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शनिवार, 27 मार्च 2010

मैं निर्दोष हूँ

फ्लोरिडा के एक स्कूल के सभी २५५० छात्रों को मुसीबत झेलनी पड़ी। स्कूल के सन्देश देने की प्रणाली द्वारा सभी छात्रों के अभिभावकों को सूचना भेजी गई कि अशिष्ट व्यवाहार करने की सज़ा भुगतने के लिये उस सप्ताहान्त उन्के बच्चे स्कूल में ही रोके जायेंगे। अधिकांश बच्चों ने अपने निर्दोष होने की दुहाई अपने अभिभावकों को दी, लेकिन फिर भी कुछ अभिभावकों ने अपने बच्चों को सज़ा भुगतने को सप्ताहान्त पर स्कूल भेजा। एक माँ, एमी ने यह स्वीकार किया कि अपने बेटे को सज़ा भुगतने को भेजने के लिये उसे काफी ज़ोर से डांटना भी पड़ा।

बाद में २५३४ छात्रों पर से एक बड़ा बोझ उतरा जब मालूम पड़ा कि वह सूचना केवल १६ छात्रों के लिये थी, किंतु स्वचलित सन्देश प्रणाली में हुई गलती के कारण सन्देश पूरे स्कूल के सभी छात्रों के लिये चला गया। अपने बच्चों पर विश्वास न करने के कारण कई अभिभावकों को शर्मिंदा होना पड़ा। एमी को भी बहुत बुरा लगा कि उसने अपने बेटे की बात नहीं मानी और उसपर विश्वास नहीं किया। प्रायश्चित के लिये वह उसे बाहर भोजन कराने ले गई।

हम सबके पास ऐसे अनुभव होंगे जिनमें हमने सीखा होगा कि हमें बोलने से पहले ध्यान से सुन लेना चाहिये। हम स्वाभाविक रूप से तुरन्त निर्णय लेते हैं और क्रोध भरी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं। याकूब की पत्री हमें जीवन की तनावपूर्ण परिस्थितियों का सामना करने के लिये तीन व्यावाहरिक बातें सिखाती है: "हर एक मनुष्य सुनने के लिये तत्पर, बोलने में धीरा और क्रोध में धीमा हो" (याकूब १:१९)।

जीवन के तनावों में, हम "वचन पर चलने वाले" (पद २२) बनें। आज, हम सुनने वाले और अपने शब्दों तथा क्रोध पर नियंत्रण रखने वाले बनें। - ऐनि सेटास


पहले सुनो, फिर समझो उसके बाद ही प्रेम सहित प्रतिक्रिया करो।


बाइबल पाठ: याकूब १:१९-२४


वचन पर चलने वाले बनो। - याकूब १:२२


एक साल में बाइबल:
  • यहोशु १-३
  • लूका ४:१-३०