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शनिवार, 9 अप्रैल 2011

ईर्ष्या पर जय

रोम के वैटिकन चर्च को सुन्दर बनाने के लिए मशहूर कलाकार माईकलएंजलो और रफैल अपनी कलकृतियों से उसे सजा रहे थे। उनमें बड़ा विद्वेष उत्पन्न हो गया यहां तक कि उन्होंने आपस में बात करना भी बन्द कर दिया। तौभी दोनो अपनी ओर से परमेश्वर की महीमा के लिए कार्य कर रहे थे।

ईर्ष्या कई दफा धार्मिक उत्साह का रूप ले कर सामने आती है। मरियम और हारून ने अपने भाई मूसा की आलोचना करी, लेकिन परमेर्श्वर के क्रोध ने प्रगट किया कि उनकी यह आलोचना ईर्ष्या के कारण थी। ईर्ष्यावश ही शाउल ने दाउद को मारने के प्रयत्न किए क्योंकि परमेश्वर ने दाउद को शाउल के बाद इस्त्राएल का राजा होने के लिए चुन लिया था। जब पौलुस रोम में बन्दी था तो कुछ लोग इस आश्य से सुसमाचार प्रचार करते थे कि उनके ऐसा करने से पौलुस को और दुख मिल सके, क्योंकि वे लोग परमेश्वर द्वारा उसे इतना उत्तम रीति से प्रयोग किए जाने से बहुत ईर्षालु थे।

ईर्ष्या एक बहुत हानिकारक व्यवहार है जो सबसे अधिक ईर्ष्या करने वाले को ही नुकसान पहुंचाता है। ईर्ष्या का कारण है हमारा यह मानना कि किसी और को हम से अधिक मिल रहा है जो हमें मिलना चाहिए था - वह चाहे पैसा हो, कीर्ति हो, सम्मान हो या अन्य कोई भी उपलबधि हो।

इस पर जयवंत हो सकने के लिए तीन बातों का पालन करना होगा:
१. इसे अपने जीवन में पहिचानना होगा और स्वीकार करना होगा।
२. इसे पाप के रूप में स्वीकार करके इसके लिए परमेश्वर से क्षमा मांगनी होगी।
३. हमें अपने अन्दर एक धन्यवादी मन बनाना होगा। जब हम किसी को कोई लाभ पाते देखें तो उसके लिए परमेश्वर का धन्यवाद करके प्रसन्नता से इस परिस्थिति को स्वीकार करें।

जब हम दूसरों की तुलना अपने आप से करना छोड़ देते हैं तो ईर्ष्या के पनपने का माध्यम भी समाप्त कर देते हैं।

जब हम अपनी संतुष्टि परमेश्वर में पाने लगते हैं तो उसका अनुग्रह हमें दूसरों के आनन्द में आनन्दित होने की क्षमता देता है, और ऐसा में ईर्ष्या के लिए कोई स्थान नहीं रहता। - डेनिस डी हॉन


जब हम ईर्ष्या से भरे होते हैं तो अपने विनाश के निकट भी होते हैं।

कितने तो डाह और झगड़े के कारण मसीह का प्रचार करते हैं और कितने भली मनसा से। - फिलिप्पियों १:१५


बाइबल पाठ: गिनती १२

Num 12:1 मूसा ने तो एक कूशी स्त्री के साथ ब्याह कर लिया था। सो मरियम और हारून उसकी उस ब्याहता कूशी स्त्री के कारण उसकी निन्दा करने लगे;
Num 12:2 उन्होंने कहा, क्या यहोवा ने केवल मूसा ही के साथ बातें की हैं? क्या उस ने हम से भी बातें नहीं कीं? उनकी यह बात यहोवा ने सुनी।
Num 12:3 मूसा तो पृथ्वी भर के रहने वाले मनुष्यों से बहुत अधिक नम्र स्वभाव का था।
Num 12:4 सो यहोवा ने एकाएक मूसा और हारून और मरियम से कहा, तुम तीनों मिलापवाले तम्बू के पास निकल आओ। तब वे तीनों निकल आए।
Num 12:5 तब यहोवा ने बादल के खम्भे में उतर कर तम्बू के द्वार पर खड़ा होकर हारून और मरियम को बुलाया; सो वे दोनों उसके पास निकल आए।
Num 12:6 तब यहोवा ने कहा, मेरी बातें सुनो: यदि तुम में कोई नबी हो, तो उस पर मैं यहोवा दर्शन के द्वारा अपने आप को प्रगट करूंगा, वा स्वप्न में उस से बातें करूंगा।
Num 12:7 परन्तु मेरा दास मूसा ऐसा नहीं है; वह तो मेरे सब घरानों मे विश्वास योग्य है।
Num 12:8 उस से मैं गुप्त रीति से नहीं, परन्तु आम्हने साम्हने और प्रत्यक्ष होकर बातें करता हूं और वह यहोवा का स्वरूप निहारने पाता है। सो तुम मेरे दास मूसा की निन्दा करते हुए क्यों नहीं डरे?
Num 12:9 तब यहोवा का कोप उन पर भड़का, और वह चला गया;
Num 12:10 तब वह बादल तम्बू के ऊपर से उठ गया, और मरियम कोढ़ से हिम के समान श्वेत हो गई। और हारून ने मरियम की ओर दृष्टि की, और देखा, कि वह कोढ़िन हो गई है।
Num 12:11 तब हारून मूसा से कहने लगा, हे मेरे प्रभु, हम दोनों ने जो मूर्खता की वरन पाप भी किया, यह पाप हम पर न लगने दे।
Num 12:12 और मरियम को उस मरे हुए के समान न रहने दे, जिसकी देह अपनी मां के पेट से निकलते ही अधगली हो।
Num 12:13 सो मूसा ने यह कहकर यहोवा की दोहाई दी, हे ईश्वर, कृपा कर, और उसको चंगा कर।
Num 12:14 यहोवा ने मूसा से कहा, यदि उसका पिता उसके मुंह पर थूका ही होता, तो क्या सात दिन तक वह लज्जित न रहती? सो वह सात दिन तक छावनी से बाहर बन्द रहे, उसके बाद वह फिर भीतर आने पाए।
Num 12:15 सो मरियम सात दिन तक छावनी से बाहर बन्द रही, और जब तक मरियम फिर आने न पाई तब तक लोगों ने प्रस्थान न किया।
Num 12:16 उसके बाद उन्होंने हसेरोत से प्रस्थान करके पारान नाम जंगल में अपने डेरे खड़े किए।

एक साल में बाइबल:
  • १ शमूएल १३-१४
  • लूका १०:१-२४