ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

मंगलवार, 15 मार्च 2011

काठ में अभिव्यक्ति

एक बढ़ई एक अन्धे भूमिहर को अपनी कारीगरी के सिद्धांतों को समझाने की कोशिश कर रहा था। बढ़ई ने कहा कि कलाकार अपने आप को रंगों के द्वारा अपने आप को अभिव्यक्त करते हैं, लेखक शब्दों द्वारा और शिल्पकार पत्थर पर काम करके, मैं अपने आप को काठ पर अपनी कारीगरी के द्वारा ही सबसे बेहतर तरह अभिव्यक्त कर सकता हूँ। भूमीधर ने अद्भुत आत्मिक अन्तःदृष्टि से कहा, "काठ द्वारा? श्रीमान क्या आप जानते हैं कि सारे संसार में मनुष्य की महानत्म अभिव्यक्ति काठ में ही हुई है?" बढ़ई ने भूमिहर से बड़े अचरज से पूछा, "कैसे?" भूमिहर ने उत्तर दिया, "यीशु मसीह के क्रूस द्वारा।"

जब प्रभु यीशु इस पृथ्वी पर रहने के लिये आए तो अपने स्वर्गीय पिता के वचनानुसार आए। जो कुछ भी उन्होंने कहा या किया वह सब परमेश्वर पिता की आज्ञा के अनुसार था, इसलिये उनका जीवन और शिक्षाएं मनुष्य जाति के प्रति परमेश्वर के प्रेम भरे हृदय की सच्ची अभिव्यक्ति हैं। परन्तु प्रभु यीशु ने मनुष्य जाति के लिये परमेश्वर के प्रेम की अनन्त योजना की अभिव्यक्ति किसी महान शिक्षा के प्रचार या किसी बड़े आश्चर्यकर्म द्वारा नहीं करी, वरन उन्होंने परमेश्वर के प्रेम का सबसे प्रभावशाली प्रगटिकरण क्रूस पर स्वेच्छा से अपने बलिदान द्वारा किया।

क्रूस पर प्रभु यीशु का बलिदान परमेश्वर के प्रेम की महानत्म अभिव्यक्ति था। यह बलिदान, यह मृत्यु सहना, यह अनन्त प्रेम की अभिव्यक्ति मेरे और आपके लिये थी। जिसने इस काठ पर करी गई प्रेम की महानतम अभिव्यक्ति के मर्म को समझ लिया और स्वीकार कर लिया, वह अनन्त उद्धार पा गया। - डेव एगनर


मसीह ने हमारे पाप के दोष को अपने ऊपर ले लिया और हमें अपने अनुग्रह तथा आशीश की भेंट दे दी।

यहूदी तो चिन्‍ह चाहते हैं, और यूनानी ज्ञान की खोज में हैं। परन्‍तु हम तो उस क्रूस पर चढ़ाए हुए मसीह का प्रचार करते हैं जो यहूदियों के निकट ठोकर का कारण, और अन्यजातियों के निकट मूर्खता है। परन्‍तु जो बुलाए हुए हैं क्‍या यहूदी, क्‍या यूनानी, उन के निकट मसीह परमेश्वर की सामर्थ, और परमेश्वर का ज्ञान है। - १ कुरिन्थियों १:२२-२४


बाइबल पाठ: १ कुरिन्थियों १:१८-२५

1Co 1:18 क्‍योंकि क्रूस की कथा नाश होने वालों के निकट मूर्खता है, परन्‍तु हम उद्धार पाने वालों के निकट परमेश्वर की सामर्थ है।
1Co 1:19 क्‍योंकि लिखा है, कि मैं ज्ञानवानों के ज्ञान को नाश करूंगा, और समझदारों की समझ को तुच्‍छ कर दूंगा।
1Co 1:20 कहां रहा ज्ञानवान? कहां रहा शास्त्री? कहां इस संसार का विवादी? क्‍या परमेश्वर ने संसार के ज्ञान को मूर्खता नहीं ठहराया?
1Co 1:21 क्‍योंकि जब परमेश्वर के ज्ञान के अनुसार संसार ने ज्ञान से परमेश्वर को न जाना तो परमेश्वर को यह अच्‍छा लगा, कि इस प्रकार की मूर्खता के द्वारा विश्वास करने वालों को उद्धार दे।
1Co 1:22 यहूदी तो चिन्‍ह चाहते हैं, और यूनानी ज्ञान की खोज में हैं।
1Co 1:23 परन्‍तु हम तो उस क्रूस पर चढ़ाए हुए मसीह का प्रचार करते हैं जो यहूदियों के निकट ठोकर का कारण, और अन्यजातियों के निकट मूर्खता है।
1Co 1:24 परन्‍तु जो बुलाए हुए हैं क्‍या यहूदी, क्‍या यूनानी, उन के निकट मसीह परमेश्वर की सामर्थ, और परमेश्वर का ज्ञान है।
1Co 1:25 क्‍योंकि परमेश्वर की मूर्खता मनुष्यों के ज्ञान से ज्ञानवान है; और परमेश्वर की निर्बलता मनुष्यों के बल से बहुत बलवान है।

एक साल में बाइबल:
  • व्यवस्थाविवरण २६-२७
  • मरकुस १४:२७-५३

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें