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मंगलवार, 29 मार्च 2011

प्रयास नहीं, केवल विश्वास द्वारा

सुसमाचार प्रचारक जॉर्ज नीडहैम एक प्रसिद्ध और अमीर व्यक्ति से मिलने गए। उस व्यस्त व्यक्ति से नीडहैम ने केवल एक प्रश्न किया, "क्या आपका उद्धार हो गया है?" अमीर व्यक्ति ने उत्तर दिया, "नहीं, परन्तु मैं मसीही बनने का प्रयत्न कर रहा हूँ।" नीडहैम ने पूछा, "कितने समय से आप यह प्रयास कर रहे हैं?" उस व्यक्ति ने उत्तर दिया, "१२ वर्ष से।" सुसमाचार प्रचारक नीडहैम बोले, "मुझे यह कहने की अनुमति दें कि आप बहुत बेवकूफ रहे हैं। इतने वर्ष प्रयास कर के भी आप सफल नहीं हो सके; यदि मैं आपके स्थान पर होता तो मैं प्रयास नहीं विश्वास करता।"

उस शाम को नीडहैम को अचंभा हुआ कि वह व्यक्ति उस चर्च में आया जहाँ नीडहैम प्रचार कर रहा था। उसके चेहरे पर ऐसा शान्ति और आनन्द झलक रहा था जो नीडहैम ने उससे दिन के समय की मुलाकात में नहीं देखा था। सभा के बाद उस व्यक्ति ने नीडहैम से कहा, "मैं वाकई में मूर्ख था, और अपने जीवन के १२ बहुमूल्य वर्ष व्यर्थ प्रयास में गवाँ दिये, जबकि उद्धार मुझे साधारण विश्वास से मिल सकता था।"

बाइबल हमें उद्धार पाने के लिए कुछ काम करने, या प्रयास करने के लिए नहीं कहती। प्रेरित पौलुस ने कहा, "परन्‍तु जो काम नहीं करता वरन भक्तिहीन के धर्मी ठहराने वाले पर विश्वास करता है, उसका विश्वास उसके लिये धामिर्कता गिना जाता है।" (रोमियों ४:५)

अनन्त जीवन पाने का केवल एक ही मार्ग है, प्रयास करना छोड़कर मसीह यीशु पर विश्वास करना आरंभ कर दीजिए। - पौल वैन गोर्डर


उद्धार प्रयास से नहीं, विश्वास से है; उसके लिए कुछ करना नहीं, किए हुए पर विश्वास करना है।

...जो प्यासा हो, वह आए और जो कोई चाहे वह जीवन का जल सेंतमेंत ले। - प्रकाशितवाक्य २२:१७

बाइबल पाठ: रोमियों ४:१-८

Rom 4:1 सो हम क्‍या कहें, कि हमारे शारीरिक पिता इब्राहीम को क्‍या प्राप्‍त हुआ?
Rom 4:2 क्‍योंकि यदि इब्राहीम कामों से धर्मी ठहराया जाता, तो उसे घमण्‍ड करने की जगह होती, परन्‍तु परमेश्वर के निकट नहीं।
Rom 4:3 पवित्र शास्‍त्र क्‍या कहता है? यह कि इब्राहीम ने परमेश्वर पर विश्वास किया, और यह उसके लिये धामिर्कता गिना गया।
Rom 4:4 काम करने वाले की मजदूरी देना दान नहीं, परन्‍तु हक समझा जाता है।
Rom 4:5 परन्‍तु जो काम नहीं करता वरन भक्तिहीन के धर्मी ठहराने वाले पर विश्वास करता है, उसका विश्वास उसके लिये धामिर्कता गिना जाता है।
Rom 4:6 जिसे परमेश्वर बिना कर्मों के धर्मी ठहराता है, उसे दाउद भी धन्य कहता है।
Rom 4:7 कि धन्य वे हैं, जिन के अधर्म क्षमा हुए, और जिन के पाप ढ़ांपे गए।
Rom 4:8 धन्य है वह मनुष्य जिसे परमेश्वर पापी न ठहराए।

एक साल में बाइबल:
  • न्यायियों ७-८
  • लूका ५:१-१६

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