ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

सोमवार, 23 अगस्त 2010

दाउद के समान

एक वृद्धा को अपने पास्टर का प्रति रविवार की प्रातः प्रार्थना करने का तरीका अच्छा नहीं लगता था, सो उसने जाकर यह बात उनसे कही। वृद्धा ने पास्टर से कहा कि, "मेरा पास्टर पाप कर सकता है, मैं ऐसा सोचना भी नहीं चाहती"। जब सन्देश देने से पहले पास्टर प्रार्थना में परमेश्वर के आगे यह अंगीकार और पश्चाताप करता कि बीते सप्ताह में उससे पाप हुआ है, इससे उसे परेशानी होती थी।

हम यह मानना चाहते हैं कि हमारे आत्मिक अगुवे पाप नहीं करते, परन्तु वास्तविकता यही है कि कोइ भी मसीही शरीर के पापी स्वभाव के बोझ से मुक्त नहीं है। पौलुस ने कुलुस्सियों के विश्वासियों से कहा "इसलिये अपने उन अंगो को मार डालो, जो पृथ्वी पर [के] हैं..."(कुलुस्सियों ३:५)। समस्या तब होती है जब हम ऐसा करने की अपेक्षा प्रलोभनों के आगे झुक जाते हैं और फिर पाप द्वारा परेशनियों में पड़ जाते है। यदि ऐसा हो तो हमें अपने आप को विवश और असहाय समझकर निराश नहीं हो जाना चाहिये। परमेश्वर ने आत्मिक अवस्था की पुनः प्राप्ति के लिये उपाय दिया है, परमेश्वर के वचन में हमारे पास अनुसरण करने के लिये एक उदाहरण है - राजा दाउद का।

राजा दाउद के पाप प्रलोभनओं के आगे घुटने टेकने से उत्पन्न दुशपरिणामों का उदाहरण हैं। ऐसी अव्स्था में पड़कर, जब दाउद ने परमेश्वर के सन्मुख अपने पाप को स्वीकार किया, तो उसके मन और कलम से जो निकला वह भजन ५१ में हमारे लिये एक नमूना है। भजन ५१ को ध्यान से पढ़िये और देखिये कि दाउद ने क्या किया - सबसे पहले वह परमेश्वर के चरणों पर गिर पड़ा, उससे अपने पाप का अंगीकार किया, क्षमा याचना करी और परमेश्वर के खरे न्याय पर विश्वास व्यक्त किया (पद १-६)। फिर उसने परमेश्वर द्वारा, जो क्षमा करके उसके पापों का लेखा मिटा सकता है, शुद्ध और स्वच्छ किये जाने का आग्रह किया (पद ७-९)। फिर अपने साथ पवित्र आत्मा की सहायता के बने रहने और अपने बहाल होने के लिये प्रार्थना करी (पद १०-१२)।

क्या पाप ने आपके आनन्द को छीन लिया है और परमेश्वर से आपकी संगति में बाधक हो गया है? तो दाउद के समान, आप भी अपनी समस्या के साथ परमेश्वर की शरण में जाएं। - डेव ब्रैनन


पश्चाताप, परमेश्वर के साथ हमारे चलने के लिये मार्ग को साफ करता है।

मैं तो अपने अपराधों को जानता हूं... - भजन ५१:३


बाइबल पाठ: भजन ५१:१-१२

हे परमेश्वर, अपनी करूणा के अनुसार मुझ पर अनुग्रह कर, अपनी बड़ी दया के अनुसार मेरे अपराधों को मिटा दे।
मुझे भलीं भांति धोकर मेरा अधर्म दूर कर, और मेरा पाप छुड़ा कर मुझे शुद्ध कर!
मैं तो अपने अपराधों को जानता हूं, और मेरा पाप निरन्तर मेरी दृष्टि में रहता है।
मैं ने केवल तेरे ही विरूद्ध पाप किया, और जो तेरी दृष्टि में बुरा है, वही किया है, ताकि तू बोलने में धर्मी और न्याय करने में निष्कलंक ठहरे।
देख, मैं अधर्म के साथ उत्पन्न हुआ, और पाप के साथ अपनी माता के गर्भ में पड़ा।
देख, तू हृदय की सच्चाई से प्रसन्न होता है, और मेरे मन ही में ज्ञान सिखाएगा।
जूफा से मुझे शुद्ध कर, तो मैं पवित्र हो जाऊंगा, मुझे धो, और मैं हिम से भी अधिक श्वेत बनूंगा।
मुझे हर्ष और आनन्द की बातें सुना, जिस से जो हडि्डयां तू ने तोड़ डाली हैं वह मगन हो जाएं।
अपना मुख मेरे पापों की ओर से फेर ले, और मेरे सारे अधर्म के कामों को मिटा डाल।
हे परमेश्वर, मेरे अन्दर शुद्ध मन उत्पन्न कर, और मेरे भीतर स्थिर आत्मा नये सिरे से उत्पन्न कर।
मुझे अपने साम्हने से निकाल न दे, और अपने पवित्र आत्मा को मुझ से अलग न कर।
अपने किए हुए उद्धार का हर्ष मुझे फिर से दे, और उदार आत्मा देकर मुझे सम्भाल।

एक साल में बाइबल:
  • भजन ११३-११५
  • १ कुरिन्थियों ६