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रविवार, 1 अगस्त 2010

परमेश्वर की जीवनी

मान लीजिये कि आप एक बहुत प्रसिद्ध व्यक्ति हैं; इसलिये लोग आपके बारे में सब प्रकार की बातें जानना चाहेंगे। अब सोचिये कि आप मुझ से सम्पर्क करते हैं और पुछते हैं कि क्या मैं आपकी जीवनी लिखना पसन्द करूंगा? मान लीजिये कि मैं इस के लिये तैयार हो जाता हूँ। अब मैं आपके बारे में सब जनकारी जमा करने का प्रयास करुंगा। जैसे पतंगा रौशनी के चारों ओर मंडराता रहता है, मैं भी आपसे संबंधित हर प्रकार की जनकारी पाने के लिये आपके चारों ओर मंडराता रहूंगा। मैं आपसे अनेक प्रशन पूछुंगा। आपसे आपके संबंधियों, मित्रों और जानकारों की सूचि मांगुंगा और फिर उनसे संपर्क करूंगा जिससे अपके बारे में और जानकारी पा सकूं। फिर मैं आपसे कहुंगा कि आप के जीवन से संबंधित जो भी दस्तावेज़, तस्वीरें या अन्य कुछ भी हों, सब मुझे उप्लब्ध करा दें कि मैं उनका अध्ययन कर सकूं।

किसी को भी जानने के लिये तीन बातों की तरफ ध्यान देना अनिवार्य होता है, और मैं उन तीनों बातों पर ध्यान दूंगा। वे तीन बातें हैं - आप अपने बारे में क्या कहते हैं; लोग आपके बारे में क्या कहते हैं और आपने क्या उल्लेखनीय कार्य किये हैं। अब यही बात, ऐसे ही, परमेश्वर के संबंध में जनकारी पाने पर भी लागू होती है - परमेश्वर अपने बारे में क्या कहता है, दूसरे उसके बारे में क्या कहते हैं और उसने क्या कुछ किया है?

परमेश्वर को एक नये और अनोखे तरीके से जानने के लिये, इन तीनों बातों का प्रयोग कीजिये। बाइबल में पढ़िये कि परमेश्वर अपने बारे में क्या कहता है (निर्गमन ३४:६, ७; लैव्यवस्था १९:२; यर्मियाह ३२:२७)। फिर देखिये कि बाइबल के लेखक उसके बारे में और उसके अदभुत गुणों के बारे में क्या कहते हैं (भजन १९:१-४; रोमियों १:१६-२०; १ युहन्ना ४:८-१०)। और अन्त में देखिये कि परमेश्वर ने कैसे अदभुत कार्य किये हैं (उत्पत्ति १:१; निर्गमन १४:१०-३१; युहन्ना ३:१६)।

परमेश्वर को जानिये, उसकी जीवनी के लेखक बनिये। ऐसा करने से आप उसके बारे में इतना सीखेंगे जितना आप ने कभी संभव नहीं समझा होगा। - डेव ब्रैनन


जिस परमेश्वर ने इस सृष्टि को रचा है, वह चाहता है कि आप उसे जाने।

क्‍योंकि उसके अनदेखे गुण, अर्थात उस की सनातन सामर्थ, और परमेश्वरत्‍व जगत की सृष्‍टि के समय से उसके कामों के द्वारा देखने में आते हैं... - रोमियों १:२०

बाइबल पाठ: रोमियों १:१६-२०
क्‍योंकि मैं सुसमाचार से नहीं लजाता, इसलिये कि वह हर एक विश्वास करने वाले के लिये, पहिले तो यहूदी, फिर यूनानी के लिये उद्धार के निमित्त परमेश्वर की सामर्थ है।
क्‍योंकि उस में परमेश्वर की धामिर्कता विश्वास से और विश्वास के लिये प्रगट होती है: जैसा लिखा है, कि विश्वास से धर्मी जन जीवित रहेगा।।
परमेश्वर का क्रोध तो उन लोगों की सब अभक्ति और अधर्म पर स्‍वर्ग से प्रगट होता है, जो सत्य को अधर्म से दबाए रखते हैं।
इसलिये कि परमश्‍ेवर के विषय में ज्ञान उन के मनों में प्रगट है, क्‍योंकि परमेश्वर ने उन पर प्रगट किया है।
क्‍योंकि उसके अनदेखे गुण, अर्थात उस की सनातन सामर्थ, और परमेश्वरत्‍व जगत की सृष्‍टि के समय से उसके कामों के द्वारा देखने में आते है, यहां तक कि वे निरूत्तर हैं।

एक साल में बाइबल:
  • भजन ५७-५९
  • रोमियों ४