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शनिवार, 24 जुलाई 2010

कथनी और करनी

प्रचारक ने मज़ाकिया लहज़े में अपनी बात लोगों के सामने रखी; उसने कहा "मेरी पत्नी बहुत अतर्कसंगत है। वह वाकई उम्मीद रखती है कि मैं अपने प्रचार के अनुरूप जीवन भी व्यतीत करूं!" दुसरों को सही-गलत का प्रचार करना कितना आसान है परन्तु उसे अपने पर लागू करना कितना कठिन।

जब मैं और मेरा बेटा गोल्फ खेलते हैं तो मैं उसे बताता हूं कि कैसे गेंद को ठीक से मारना है जिससे वह सही दिशा और जगह पर जाए। परन्तु उन्हीं बातों को अपने खेल पर लागू करने की मेरी क्षमता बहुत कम है। खिलाड़ियों के बारे में कही जाने वाली बात कि "वे बातें तो बहुत करते हैं पर उन बातों जैसा खेलते नहीं" इसी पर आधारित है। किसी खेल को अच्छी तरह खेलने के बारे में कोई भी बता सकता है, किंतु उसे वैसा खेल कर दिखाना कहीं अधिक कठिन होता है।

ऐसी ही बात प्रभु यीशु मसीह का अनुयायी होने का दावा करने वालों पर भी लागू होती है। हमें उस विश्वास की केवल बात नहीं करनी है, वरन उसे अपने प्रतिदिन के जीवन में जी कर दिखाना है। इसीलिये, अपने जवान शिष्य तिमुथियुस को प्रचार करने की शिक्षा देने के बाद, पौलुस ने उसे यह भी स्मरण दिलाया कि "कोई तेरी जवानी को तुच्‍छ न समझने पाए; पर वचन, और चाल चलन, और प्रेम, और विश्वास, और पवित्रता में विश्वासियों के लिये आदर्श बन जा...उन बातों को सोचता रह, ताकि तेरी उन्नति सब पर प्रगट हो। अपनी और अपने उपदेश की चौकसी रख" (१ तिमुथियुस ४:१२, १५)।

हम मसीह के अनुयायीयों को इस बात की छूट नहीं है कि हम केवल अच्छी बातें बोलने वाले हों; वरन हमें ऐसे जीवन जीने हैं जो मसीह पर किये गये हमारे विश्वास का खरा उदाहरण हों, अनुकर्णीय हों। हमारी कथनी और करनी में कोई अन्तर नहीं होना चाहिये। - बिल क्राउडर


जब हमारी करनी हमारी कथनी के अनुरूप होती है तब ही वह परमेश्वर को भाती है।


बाइबल पाठ: १ तिमुथियुस ४:६-१६
यदि तू भाइयों को इन बातों की सुधि दिलाता रहेगा, तो मसीह यीशु का अच्‍छा सेवक ठहरेगा: और विश्वास और उस अच्‍छे उपदेश की बातों से, जो तू मानता आया है, तेरा पालन-पोषण होता रहेगा।
पर अशुद्ध और बूढिय़ों की सी कहानियों से अलग रह, और भक्ति के लिये अपना साधन कर।
क्‍योंकि देह की साधना से कम लाभ होता है, पर भक्ति सब बातों के लिये लाभदायक है, क्‍योंकि इस समय के और आने वाले जीवन की भी प्रतिज्ञा इसी के लिये है।
और यह बात सच और हर प्रकार से मानने के योग्य है।
क्‍योंकि हम परिश्र्म और यत्‍न इसी लिये करते हैं, कि हमारी आशा उस जीवते परमेश्वर पर है जो सब मनुष्यों का, और निज करके विश्वासियों का उद्धारकर्ता है।
इन बातों की आज्ञा कर, और सिखाता रह।
कोई तेरी जवानी को तुच्‍छ न समझने पाए; पर वचन, और चाल चलन, और प्रेम, और विश्वास, और पवित्रता में विश्वासियों के लिये आदर्श बन जा।
जब तक मैं न आऊं, तब तक पढ़ने और उपदेश और सिखाने में लौलीन रह।
उस वरदान से जो तुझ में है, और भविष्यद्वाणी के द्वारा प्राचीनों के हाथ रखते समय तुझे मिला था, निश्‍चिन्‍त न रह।
उन बातों को सोचता रह, ताकि तेरी उन्नति सब पर प्रगट हो। अपनी और अपने उपदेश की चौकसी रख।
इन बातों पर स्थिर रह, क्‍योंकि यदि ऐसा करता रहेगा, तो तू अपने, और अपने सुनने वालों के लिये भी उद्धार का कारण होगा।।
एक साल में बाइबल:
  • भजन ३५, ३६
  • प्रेरितों के काम २५