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रविवार, 7 मार्च 2010

परमेश्वर का प्रेम और हमारा

फ्रैंकलिन ग्राहम को अब पछतावा है कि वह एक उग्र और उद्‍दंड स्वभाव वाला युवक हुआ करता था। एक दिन अपने पिता से पैसे मांगने वह अपनी मोटर साईकिल पर सवार धड़धड़ाते हुए उनके घर पहुँचा। बढ़ी हुई दाढ़ी और चमड़े के कपड़े पहिने, रास्ते की धूल से भरा वह अपने पिता के कमरे में बिना खटखटाए ही घुस गया, वहाँ बिली ग्राहम की कार्यकारी समिती की सभा चल रही थी।

बिना हिचके बिली ग्राहम ने उसे पुत्र होने का आदर दिया और समिती के हर सदस्य से उसका परिचय गर्व से कराया। बिली ने बिना किसी लज्जा या अपराध-बोध प्रकट किये, अपने बेटे का स्वागत किया। बेटे के आचरण के लिये किसी से क्षमा भी नहीं मांगी। फ्रैंकलिन ने बाद में अपनी आत्मकथा "रैबैल विद अ कौज़" में लिखा कि उस दिन उसके पिता ने जो प्रेम और आदर उसे दिया, उसका प्रभाव सारे जीवन भर उसके साथ रहा, उसके उद्‍दंडता के दिनों में भी।

हमारे बच्चों को हमारा प्रेम कमाना नहीं है। अपनी स्वार्थ सिद्धी के लिये उन्हें उस प्रेम से वंचित रखना परमेश्वर का नहीं, शैतान का कार्य है। परमेश्वर का प्रेम हमारे लिये असीम है, हमारी कोई भलाई हमें उसे पाने के ’योग्य’ नहीं बनाती और हमने उसे ’कमाने’ के लिये कुछ नहीं किया है। "जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा" (रोमियों ५:८)। अपने सब संबंधों में, विषेषकर अपने बच्चों के साथ संबंध में हमें उसी तरह के प्रेम को दर्शाना है।

परमेश्वर से हमें निर्देश हैं कि हमें अपने बच्चों तथा सब लोगों से प्रेम और आदर का व्यवहार करना है। यह हमें स्मरण दिलाता है कि हमारी कैसी पापमय स्थिति थी जब मसीह ने हमसे प्रेम किया और हमारे लिये अपनी जान दी। - Dave Egner


परमेश्वर का प्रेम उड़ाउ पुत्रों को बहुमूल्य संतों में बदल देता है।


बाइबल पाठ: रोमियों ५:१-११


जब हम पापी ही थे, तभी मसीह हमारे लिये मरा। - रोमियों ५:८


एक साल में बाइबल:
  • व्यवस्थाविवरण ३,४
  • मरकुस १०:३२-५२