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शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2010

सर्दी का उत्सव

मुझे मेरे चार ॠतुओं के देश में रहना बहुत प्रीय है। सर्दीयों में बरफ पड़ते समय आग के आस पास आराम से बैठकर एक अच्छी पुस्तक पढ़ना मुझे पसंद है। परन्तु फरवरी आते आते तक सर्दी के प्रति मेरा प्रेम कम होने लगता है और मेरा मन मौसम बदलने के लिये व्याकुल होने लगता है।

तो भी सर्दी के दिनों की एक बड़ी विशेष बात है - क्रिसमस। क्रिसमस बीतने और उसकी सजावाट को हटाने के बाद भी उसकी वास्तविकता और खुशी, हर परिस्थिति में मेरे मन में उत्साह भरती है।

यीशु मसीह के जन्म की वास्तविकता के अभाव में, केवल सर्दी ही नीरस और फीकी नहीं होती, परन्तु हमारे हृदय भी धूमिल और आशा रहित होते, हमारे अपराध और उसके दण्ड से छुटकारा पाने की आशा भी नहीं होती, हमारे कठिनाई के दिनों में मसीह की स्फूर्तिदायक और आश्वस्त करने वाली उपस्थिति नहीं होती, स्वर्ग में एक सुरक्षित भविष्य की आशा भी नहीं होती।

दुखी जीवन की सर्दी में भजनकर्ता ने पूछा, "हे प्राण तू क्यों निराश और बोझिल है?" वह उसे दूर करने का उपाय देता है, "परमेश्वर पर आशा लगाए रख" (भजन ४२:५)।

सी.एस.लूईस द्वारा लिखित नारनिया की कथाओं में श्रीमान तुमनुस शिकायत करता है कि नारनिया में "हमेशा सर्दी रहती है, लेकिन कभी क्रिस्मस नहीं।" परन्तु हम ॠतुओं के सृष्टीकरता परमेश्वर को जानते हैं, इसलिये हमारे दिलों मे सदा क्रिसमस रहता है। - Joe Stowell


क्रिसमस की वास्तविकता द्वारा जीवन की सर्दी को भगा दे।


हे मेरे प्राण, तू क्यों गिरा जाता है?....परमेश्वर पर आशा लगाये रह; क्योंकि मैं उसके दर्शन से उद्धार पाकर फिर उसका धन्यावाद करूंगा। - भजन ४२:५


बाइबल पाठ: भजन ४२


एक साल में बाइबल:
  • लैव्यवस्था २५
  • मरकुस १:२३-४५