ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

रविवार, 7 नवंबर 2010

अनाज्ञाकरिता के बहाने

स्कूल में संगीत आयोजनों का समय था और संगीत के विद्यार्थियों ने आती सभाओं के लिये अभ्यास की तैयारी आरंभ कर दी थी। संगीत शिक्षिका ने इस विष्य में विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों को दो बार, अलग अलग समय पर स्पष्ट सूचना और संबंधित निर्देश दे दिये थे, जिनमें अभ्यास का अनिवार्य होना और अभ्यास का समय भी साफ साफ बता दिया गया था।

फिर भी अभ्यास के दिन एक बच्चे की घबराई हुई माँ ने फोन करके जानना चाहा कि अभ्यास कब होना है और उसके बच्चे को कब पहुंचना है? एक और मां ने फोन करके कहा कि "हम बच्चे को उसके दादी के पास ले जा रहे हैं, इसलिये यदि वह अभ्यास में ना आ सका तो कोई फरक तो नहीं पड़ेगा?" शिक्षिका ने उन्हें याद दिलाया कि अभ्यास अनिवार्य है और आरंभ हो चुका है, बच्चों का अभ्यास में होना आवश्यक है। उसे उत्तर मिला "किसी ने मुझे इसके बारे में पहले क्यों नहीं बताया? मुझे यह सब अपने आप कैसे पता चलता?"

जैसे अपने स्पष्ट और समय से दिये गए निर्देशों और सूचनाओं के नज़रंदाज़ किये जाने से वह शिक्षिका दुःखी और परेशान हुई, क्या परमेश्वर भी उसकी स्पष्ट आज्ञाओं को नज़रंदाज़ करने वाले हमारे रवैये से दुःखी होता है?

१ थिस्सलुनिकियों में पौलुस हमें याद दिलाता है कि परमेश्वर की ओर से उसे मिला सन्देश हमें सिखाने के लिये है कि परमेश्वर को प्रसन्न करने वाला जीवन कैसे जीएं और उसके इन सन्देशों पर प्रभु यीशु की मुहर है (१ थिस्सलुनिकियों १:१, २)। अन्य पत्री में पौलुस समझता है कि हमारी अनआज्ञाकारिता और मनमाने रवैये से परमेश्वर दुःखी होता है (इफिसियों ४:३० - ५:२)।

हम यह ठान लें कि हम परमेश्वर के वचन को ध्यान से पढ़ेंगे और उसका पालन करेंगे - बिना कोई बहाना बनाए। - डेव ब्रैनन


हमारा, परमेश्वर और उसके वचन की उपेक्षा करने को समझा सकने के लिये, कोई उचित बहना है ही नहीं।

और परमेश्वर के पवित्र आत्मा को शोकित मत करो, जिस से तुम पर छुटकारे के दिन के लिये छाप दी गई है। - इफिसियों ४:३०


बाइबल पाठ: १ थिस्सलुनिकियों ४:१-१२

निदान, हे भाइयों, हम तुम से बिनती करते हैं, और तुम्हें प्रभु यीशु में समझाते हैं, कि जैसे तुम ने हम से योग्य चाल चलना, और परमेश्वर को प्रसन्न करना सीखा है, और जैसा तुम चलते भी हो, वैसे ही और भी बढ़ते जाओ।
क्‍योंकि तुम जानते हो, कि हम ने प्रभु यीशु की ओर से तुम्हें कौन कौन सी आज्ञा पहुंचाई।
क्‍योंकि परमेश्वर की इच्‍छा यह है, कि तुम पवित्र बनो: अर्थात व्यभिचार से बचे रहो।
और तुम में से हर एक पवित्रता और आदर के साथ अपने पात्र को प्राप्‍त करना जाने।
और यह काम अभिलाषा से नहीं, और न उन जातियों की नाईं, जो परमेश्वर को नहीं जानतीं।
कि इस बात में कोई अपने भाई को न ठगे, और न उस पर दांव चलाए, क्‍योंकि प्रभु इन सब बातों का पलटा लेने वाला है; जैसा कि हम ने पहिले तुम से कहा, और चिताया भी था।
क्‍योंकि परमेश्वर ने हमें अशुद्ध होने के लिये नहीं, परन्‍तु पवित्र होने के लिये बुलाया है।
इस कारण जो तुच्‍छ जानता है, वह मनुष्य को नहीं, परन्‍तु परमेश्वर को तुच्‍छ जानता है, जो अपना पवित्र आत्मा तुम्हें देता है।
किन्‍तु भाईचारे की प्रीति के विषय में यह अवश्य नहीं, कि मैं तुम्हारे पास कुछ लिखूं, क्‍योंकि आपस में प्रेम रखना तुम ने आप ही परमेश्वर से सीखा है।
और सारे मकिदुनिया के सब भाइयों के साथ ऐसा करते भी हो, पर हे भाइयों, हम तुम्हें समझाते हैं, कि और भी बढ़ते जाओ।
और जैसी हम ने तुम्हें आज्ञा दी, वैसे ही चुपचाप रहने और अपना अपना काम काज करने, और अपने अपने हाथों से कमाने का प्रयत्‍न करो।
कि बाहर वालों के साथ सभ्यता से बर्ताव करो, और तुम्हें किसी वस्‍तु की घटी न हो।

एक साल में बाइबल:
  • यर्मियाह ४०-४२
  • इब्रानियों ४

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें