ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

बुधवार, 20 अप्रैल 2011

केवल यीशु द्वारा

यदि कोई मनुष्य जो तैरना न जानता हो और गहरे पानी में गिर पड़े तथा सहायता के लिए पुकारे तो आप क्या करेंगे? क्या आप उसकी ओर एक पुस्तक फेंकेंगे जो तैरने के पाठ सरलता से सिखाती हो? क्या आप उसे प्रोत्साहित करने के लिए कोई प्रवचन सुनाएंगे? क्या आप भी पानी में कूदकर उसे कहेंगे कि मेरा अनुसरण करो, जैसा मैं कर रहा हूँ, वैसा ही करते रहो और मैं तुम्हें तैरना सिखा दूँगा? इनमें से कोई भी कार्य उस डूबते हुए मनुष्य को नहीं बचा पाएंगे। उस डूबते हुए मनुष्य को किसी पुस्तक की शिक्षाओं की या किसी उत्साहवर्धक प्रवचन की या तैरना सीखने के उपायों की आवश्यक्ता नहीं है। उसे एक बचाने वाला चाहिए, कोई ऐसा जो जहाँ और जिस स्थिति में वह है वहीं से हाथ बढ़ाकर उसे पकड़ ले और उन जानलेवा परिस्थितियों से खींच ले तथा सुरक्षित बाहर निकाल लाए।

हमारी पाप के दलदल में धंसी ज़िंदगी को भी ऐसे ही बचाने वाले की आवश्यक्ता है। बाइबल बताती है कि "सबने पाप किया" (रोमियों ३:२३), और "पाप की मज़दूरी मृत्यु है" (रोमियों ६:२३)। इस संसार में जन्म लेने वाला प्रत्येक व्यक्ति पाप से ग्रसित है और विनाश की ओर अग्रसर है। हम अपने आप को धर्म पुस्तकों के ज्ञान द्वारा, अथवा और बेहतर धार्मिकता के कार्य करके या किसी अन्य मनुष्य का अनुसरण करके बचा नहीं सकते क्योंकि इनमें से कोई भी मार्ग पाप का नाश नहीं कर सकता। हमारी एकमात्र आशा मसीह यीशु ही है जिसने पाप के डंक को तोड़कर पाप के दलदल में फंसी मनुष्य जाति को बाहर निकालने के लिए अपने बड़े अनुग्रह में पापियों की ओर अपने हाथ बढ़ाए हैं, कि वह उन्हें खींच कर बाहर निकाल ले।

बाइबल बताती है कि, "क्‍योंकि मनुष्य का पुत्र खोए हुओं को ढूंढ़ने और उन का उद्धार करने आया है" (लूका १९:१०)। वह उन सबका उद्धार करता है जो उसपर विश्वास करते हैं। जैसे डूबते हुए को अपने बचाने वाले के हाथों में अपने आप को विश्वास के साथ सौंप देना होता है, हम पापियों को भी पाप से निकलने के लिए अपने आप को विश्वास के साथ प्रभु यीशु के हाथों में सौंप देना है। - रिचर्ड डी हॉन


मसीह में विश्वास का अर्थ है उद्धार।

यह बात सच और हर प्रकार से मानने के योग्य है, कि मसीह यीशु पापियों का उद्धार करने के लिये जगत में आया... - १ तिमुथियुस १:१५


बाइबल पाठ: रोमियों ५:१-१०

Rom 5:1 सो जब हम विश्वास से धर्मी ठहरे, तो अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर के साथ मेल रखें।
Rom 5:2 जिस के द्वारा विश्वास के कारण उस अनुग्रह तक, जिस में हम बने हैं, हमारी पहुंच भी हुई, और परमेश्वर की महिमा की आशा पर घमण्‍ड करें।
Rom 5:3 केवल यही नहीं, बरन हम क्‍लेशों में भी घमण्‍ड करें, यही जान कर कि क्‍लेश से धीरज,
Rom 5:4 ओर धीरज से खरा निकलना, और खरे निकलने से आशा उत्‍पन्न होती है।
Rom 5:5 और आशा से लज्ज़ा नहीं होती, क्‍योंकि पवित्र आत्मा जो हमें दिया गया है उसके द्वारा परमेश्वर का प्रेम हमारे मन में डाला गया है।
Rom 5:6 क्‍योंकि जब हम निर्बल ही थे, तो मसीह ठीक समय पर भक्तिहीनों के लिये मरा।
Rom 5:7 किसी धर्मी जन के लिये कोई मरे, यह तो र्दुलभ है, परन्‍तु क्‍या जाने किसी भले मनुष्य के लिये कोई मरने का भी हियाव करे।
Rom 5:8 परन्‍तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा।
Rom 5:9 सो जब कि हम, अब उसके लोहु के कारण धर्मी ठहरे, तो उसके द्वारा क्रोध से क्‍यों न बचेंगे?
Rom 5:10 क्‍योंकि बैरी होने की दशा में तो उसके पुत्र की मृत्यु के द्वारा हमारा मेल परमेश्वर के साथ हुआ फिर मेल हो जाने पर उसके जीवन के कारण हम उद्धार क्‍यों न पाएंगे?

एक साल में बाइबल:
  • २ शमूएल ९-११
  • लूका १५:११-३२

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें