ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

शुक्रवार, 28 जनवरी 2011

ब्लोफिश जैसी पृवर्ती

एक समुद्री मछली - ब्लोफिश, मछुआरों के लिये कोई उपयोगिता नहीं रखती। ब्लोफिश का मुँह तो बड़ा सा होता है लेकिन शरीर जीर्ण चमड़े जैसा दिखने वाला और झुर्रीदार होता है। जब इस उलटा करके उसे ज़रा सा गुदगुदाओ तो वह अपने अन्दर हवा भर कर गेंद की तरह बड़ा सा गोलाकार स्वरूप ले लेती है।

कुछ लोग भी ऐसे ही हो सकते हैं - अपनी बघारने के लिये बड़ा मुँह किंतु अनाकर्षक जीवन। उनकी ज़रा सी प्रशंसा कीजिये, थोड़ा सा उनके अहम को गुदगुदाइये और वे फूल कर कुप्पा हो जाते हैं, घमंड से भर जाते हैं। वे फूली हुई ब्लोफिश के समान ही होते हैं - केवल दिखने में बड़े परन्तु अन्दर से केवल हवा। उनमें कुछ भी सार्थक नहीं होता।

यह व्याधि और भी कई रूप ले लेती है जिनके परिणाम बहुत गंभीर होते हैं। उदाहरण स्वरूप उन मसीही लोगों को देखिये जिन्हें पौलुस प्रेरित ने १ कुरिन्थियों ५ अध्याय में संबोधित किया - वे व्यभिचार से समझौता करे बैठे थे। अपने मध्य में विद्यमान ऐसे पाप पर दुखी होने कि बजाए, वे उसपर घमंड कर रहे थे (१ कुरिन्थियों ५:२)। यह उनकी आत्मिक अपरिपक्क्वता और उनमें विद्यमान शारीरिकता के लक्षण थे - उन बातों के लिये गर्व करना जिनके लिये दुखी होना चाहिये।

परमेश्वर चाहता है कि हम मसीह में बने रहें न कि घमंड में। परमेश्वर की सन्तान का व्यवहार लगातार वैसा होना चाहिये जैसा पौलुस ने फिलिप्पियों को लिखा था। उसने कहा "विरोध या झूठी बड़ाई के लिये कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्‍छा समझो।" (फिलिप्पियों २:३)

यदि हम इस बात को गंभीरता से लेंगे और मानेंगे तो हमारे जीवनों में ब्लोफिश जैसी पृवर्ती नहीं होगी। - पौल वैन गौर्डर


हम अपना आकार जितना छोटा करेंगे, अपना काम करने के लिये परमेश्वर को उतना स्थान अधिक मिलेगा।

विरोध या झूठी बड़ाई के लिये कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्‍छा समझो। - फिलिप्पियों २:३


बाइबल पाठ: फिलिप्पियों २:१-८

सो यदि मसीह में कुछ शान्‍ति और प्रेम से ढाढ़स और आत्मा की सहभागिता, और कुछ करूणा और दया है।
तो मेरा यह आनन्‍द पूरा करो कि एक मन रहो और एक ही प्रेम, एक ही चित्त, और एक ही मनसा रखो।
विरोध या झूठी बड़ाई के लिये कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्‍छा समझो।
हर एक अपनी ही हित की नहीं, बरन दूसरों के हित की भी चिन्‍ता करे।
जैसा मसीह यीशु का स्‍वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्‍वभाव हो।
जिस ने परमेश्वर के स्‍वरूप में होकर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्‍तु न समझा।
वरन अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्‍वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया।
और मनुष्य के रूप में प्रगट होकर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली।

एक साल में बाइबल:
  • निर्गमन १९-२०
  • मत्ती १८:२१-३५

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें