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शुक्रवार, 10 जून 2011

सुरक्षा

सुरक्षा के अनेक स्वरूप होते हैं। खतरा आने पर खरगोश अपने बिल में और हिरन झाड़ियों में छिप जाता है; डर कर एक छोटा बच्चा अपने पिता की टाँगों से लिपटकर, तो युद्ध में एक सैनिक तोपखाने के बचावी हमले में अपने आप को सुरक्षित अनुभव करता है। लेकिन खतरे का आभास होने पर एक मसीही विश्वासी को क्या करना चाहिए? उसकी सुरक्षा क्या है?

जब दाउद ने भजन ३१ लिखा था तब वह जानता था कि उसके लिए परिस्थितियाँ ठीक नहीं हैं। वह कमज़ोर, थका हुआ और दुख में था; उसका दिल टूट चुका था। उसके शत्रु उसका पीछा कर रहे थे और उसके मित्र उसे छोड़ कर भाग चुके थे। दाउद शरीर और सामर्थ में कमज़ोर तो था लेकिन असहाय और असुरक्षित नहीं था। वह जानता था कि परमेश्वर ही उसकी सुरक्षा का सर्वोत्तम स्थान है और परमेश्वर से उसके सही संबंध ही उसकी सुरक्षा की सही और सबसे कारगर नीति हैं। उसने अपनी सुरक्षा परमेश्वर में ही ढूँढी। जैसे जब किसी धौंस देने वाले बदमाश के आगे एक बच्चा अपने बड़े भाई को सहायता के लिए पुकाराता है, दाउद ने परमेश्वर को पुकारा। क्योंकि दाउद परमेश्वर की संगति में रहता था, उसने अपने आप को उसी की सुरक्षा में छुपा लिया जो उससे कभी न बदलने वाले प्रेम से प्रेम रखता था और पहले भी अनेक बार उसकी सहायता कर चुका था।

दाउद के समान क्या हम भी परमेश्वर में अपनी सुरक्षा को खोजने के लिए ऐसे ही तत्पर रहते हैं? परमेश्वर सदैव विश्वासयोग्य है; वह दाउद के लिए छिपने का सुरक्षित स्थान था, वह हमारे लिए भी मुसीबत में छिपने का सुरक्षित स्थान है। - मार्ट डी हॉन


मसीही विश्वासी की सुरक्षा खतरे की अनुपस्थिति से नहीं वरन उसके साथ परमेश्वर की उपस्थिति से है।

क्योंकि तू मेरे लिये चट्टान और मेरा गढ़ है इसलिये अपने नाम के निमित्त मेरी अगुवाई कर, और मुझे आगे ले चल। - भजन ३१:३


बाइबल पाठ: भजन ३१:१-१६
Psa 31:1 हे यहोवा मेरा भरोसा तुझ पर है, मुझे कभी लज्जित होना न पड़े? तू अपने धर्मी होने के कारण मुझे छुड़ा ले!
Psa 31:2 अपना कान मेरी ओर लगा कर तुरन्त मुझे छुड़ा ले!
Psa 31:3 क्योंकि तू मेरे लिये चट्टान और मेरा गढ़ है इसलिये अपने नाम के निमित्त मेरी अगुवाई कर, और मुझे आगे ले चल।
Psa 31:4 जो जाल उन्होंने मेरे लिये बिछाया है उस से तू मुझ को छुड़ा ले, क्योंकि तू ही मेरा दृढ़ गढ़ है।
Psa 31:5 मैं अपनी आत्मा को तेरे ही हाथ में सौंप देता हूं; हे यहोवा, हे सत्यवादी ईश्वर, तू ने मुझे मोल लेकर मुक्त किया है।
Psa 31:6 जो व्यर्थ वस्तुओं पर मन लगाते हैं, उन से मैं घृणा करता हूं परन्तु मेरा भरोसा यहोवा ही पर है।
Psa 31:7 मैं तेरी करूणा से मगन और आनन्दित हूं, क्योंकि तू ने मेरे दु:ख पर दृष्टि की है, मेरे कष्ट के समय तू ने मेरी सुधि ली है,
Psa 31:8 और तू ने मुझे शत्रु के हाथ में पड़ने नहीं दिया; तू ने मेरे पांवों को चौड़े स्थान में खड़ा किया है।
Psa 31:9 हे यहोवा, मुझ पर अनुग्रह कर क्योंकि मैं संकट में हूं; मेरी आंखे वरन मेरा प्राण और शरीर सब शोक के मारे घुले जाते हैं।
Psa 31:10 मेरा जीवन शोक के मारे और मेरी अवस्था कराहते कराहते घट चली है; मेरा बल मेरे अधर्म के कारण जाता रह, ओर मेरी हडि्डयां घुल गईं।
Psa 31:11 अपने सब विरोधियों के कारण मेरे पड़ोसियों में मेरी नामधराई हुई है, अपने जान पहिचान वालों के लिये डर का कारण हूं; जो मुझ को सड़क पर देखते है वह मुझ से दूर भाग जाते हैं।
Psa 31:12 मैं मृतक की नाई लोगों के मन से बिसर गया, मैं टूटे बासन के समान हो गया हूं।
Psa 31:13 मैं ने बहुतों के मुंह से अपना अपवाद सुना, चारों ओर भय ही भय है! जब उन्होंने मेरे विरूद्ध आपस में सम्मति की तब मेरे प्राण लेने की युक्ति की।
Psa 31:14 परन्तु हे यहोवा मैं ने तो तुझी पर भरोसा रखा है, मैं ने कहा, तू मेरा परमेश्वर है।
Psa 31:15 मेरे दिन तेरे हाथ में है, तू मुझे मेरे शत्रुओं और मेरे सताने वालों के हाथ से छुड़ा।
Psa 31:16 अपने दास पर अपने मुंह का प्रकाश चमका; अपनी करूणा से मेरा उद्धार कर।

एक साल में बाइबल:
  • २ इतिहास ३४-३६
  • यूहन्ना १९:१-२२