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शनिवार, 1 मई 2010

नैतिक मार्गदर्षक

एक प्रसिद्ध सन्स्थान - मैसाचूस्टस इंस्टिट्यूट ऑफ टैकनौलजी में काम करने वाले अर्थशास्त्र के प्राध्यापक डैन आरली ने मानवीय व्यवहार पर कुछ परिक्षण किये। उसने उन परिक्षणों में भाग लेने वालों को अलग अलग समूहों में बांट दिया। एक परिक्षण में, भाग लेने वाले समूह के लोगों को एक परीक्षा लेनी थी जिसमें प्रत्येक सही उत्तर देने के लिये उन्हें कुछ पैसे मिलने थे। आरली ने परीक्षा को कुछ इस तरह आयोजित किया कि भाग लेने वालों को लगे कि बेईमानी करके परीक्षा पास करना आसान है। परीक्षार्थी यह नहीं जानते थे कि आरली उनके ज्ञान की नहीं वरन नैतिकता की जांच कर रहा है।

परिक्षा के पूर्व आरली ने एक समूह के लोगों से कहा कि बाइबल में दी गई परमेश्वर की ’दस आज्ञाओं’ में से जितनी भी उन्हें याद हों वे लिख दें, उसके बाद परीक्षा में भाग लें। आरली को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि ’दस आज्ञाएं’ लिखने वाले समूह में से किसी ने भी परीक्षा में बेईमानी नहीं की, लेकिन बाकी समूहों में से हर एक समूह में कुछ लोग ऐसे अवश्य थे जिन्होंने बेईमानी की। परीक्षा से पूर्व, एक नैतिक स्तर को याद करने ने ही उस समूह के लोगों में यह फर्क उत्पन्न किया।

सदियों पहले भजनकार ने एक नैतिक स्तर को जीवन में रखने के महत्त्व को समझा और उस स्तर का पलन करने के लिये परमेश्वरीय सामर्थ की सहायता की प्रार्थना करी। उसने परमेश्वर से कहा, "मेरे पैरों को अपने वचन के मार्ग पर स्थिर कर, और किसी अनर्थ बात को मुझ पर प्रभुता न करने दे....मैं तेरे उपदेशों को मानूंगा" (भजन ११९:१३३-१३५)।

आरली का बेईमानी का परीक्षण इस बात का प्रमाण है कि हमें नैतिक मार्ग दर्शन की आवश्यक्ता है। परमेश्वर ने अपना वचन हमारे पैरों के लिये लिये दीपक और मार्ग के लिये उजियाले के रूप में दिया है (पद १०५) ताकि हम जीवन की परीक्षाओं के समय, सही और नैतिक विकल्प का चुनाव कर सकें। - डैनिस फिशर


कुतुबनुमा (compass) के समान बाइबल हमें सदा सही राह दिखाती है।


बाइबल पाठ: भजन ११९:१२९ - १३६


मेरे पैरों को अपने वचन के मार्ग पर स्थिर कर, और किसी अनर्थ बात को मुझ पर प्रभुता न करने दे। - भजन ११९:१३३


एक साल में बाइबल: १ राजा १०, ११ लूका २१:१०-३८