश्यक हो, मैं कभी भी इसके साथ सन्तुष्ट नहीं रहा। मुझे सदा यही लगा कि किसी के संपूर्ण जीवन को एक छोटे से कार्ड पर सीमित कर देना सही नहीं है, जीवन एक कार्ड से कहीं बड़ा है।

अपने मित्र योनातान की मृत्यु का समाचार मिलने के बाद, दाउद ने उसके जीवन को याद करने में समय बिताया, उसने अपने मित्र की याद में एक विलपगीत भी लिखा (२ शमुएल १:१७-२७) जिसे गाकर लोग उसे स्मरण कर सकें। विलापगीत में दाउद ने अपने मित्र के साहस और कौशल को स्मरण किया, अपने गहरे दुखः की बात कही, योनातान के उत्तम, मनोहर और वीरता से भरे जीवन की सराहना करी। दाउद के लिए यह यादगारी और गहरे विलाप का समय था।

जब हम किसी प्रीय के लिये दुखी होते हैं, तो यह अति आवश्यक है कि हम उसके जीवन की प्रीय यादों और उसके साथ के अपने अनुभवों को स्मरण करें। यह यादें हमारे हृदय में ख्यालों की एक बाढ़ सी ले आतीं हैं, जिन्हें एक कार्ड में सीमित कर पाना संभव नहीं है। जिस दिन यह दुखः हमारे पास आता है, वह दिन संक्षिप्त यादों और अपने प्रीय के जीवन की छोटी झांकियों को याद करने का समय नहीं है। वह समय है विस्तारपूर्वक और गहराई से अपने प्रीय जन को याद करने का और उसके जीवन के प्रसंगों, विवरण और उसके द्वारा हमारे जीवन पर पड़ी छाप के लिये परमेश्वर को धन्यवाद देने का।

ऐसा समय होता है ठहरने, मनन करने और आदर देने का। - बिल क्राउडर


जीवन की बहुमूल्य यादें मृत्यु के गंभीर दुखः को सहने योग्य बना देती हैं।

हे मेरे भाई योनातन, मैं तेरे कारण दु:खित हूँ, तू मुझे बहुत मनभाऊ जान पड़ता था - २ शमुएल १:२६


एक साल में बाइबल:
  • भजन ११९:१-८८
  • १ कुरिन्थियों ७:२०-४०

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