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शुक्रवार, 12 मार्च 2010

अधूरा

जब मैं छोटी लड़की थी, तब मेरे माँ-बाप ने अपना पहला मकान खरीदा। एक दोपहर को परिवार के सब लोग कार में बैठकर उस मकान को देखने गये।

मकान की दशा देखकर मुझे विश्वास ही नहीं हुआ; उस घर में न खिड़कियाँ थी और न दरवाज़े, वहाँ एक अजीब दुर्गन्ध भी थी, फर्श की बड़ी दरारों में से नीचे का तहखाना दिखाई पड़ता था। तहखाने में पहुँचने के लिये लकड़ी की एक कच्ची सीढ़ी थी।

उस रात मैंने अपनी माँ से पूछा कि वह ऐसे घर क्यों में रहना चाहती थी? माँ ने समझाया कि मकान बनाने वाले ने अभी मकान पूरा नहीं किया है, काम चल रहा है, कुछ इंतिज़ार करो, जब वह पूरा हो जाएगा तब तुम्हें अवश्य पसन्द आएगा।

फिर हमने उस मकान में कई परिवर्तन होते देखे। खिड़कियाँ और दरवाज़े बने और लगे, नई लकड़ी की दुर्गन्ध गायब हुई, फर्श की दरारें पाट दी गईं, तहखाने तक जाने के लिये अच्छी पक्की सीढ़ीयाँ बनी, दीवारों पर रंग की पुताई हुई। माँ ने खिड़कियों पर परदे और दीवारों पर तस्वीरें टांगीं। उस मकान के बनने में समय लगा, परन्तु वह अधूरा मकान अब पूरा होने के बाद, सुंदर लग रहा था।

हम मसीही भी ऐसे ही धीरे धीरे बढ़ कर परिपक्व होते हैं। हमारे मन परिवर्तन के समय हममें नये जीवन की नींव पड़ती है, परन्तु हमारे पूर्ण्ता की ओर बढ़ने की प्रक्रिया जीवन भर चलती रहती है। जैसे जैसे हम अपने "विश्वासकर्ता और सिद्ध करने वाले" (इब्रानियों १२:२) यीशु मसीह का अनुसरण करते और उसकी आज्ञाओं को मानते हैं, हम भी सिद्धता की ओर बढ़ते हैं और एक दिन उसके समान सिद्ध होंगे। - सिंडी हैस कैस्पर


धीरज रखिये, परमेश्वर का मुझे बनाना अभी पूरा नहीं हुआ है।


बाइबल पाठ: फिलिप्पियों १:३-११


जिसने तुममें अच्छा काम आरंभ किया है, वही उसे यीशु मसीह के दिन तक पूरा करेगा। - फिलिप्पियों १:६


एक साल में बाइबल:
  • व्यवस्थाविवरण १७-१९
  • मरकुस १३:१-२०