ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

सोमवार, 14 नवंबर 2011

संवेदनशील और कृपालु

    एक छोटी बच्ची की माँ बिमार पड़ी और उसे अस्पताल में भरती होना पड़ा। जीवन में पहली बार वह बच्ची बिना माँ के रहने जा रही थी। जब रात हुई और उसके पिता ने सोने के लिए बत्ती बुझाई, तो उसने पूछा, "पिताजी आप यहीं हैं न?" पिता ने उसे आश्वासन दिया कि वह वहीं उसके साथ है। थोड़ी देर में बच्ची ने फिर प्रश्न किया, "पिताजी, आप मुझे देख रहे हैं ना?" पिता ने फिर उसे आश्वस्त किया और उसका ढाढस बंधाया, और तब वह बच्ची निश्चिंत होकर सो गई।

   ऐसे ही परमेश्वर की प्रत्येक सन्तान अपने प्रेमी स्वर्गीय पिता पर आश्वस्त रह सकती है। परिस्थिति चाहे कैसी भी हो, दुख चाहे कितना भी गंभीर क्यों न हो, उसकी निगाहें सर्वदा हम पर बनी रहती हैं। यह जानते हुए कि हमारे उद्धारकर्ता और परमेश्वर की निगाहें सर्वदा हम पर बनी हुई हैं, हमें भी उसके समान संवेदनशील, सहायक और प्रेम रखने वाले बनना चाहिए।

   यह संसार बहुत कठोर, दूसरों के दुखों के प्रति लापरवाह और निर्दयी हो सकता है। संसार के लोग अपने पड़ौसियों की तकलीफों के प्रति उदासीन और स्वार्थी हो सकते हैं; लेकिन प्रभु यीशु ऐसे नहीं थे। बारंबार उन्होंने दूसरों के दुख तकलीफों में उनकी सहायता करी। लूका ७ में प्रभु यीशु की संवेदना का उल्लेख है जब उन्होंने एक विध्वा को पुत्रवियोग में देखा और तुरंत उसके मृतक पुत्र को जीवित करके उसकी सहायता करी। आज भी प्रभु यीशु संसार के लोगों की ओर संवेदना से देखता है, चाहता है कि कोई पापों में नाश ना हो, उसके कलवरी के क्रूस पर दिए गए बलिदान पर साधारण विश्वास कर के प्रत्येक जन उद्धार प्राप्त करे।

   जिन्होंने उद्धार प्राप्त किया है, अपने उन अनुयायीयों से वह आशा रखता है कि वे भी उसकी तरह संवेदनशील और कृपालु हों और दूसरों की सहायता के लिए तत्पर रहें। - डेव एग्नर

परमेश्वर प्रत्येक व्यक्ति से ऐसे प्रेम करता है मानो उसके प्रेम का पात्र होने के लिए वही एकमात्र है।

उस ने निकलकर बड़ी भीड़ देखी, और उन पर तरस खाया, क्‍योंकि वे उन भेड़ों के समान थे, जिन का कोई रखवाला न हो; और वह उन्‍हें बहुत सी बातें सिखाने लगा। - मरकुस ६:३४
 
बाइबल पाठ: लूका ७:११-१७
    Luk 7:11  थोड़े दिन के बाद वह नाईन नाम के एक नगर को गया, और उसके चेले, और बड़ी भीड़ उसके साथ जा रही थी।
    Luk 7:12  जब वह नगर के फाटक के पास पहुंचा, तो देखो, लोग एक मुरदे को बाहर लिए जा रहे थे; जो अपनी मां का एकलौता पुत्र था, और वह विधवा थी: और नगर के बहुत से लोग उसके साथ थे।
    Luk 7:13  उसे देख कर प्रभु को तरस आया, और उस ने कहा; मत रो।
    Luk 7:14  तब उस ने पास आकर, अर्थी को छुआ, और उठाने वाले ठहर गए, तब उस ने कहा; हे जवान, मैं तुझ से कहता हूं, उठ।
    Luk 7:15  तब वह मुर्दा उठ बैठा, और बोलने लगा: और उस ने उसे उस की मां को सौप दिया।
    Luk 7:16  इस से सब पर भय छा गया और वे परमेश्वर की बड़ाई कर के कहने लगे कि हमारे बीच में एक बड़ा भविष्यद्वक्ता उठा है, और परमेश्वर ने अपने लोगों पर कृपा दृष्‍टि की है।
    Luk 7:17  और उसके विषय में यह बात सारे यहूदिया और आस पास के सारे देश में फैल गई।
 
एक साल में बाइबल: 
  • विलापगीत ३-५ 
  • इब्रानियों १०:१९-३९