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शुक्रवार, 24 दिसंबर 2010

परमेश्वर का विशेष स्थान

एक युवती, ग्रेस डिटमैनसन ऐडम्स, अपने मिशनरी माता-पिता के साथ, १९२० के दशक के अंतिम वर्षों में, चीन के अन्दरूनी इलाकों में यात्राएं किया करती थी। बाद में उसने अपनी इन यात्राओं और रात ठहरने के लिये भीड़-भाड़ वाले स्थानों के अनुभवों के बारे में लिखा। गांवों की उन सरायों में लोग भरे होते थे, कोई खांसता होता था, कोई छींकता तो कई धुम्रपान करते रहते; नन्हे शिशु रोते रहते और बच्चे खिसियाते होते थे। ऐसे स्थानों में उनका परिवार सभी लोगों के साथ किसी बड़े से कमरे में उन्हें जहां जगह मिलती वहां अपना बिस्तर लकड़ी के तखतों पर बिछाकर रात काट लेता था।

एक बरफीली रात वे एक सराय में पहुंचे तो मालुम पड़ा कि वो बिल्कुल ठसाठस भरी हुई है। सराय के मालिक ने पहले तो उन्हें जगह देने में अपनी असमर्थता बताई, फिर थोड़ा ठहरकर उसने उनसे कहा "मेरे पीछे आईये।" वह उन्हें साथ के एक कमरे में ले गया जो खेती के सामान और भूसे को रखने का गोदाम था। उस रात उनका परिवार भीड़ के शोर और परेशानी से दूर, शान्ति के साथ अपने विशेष स्थान में आराम से सोया।

इसके बाद जब भी ग्रेस प्रभु यीशु के जन्म के बारे में पढ़ती थी कि यीशु की माता मरियम "...अपना पहिलौठा पुत्र जनी और उसे कपड़े में लपेट कर चरनी में रखा: क्‍योंकि उन के लिये सराय में जगह न थी" (लूका २:७), तो उसका दृष्टिकोण इस घटना के बारे में अन्य लोगों से भिन्न होता था। प्रभु के जन्म की इस घटना को लेकर बहुत से लोग सराय के स्वामी को प्रभु यीशु को तिरिस्कृत करने वाले निष्ठुर और पापी संसार के प्रतीक के रूप में देखते हैं, लेकिन अब ग्रेस ने समझा कि परमेश्वर ने उस सराय के स्वामी को प्रभु यीशु के लिये भीड़ से अलग, एकान्त में विशेष जन्म स्थान उपलब्ध कराने के लिये प्रयोग किया।

विश्वास की आंखों से हम मरियम के लिये परमेश्वर के विशेष स्थान के प्रबंध को देख सकते हैं। यदि आप अपनी कठिनाइयों और परिस्थितियों में अपने को लाचार पाते हैं, तो स्मरण रखिये कि आपको सकुशल रखने के लिये भी परमेश्वर के पास कोई विशेष स्थान है। - डेविड मैककैसलैंड


जो परमेश्वर को जीवन की आपूर्ति करने देते हैं वे संतुष्ट और सुखी रहते हैं।

और वह अपना पहिलौठा पुत्र जनी और उसे कपड़े में लपेट कर चरनी में रखा: क्‍योंकि उन के लिये सराय में जगह न थी। - लूका २:७


बाइबल पाठ: लूका २:१-७

उन दिनों में औगूस्‍तुस कैसर की ओर से आज्ञा निकली, कि सारे जगत के लोगों के नाम लिखे जाएं।
यह पहली नाम लिखाई उस समय हुई, जब क्‍विरिनयुस सूरिया का हाकिम था।
और सब लोग नाम लिखवाने के लिये अपने अपने नगर को गए।
सो यूसुफ भी इसलिये कि वह दाऊद के घराने और वंश का था, गलील के नासरत नगर से यहूदिया में दाऊद के नगर बैतलहम को गया।
कि अपनी मंगेतर मरियम के साथ जो गर्भवती थी नाम लिखवाए।
उस के वहां रहते हुए उसके जनने के दिन पूरे हुए।
और वह अपना पहिलौठा पुत्र जनी और उसे कपड़े में लपेट कर चरनी में रखा: क्‍योंकि उन के लिये सराय में जगह न थी।

एक साल में बाइबल:
  • हबकुक १-३
  • प्रकाशितवाक्य १५

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