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गुरुवार, 8 अप्रैल 2010

सेवक - मित्र

डॉन टैक बेघर और बेआसरा लोगों के जीवन के बारे में गहराई से जानना चाहता था। इसके लिये उसने अपनी पहचान छुपाकर अपने शहर की सड़कों पर रहना शुरू किया। उसने जाना कि बहुत सी संस्थाएं हैं जो ऐसे लोगों को खाना और रहने का स्थान देती हैं। एक ऐसे रैन-बसेरे में रात बिताने से पहले उसे एक प्रचार में एक संदेश सुनने को कहा गया। उसे वहां निमंत्रित वक्ता का सन्देश अच्छा लगा और उसने सन्देश के बाद उस वक्ता से बात करनी चाही। किंतु जब डॉन ने उस वक्ता से मिलने, हाथ मिलाने और बात करने का प्रयत्न किया तो वह वक्ता उसे ऐसे अन्देखा करता हुआ चला गया, जैसे डॉन वहां हो ही नहीं।

डॉन ने जाना कि उसके इलाके में हो रही बेघर लोगों की सेवकाई में ऐसे लोगों की कमी थी जो संबन्ध बनाने को तैयार हों। इस के समाधान के लिये उसने स्वयं अपनी संस्था आरंभ की "सेवक - मित्र" जिसका उद्देश्य मित्रता द्वारा सहायता करना है।

डॉन का अनुभव, पौलुस प्रेरित के प्रचार को सुनने और उसकी सेवाकाई का अनुभव करने वालों से विपरीत था। पौलुस सुसमाचार के साथ में अपने आप को भी बांटता था। थिस्सलुनीकियों को लिखी अपनी पत्री में पौलुस ने इस बात का ज़िक्र किया; उसने कहा "परन्‍तु जिस तरह माता अपने बालकों का पालन-पोषण करती है, वैसे ही हम ने भी तुम्हारे बीच में रहकर कोमलता दिखाई है। और वैसे ही हम तुम्हारी लालसा करते हुए, न केवल परमेश्वर का सुसमाचार, पर अपना अपना प्राण भी तुम्हें देने को तैयार थे, इसलिये कि तुम हमारे प्यारे हो गए थे। " ( १ थिस्सलुनीकियों २:७, ८)।

परमेश्वर के प्रति अपनी सेवकाई में क्या हम केवल अपने शब्द और पैसा ही देते हैं या अपना समय और मित्रता भी देते हैं? - ऐनि सेटास


हमारी मसीह से समानता का एक नाप दुसरों के कष्ट के प्रति हमारी सहृयता है।


बाइबल पाठ: १ थिस्सलुनीकियों २:१-८


परन्‍तु जिस तरह माता अपने बालकों का पालन-पोषण करती है, वैसे ही हम ने भी तुम्हारे बीच में रहकर कोमलता दिखाई है। - १ थिस्सलुनीकियों २:७


एक साल में बाइबल:
  • १ शमुएल १० - १२
  • लूका ९:३७ - ६२