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शनिवार, 14 अगस्त 2010

सबसे घातक रोग

वियतनाम में सन २००३ में एक घातक शवास रोग SARS (Severe Acute Respiratory Syndrome) का पता लगा। जब तक कि इसे नियंत्रित किया जा पाता, यह सारे विश्व में फैल चुक था और ८०० के लगभग लोगों की जान ले चुका था। आरंभ में इसके घातक होने का प्रमुख कारण इसे उत्पन्न करने वाले वायरस का पता ना होना था। एक बार उस वायरस को पहचान कर और उसे समझ लिया गया, तो SARS पर काबू पाना आसान हो गया और काबू पा लिया गया।

एक अन्य, इससे भी घातक, बीमारी हमारे संसार में व्याप्त है - पाप का रोग। इसे भी काबू करना आसान नहीं है क्योंकि बहुत से लोग इसकी भयानकता को नहीं पहचानते, और कई इसके विष्य में बाइबल द्वारा दिये निदान और उपचार को नहीं मानते।

यहोशु ७ में हम अकान के पाप की दुखद घटना पढ़ते हैं। परमेश्वर की आज्ञा के विरुद्ध उसने यरीहो से युद्ध की लूट की कुछ वस्तुएं ले कर, अपने डेरे में छिपा दीं (पद २१). उसे और उसके परिवार को इसकी कीमत अपनी जान दे कर चुकानी पड़ी (पद २५)।

परमेश्वर द्वारा दिया गया यह घोर दंड हमें सहमा सकता है। धन्यावाद की बात है कि परमेश्वर हमसे ऐसा व्यवहार नहीं करता, यदि उसने ऐसा किया होता तो हम में से कोई भी जीवित नहीं बचता। तौभी हमें पाप की भयानक घातकता को हलका करके नहीं आंकना चाहिये - हमारे पाप के कारण ही मसीह यीशु को क्रूस पर बलि होना पड़ा।

जैसे SARS को काबू करने के लिये, वैसे ही पाप को काबू करने के लिये भी, पहली आवश्यक्ता है उसकी वास्तविक्ता और कारण को पहिचानना और फिर उसके सही उपचार का पालन करना। परमेश्वर से, पाप के प्रतिफल मृत्यु के स्थान पर मसीह यीशु में अनन्त जीवन के दान को कृतज्ञता से स्वीकार करें। फिर "...अपने उन अंगो को मार डालो, जो पृथ्वी पर हैं, अर्थात व्यभिचार, अशुद्धता, दुष्‍कामना, बुरी लालसा और लोभ को जो मूर्ति पूजा के बराबर है। इन ही के कारण परमेश्वर का प्रकोप आज्ञा न मानने वालों पर पड़ता है" (कुलुसियों ३:५,६)। यही तरीका है संसार के सबसे घातक रोग को काबू करने का। - सी. पी. हिया


पाप एक ऐसा रोग है जिसका उपचार केवल सृष्टि का सबसे बड़ा चिकित्सक - परमेश्वर ही कर सकता है।

परन्तु वह [यीशु] हमारे ही अपराधों के कारण घायल किया गया, वह हमारे अधर्म के कामों के हेतु कुचला गया, हमारी ही शान्ति के लिये उस पर ताड़ना पड़ी कि उसके कोड़े खाने से हम चंगे हो जाएं। - याशायाह ५३:५

बाइबल पाठ: यहोशु ७:१, १९-२६
परन्तु इस्राएलियों ने अर्पण की वस्तु के विषय में विश्वासघात किया, अर्थात्‌ यहूदा के गोत्र का आकान, जो जेरहवंशी जब्दी का पोता और कर्म्मी का पुत्र था, उस ने अर्पण की वस्तुओं में से कुछ ले लिया, इस कारण यहोवा का कोप इस्राएलियों पर भड़क उठा।
तब यहोशू आकान से कहने लगा, हे मेरे बेटे, इस्राएल के परमेश्वर यहोवा का आदर कर, और उसके आगे अंगीकार कर, और जो कुछ तू ने किया है वह मुझ को बता दे, और मुझ से कुछ मत छिपा।
और आकान ने यहोशू को उत्तर दिया, कि सचमुच मैं ने इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के विरूद्ध पाप किया है, और इस प्रकार मैं ने किया है,
कि जब मुझे लूट में शिनार देश का एक सुन्दर ओढ़ना, और दो सौ शेकेल चांदी, और पचास शेकेल सोने की एक ईट देख पड़ी, तब मैं ने उनका लालच करके उन्हें रख लिया, वे मेरे डेरे के भीतर भूमि में गड़े हैं, और सब के नीचे चांदी है।
तब यहोशू ने दूत भेजे, और वे उस डेरे में दौड़े गए और क्या देखा, कि वे वस्तुएं उसके डेरे में गड़ी हैं, और सब के नीचे चांदी है।
उन को उन्हों ने डेरे में से निकाल कर यहोशू और सब इस्राएलियों के पास लाकर यहोवा के साम्हने रख दिया।
तब सब इस्राएलियों समेत यहोशू जेरहवंशी आकान को, और उस चांदी और ओढ़ने और सोने की ईंट को, और उसके बेटे-बेटियों को, और उसके बैलों, गदहों और भेड़-बकरियों को, और उसके डेरे को, निदान जो कुछ उसका था उन सब को आकोर नाम तराई में ले गया।
तब यहोशू ने उस से कहा, तू ने हमें क्यों कष्ट दिया है? आज के दिन यहोवा तुझी को कष्ट देगा। तब सब इस्राएलियों ने उसको पत्थरवाह किया, और उनको आग में डालकर जलाया, और उनके ऊपर पत्थर डाल दिए।
और उन्होंने उसके ऊपर पत्थरों का बड़ा ढेर लगा दिया जो आज तक बना है। तब यहोवा का भड़का हुआ कोप शान्त हो गया। इस कारण उस स्थान का नाम आज तक आकोर तराई पड़ा है।

एक साल में बाइबल:
  • भजन ८९, ९०
  • रोमियों १४