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सोमवार, 14 मार्च 2011

"रेड क्रौस" का निशान

अपनी पुस्तक The Great Boer War, जो दक्षिणी अफ्रीका में हुए योरपीय सेनाओं के युद्ध का वृतांत है, सर आरथर कौनन डोयल ने एक घटना दर्ज की: अंग्रेज़ी सैनिकों की एक छोटी टुकड़ी अचानक ही विरोधियों की एक बड़ी सेना के हमले में फंस गई और भयानक गोली बारी ने उन्हें बुरी तरह ज़ख्मी कर के पीछे खदेड़ दिया। उनके घायल सैनिक बड़ी खतरनाक स्थिति में थे और उनकी रक्षा केवल रेड क्रौस के झंडे के संरक्षण में आने से ही होनी संभव थी। उनके पास सफेद कपड़ा तो था लेकिन उस पर रेड क्रौस का निशान बनाने के लिये लाल रंग नहीं था; उन्होंने अपने ज़ख्मों से बहते खून से उस कपड़े पर लाल क्रौस का निशान बना कर वह झण्डा ऊंचा किया। उनके आक्रमणकारियों ने जब वह रेड क्रौस का झण्डा देखा तो अपना हमला रोक दिया और बचाव दल आकर उन्हें सुरक्षित निकाल कर ले गया।

कलवरी के ल्रूस पर बहे मसीह यीशु के लहू के आगे हमारा शत्रु शैतान भी निरुपाय है और हमारा कुछ बिगाड़ नहीं सकता। मसीह का लहु उस महान त्याग का प्रतीक है जिसके कारण हम अपने पाप के दोष और उसके अनन्त मृत्यु के दण्ड की पकड़ से छूट सके। वह हमारे विरुद्ध शैतान के सभी दोषारोपणों से मिलने वाला सिद्ध संरक्षण है और हमारे पापों की क्षमा और पाप की प्रवृति पर विजय का प्रमाण है। इसी कारण हम मसीह के क्रूस में गर्व करते हैं।

यीशु मसीह को अपना निज उद्धारकर्ता स्वीकार करने के बाद कलवरी के क्रूस पर दिये गए उसके महान बलिदान की महिमा सदा हमारे जीवनों से होनी चाहिये। जो मसीह ने हमारे लिये किया उसके लिये प्रातः ही से हमें उसका आभारी होना चाहिये, सारे दिन उसके संरक्षण में रहना चाहिये और रात को उसपर विश्वास से विश्राम करना चाहिये।

मसीह के लहु से रंगे उस क्रूस के बलिदान ही से हमें पापों की क्षमा और उनके दण्ड से छुटकारा मिला है। - डेनिस डी हॉन


कलवरी शैतान को मिली हार का स्थान है।

जिस से हमें छुटकारा अर्थात पापों की क्षमा प्राप्‍त होती है। - कुलुस्सियों १:१४


बाइबल पाठ: इब्रानियों ९:११-२८

परन्‍तु जब मसीह आने वाली अच्‍छी अच्‍छी वस्‍तुओं का महायाजक होकर आया, तो उस ने और भी बड़े और सिद्ध तम्बू से होकर जो हाथ का बनाया हुआ नहीं, अर्थात सृष्‍टि का नहीं।
और बकरों और बछड़ों के लोहू के द्वारा नहीं, पर अपने ही लोहू के द्वारा एक ही बार पवित्र स्थान में प्रवेश किया, और अनन्‍त छुटकारा प्राप्‍त किया।
क्‍योंकि जब बकरों और बैलों का लोहू और कलोर की राख अपवित्र लोगों पर छिड़के जाने से शरीर की शुद्धता के लिये पवित्र करती है।
तो मसीह का लोहू जिस ने अपने आप को सनातन आत्मा के द्वारा परमेश्वर के साम्हने निर्दोष चढ़ाया, तुम्हारे विवेक को मरे हुए कामों से क्‍यों न शुद्ध करेगा, ताकि तुम जीवते परमेश्वर की सेवा करो।
और इसी कारण वह नई वाचा का मध्यस्थ है, ताकि उस मृत्यु के द्वारा जो पहिली वाचा के समय के अपराधों से छुटकारा पाने के लिये हुई है, बुलाए हुए लोग प्रतिज्ञा के अनुसार अनन्‍त मीरास को प्राप्‍त करें।
क्‍योंकि जहां वाचा बान्‍धी गई है वहां वाचा बान्‍धने वाले की मृत्यु का समझ लेना भी अवश्य है।
क्‍योंकि ऐसी वाचा मरने पर पक्की होती है, और जब तक वाचा बान्‍धने वाला जीवित रहता है, तब तक वाचा काम की नहीं होती।
इसी लिये पहिली वाचा भी बिना लोहू के नहीं बान्‍धी गई।
क्‍योंकि जब मूसा सब लोगों को व्यवस्था की हर एक आज्ञा सुना चुका, तो उस ने बछड़ों और बकरों का लोहू लेकर, पानी और लाल ऊन, और जूफा के साथ, उस पुस्‍तक पर और सब लोगों पर छिड़क दिया।
और कहा, कि यह उस वाचा का लोहू है, जिस की आज्ञा परमेश्वर ने तुम्हारे लिये दी है।
और इसी रीति से उस ने तम्बू और सेवा के सारे सामान पर लोहू छिड़का।
और व्यवस्था के अनुसार प्राय: सब वस्‍तुएं लोहू के द्वारा शुद्ध की जाती हैं और बिना लोहू बहाए क्षमा नहीं होती।
इसलिये अवश्य है, कि स्‍वर्ग में की वस्‍तुओं के प्रतिरूप इन के द्वारा शुद्ध किए जाएं, पर स्‍वर्ग में की वस्‍तुएं आप इन से उत्तम बलिदानों के द्वारा।
क्‍योंकि मसीह ने उस हाथ के बनाए हुए पवित्र स्थान में जो सच्‍चे पवित्र स्थान का नमूना है, प्रवेश नहीं किया, पर स्‍वर्ग ही में प्रवेश किया, ताकि हमारे लिये अब परमेश्वर के साम्हने दिखाई दे।
यह नहीं कि वह अपने आप को बार बार चढ़ाए, जैसा कि महायाजक प्रति वर्ष दूसरे का लोहू लिये पवित्रस्थान में प्रवेश किया करता है।
नहीं तो जगत की उत्‍पत्ति से लेकर उस को बार बार दुख उठाना पड़ता; पर अब युग के अन्‍त में वह एक बार प्रगट हुआ है, ताकि अपने ही बलिदान के द्वारा पाप को दूर कर दे।
और जैसे मनुष्यों के लिये एक बार मरना और उसके बाद न्याय का होना नियुक्त है।
वैसे ही मसीह भी बहुतों के पापों को उठा लेने के लिये एक बार बलिदान हुआ और जो लोग उस की बाट जोहते हैं, उन के उद्धार के लिये दूसरी बार बिना पाप के दिखाई देगा।

एक साल में बाइबल:
  • व्यवस्थाविवरण २३-२५
  • मरकुस १४:१-२६