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गुरुवार, 14 जुलाई 2011

प्रेरणा का सर्वोत्तम स्त्रोत

पहली कक्षा के छात्र क्रेग का चेहरा खिला हुआ और बड़ी सी मुस्कान से सजा हुआ था। बड़े गर्व से उसने अपने अंग्रेज़ी शब्दों की वर्तनी का परीक्षाफल, जिस पर उसकी अध्यापिका ने लिखा था - "१०० - बहुत अच्छा" मुझे दिखाया और कहा, "मैंने यह अपनी मम्मी और डैडी को भी दिखाया क्योंकि मैं जानता था कि वे इससे बहुत खुश होंगे।" उस बच्चे के लिए अपने माँ बाप को खुश करना प्रेरणा का एक बड़ा स्त्रोत था।

पौलुस ने तिमुथियुस को एक ऐसे सैनिक के उदाहरण द्वारा सिखाया जो अपने सेनापति की प्रसन्नता के लिए कोई भी जोखिम उठाने को सर्वदा तैयार रहता है, जिससे तिमुथियुस परमेश्वर की सेवा के मर्म को समझ सके, चाहे परिस्थिति कैसी भी हो (२ तिमुथियुस २:३, ४)। हमारी श्रद्धा परमेश्वर को तब ही भाती है जब वह परमेश्वर के नियमों का गंभीरता से पालन और उसकी आज्ञाकारिता के लिए भरपूर मेहनत के साथ उसको एक पूर्णतः समर्पित एवं प्रेम पूर्ण हृदय से अर्पित करी गई हो।

परमेश्वर की सेवा करने के लिए हमारे पास कई उद्देश्य हो सकते हैं, लेकिन परमेश्वर को हम सर्वोत्तम महिमा तब ही देते हैं जब हम आनन्द सहित केवल वही करना चाहते हैं जिससे वह प्रसन्न होता है। हमारे उद्धारकर्ता ने भी, अपने मानवीय जीवन में, क्रूस पर हम सब के पापों के लिए बलिदान होने से पहले, हृदय की बड़ी व्यथा सही; लेकिन उसकी परमेश्वर से उस समय भी यही प्रार्थना थी, "...मेरी नहीं परन्‍तु तेरी ही इच्‍छा पूरी हो" (लूका २२:४२)। हमारा उद्देश्य भी अपने उद्धारकर्ता के समान सदा ही हर बात में परमेश्वर पिता की प्रसन्नता ही होना चाहिए।

परमेश्वर को प्रसन्न करना ही उसकी आज्ञाकारिता के लिए सर्वोत्तम प्रेरणा है और हमारा परमेश्वर का भय मानने का प्रमाण भी। - हर्ब वैण्डर लुग्ट


मनुष्य कार्यों द्वारा परखता है, परन्तु परमेश्वर मन के उद्देश्यों को देखता है।

तुम्हारा चाल-चलन प्रभु के योग्य हो, और वह सब प्रकार से प्रसन्न हो, और तुम में हर प्रकार के भले कामों का फल लगे, और परमेश्वर की पहिचान में बढ़ते जाओ। - कुलुसियों १:१०


बाइबल पाठ: २ तिमुथियुस २:१-१३

2Ti 2:1 इसलिये हे मेरे पुत्र, तू उस अनुग्रह से जो मसीह यीशु में है, बलवन्‍त हो जा।
2Ti 2:2 और जो बातें तू ने बहुत गवाहों के साम्हने मुझ से सुनी है, उन्‍हें विश्वासी मनुष्यों को सौंप दे जो औरों को भी सिखाने के योग्य हों।
2Ti 2:3 मसीह यीशु के अच्‍छे योद्धा की नाईं मेरे साथ दुख उठा।
2Ti 2:4 जब कोई योद्धा लड़ाई पर जाता है, तो इसलिये कि अपने भरती करने वाले को प्रसन्न करे, अपने आप को संसार के कामों में नहीं फंसाता;
2Ti 2:5 फिर अखाड़े में लडने वाला यदि विधि के अनुसार न लड़े तो मुकुट नहीं पाता।
2Ti 2:6 जो गृहस्थ परिश्रम करता है, फल का अंश पहिले उसे मिलना चाहिए।
2Ti 2:7 जो मैं कहता हूं, उस पर ध्यान दे और प्रभु तुझे सब बातों की समझ देगा।
2Ti 2:8 यीशु मसीह को स्मरण रख, जो दाऊद के वंश से हुआ, और मरे हुओं में से जी उठा और यह मेरे सुसमाचार के अनुसार है।
2Ti 2:9 जिस के लिये मैं कुकर्मी की नाईं दुख उठाता हूं, यहां तक कि कैद भी हूं परन्‍तु परमेश्वर का वचन कैद नहीं।
2Ti 2:10 इस कारण मैं चुने हुए लोगों के लिये सब कुछ सहता हूं, कि वे भी उस उद्धार को जो मसीह यीशु में हैं अनन्‍त महिमा के साथ पाएं।
2Ti 2:11 यह बात सच है, कि यदि हम उसके साथ मर गए हैं तो उसके साथ जीएंगे भी।
2Ti 2:12 यदि हम धीरज से सहते रहेंगे, तो उसके साथ राज्य भी करेंगे : यदि हम उसका इन्‍कार करेंगे तो वह भी हमारा इन्‍कार करेगा।
2Ti 2:13 यदि हम अविश्वासी भी हों तौ भी वह विश्वासयोग्य बना रहता है, क्‍योंकि वह आप अपना इन्‍कार नहीं कर सकता।

एक साल में बाइबल:
  • भजन १०-१२ प्
  • रेरितों १९:१-२०