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गुरुवार, 7 जनवरी 2010

बेगुनाह इन्सान

बाइबल पाठ: उत्पत्ति १८: २२- २३ क्या सारी पृथ्वी का न्यायी न्याय न करे? - उत्पत्ति १८:२५

जॉन ग्रिशम अपने न्यायालयों से संभंधित उपन्यासों के लिये प्रसिद्ध हैं - वकीलों और अपराधियों पर आधारित तेज़ी से आगे बढ़ती कहानियाँ। लेकिन उनका एक उपन्यास "बेकसूर इन्सान" (The Innocent Man), कालपनिक नहीं है। यह उपन्यास अन्याय की एक सच्ची घटना पर आधारित है। कथानक में एक युवती की नृशंस हत्या होती है और दो आदमी, जो बेकसुर थे, पकड़े जाते हैं और उन्हें दोषी करार देकर मृत्यु दण्ड सुनाया जाता है। डी.एन.ए. जाँच पद्वति विकिसित होने के बाद, १७ साल तक अन्याय सहने के उप्रान्त, इस पद्वति द्वारा उन्हें बेकसुर प्रमाणित किया जाता है और मृत्यु दण्ड से छुड़ाया जाता है; अन्तः न्याय की जीत होती है।

हर आदमी न्याय कि चाह रखता है किंतु हमें स्मरण रखना चाहिये कि हमारी मान्वीय कमज़ोरियाँ खरा न्याय दिलवाने में चुनौती साबित होतीं हैं। हमारे मन में उत्पन्न बदला लेने के विचार, सच्चा न्याय दिलवाने के प्रयास के लिये घातक हो सकते हैं।

यह याद रखना अच्छा होगा कि सच्चा और खरा न्याय केवल परमेश्वर से ही मिल सकता है। अब्रहाम ने इस बात को प्रश्नात्मक रुप में कहा "क्या सारी पृथ्वी का न्ययी न्याय न करेगा?" (उत्पत्ति १८:२५)। इसका एक ही संभव उत्तर है - हाँ। लेकिन इस से भी बढ़कर, उसका न्यायालय ही एकमात्र स्थान है जहाँ, हम निश्चित रूप से कह सकते हैं कि, केवल न्याय ही की जीत होगी।

इस अन्याय से भरे संसार में, अपने साथ होने वाले अन्यायों को हम संसार के उस न्यायी को सौंप दें, और उसपर उसके अंतिम खरे न्याय के लिये भरोसा रखें। - Bill Crowder

The best of Judges on this earth
Aren't always right or fair;
But God, the righteous Judge of all,
Wrongs no one in His care. - Egner
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जीवन सदा सच्चा नहीं होता, लेकिन परमेश्वर सदा विश्वासयोग्य रहता है।
एक साल में बाइबल:
  • उत्पत्ति १८ - १९
  • मत्ती ६:१ -१८