ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

मंगलवार, 16 नवंबर 2010

सही प्राथमिकताएं

मध्यपूर्व एशिया और योरप के बीच स्थित ’एशिया माइनर’ के नाम से जाने जानेवाले भूभाग का एक शहर था लौदीकिया। इस शहर की एक समस्या थी - वहां का पानी। लौदीकिया के निकट का एक शहर अपने गर्म पानी के सोतों के लिये मशहूर था, और दूसरा अपने ठंडे, स्वच्छ और मीठे पानी का लिये जाना जाता था। परन्तु इन दोनो के बीच में स्थित लौदीकिया, न गर्म न ठंडे वरन गुनगुने और खनीज़ों तथा लवणों से भरे बदमज़ा पानी से त्रस्त था।
जब इस पृष्टभूमि के संदर्भ में हम प्रभु यीशु द्वारा प्रकाशितवाक्य ३ अध्याय में लौदीकिया की मण्डली को दी गई चेतावनी को पढ़ते हैं, तो समझ सकते हैं कि प्रभु के वचन उन्हें कैसे तलख़ लगे होंगे। प्रभु ने उस मण्डली के लोगों को न गर्म और न ठंडा होने के लिये डांटा (प्रकाशितवाक्य ३:१५) और कहा कि उनके ऐसे व्यवहार के कारण, उनके बदमज़ा पानी के समान, वह अपने मूँह से उन्हें उगल देना चाहता है (प्रकाशितवाक्य ३:१६)।

उनकी समस्या क्या थी कि प्रभु को उन्हें ऐसा कहना पड़ा? समस्या थी उनका प्रभु से अधिक अपनी संपति पर निर्भर होना परन्तु फिर भी पाखंड में अपने आप को ’प्रभु की मण्डली’ कहना। लौदीकिया के लोग सांसारिक धन संपदा से ऐसे भर गए थे कि उन्हें अपनी आत्मिक कंगाली का बोध ही नहीं रहा गया था (प्रकाशितवाक्य ३:१७)। अपनी धन दौलत की लालसा में वे भूल गए कि प्रभु अपनी मण्डली से सांसारिक नहीं आत्मिक संपन्नता चाहता है, ऐश्वर्य का घमण्ड नहीं धार्मिकता की दीनता चाहता है, और पाखंड से उसे नफरत है। उनकी प्राथमिकताएं बिगड़ गईं थीं, जिन्हें ठीक करना अति आवश्यक था, ताकि वे इस बहकावे में बने रहकर विनाश में न चले जाएं।

प्रभु ने उन्हें सम्मति दी कि वे उससे अपनी आत्मिक कंगाली दूर करने के सभी साधन ले लें; प्रभु द्वारा उन्हें दी गई ताड़ना, उनके प्रति उसके प्रेम का चिन्हः थी (प्रकाशितवाक्य ३:१८, १९)। उसकी यह चेतावनी केवल उस समय की लौदीकिया की मण्डली के लिये ही नहीं थी, यह आज भी उतनी ही संगत है।

यदि आप प्रभु यीशु के अनुयायी होने का दावा करते हैं, किंतु आपकी प्राथमिकता प्रभु की आज्ञाकारिता नहीं वरन संसार की उपलब्धियां और संपदा हैं और आप अपनी स्वार्थसिद्धी को प्रभु के नाम में न्यायसंगत ठहराना चाहते हैं, तो चेत जाईये। इससे पहिले कि प्रभु के न्याय का आप को सामना करना पड़े, प्रभु आपको अवसर दे रहा है। उसका कहना है "मैं जिन जिन से प्रीति रखता हूं, उन सब को उलाहना और ताड़ना देता हूं, इसलिये सरगर्म हो, और मन फिरा देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूं, यदि कोई मेरा शब्‍द सुन कर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूंगा, और वह मेरे साथ।" (प्रकाशितवाक्य ३:१९, २०)।

अभी अवसर है, मन फिराईये, प्रभु को अपने जीवन में आमंत्रित कीजिये और उसकी आशीशों से अपने जीवन को भर लीजिए। - जो स्टोवैल


यदि परमेश्वर हमारा दाता है तो हमें किसी वस्तु की घटी नहीं होगी।

...मैं तेरे कामों को जानता हूं कि तू न तो ठंडा है और न गर्म: भला होता कि तू ठंडा या गर्म होता। - प्रकाशितवाक्य ३:१५


बाइबल पाठ: प्रकाशितवाक्य ३:१४-२२

और लौदीकिया की कलीसिया के दूत को यह लिख, कि, जो आमीन, और विश्वासयोग्य, और सच्‍चा गवाह है, और परमेश्वर की सृष्‍टि का मूल कारण है, वह यह कहता है।
कि मैं तेरे कामों को जानता हूं कि तू न तो ठंडा है और न गर्म: भला होता कि तू ठंडा या गर्म होता।
सो इसलिये कि तू गुनगुना है, और न ठंडा है और न गर्म, मैं तुझे अपने मुंह से उगलने पर हूं।
तू जो कहता है, कि मैं धनी हूं, और धनवान हो गया हूं, और मुझे किसी वस्‍तु की घटी नहीं, और यह नहीं जानता, कि तू अभागा और तुच्‍छ और कंगाल और अन्‍धा, और नंगा है।
इसी लिये मैं तुझे सम्मति देता हूं, कि आग में ताया हुआ सोना मुझ से मोल ले, कि धनी हो जाए, और श्वेत वस्‍त्र ले ले कि पहिन कर तुझे अपने नंगेपन की लज्ज़ा न हो, और अपनी आंखों में लगाने के लिये सुर्मा ले, कि तू देखने लगे।
मैं जिन जिन से प्रीति रखता हूं, उन सब को उलाहना और ताड़ना देता हूं, इसलिये सरगर्म हो, और मन फिरा।
देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूं, यदि कोई मेरा शब्‍द सुन कर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूंगा, और वह मेरे साथ।
जो जय पाए, मैं उसे अपने साथ अपने सिंहासन पर बैठाऊंगा, जैसा मैं भी जय पाकर अपने पिता के साथ उसके सिंहासन पर बैठ गया।
जिस के कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्‍या कहता है।

एक साल में बाइबल:
  • यहेजेकेल ३, ४
  • इब्रानियों ११:२०-४०

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें