ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

शनिवार, 18 फ़रवरी 2012

सब कह दें

   एक छोटा इलैक्ट्रौनिक रिकॉरडर खरीदने में मेरी सहायता करने वाले दुकान के कर्मचारी ने मुझे अपना अनुभव बताया। उस ने कहा कि उसने भी वैसा ही एक यंत्र अपनी कार में रखा हुआ है और दिन के अन्त में जब वह घर जा रहा होता है तो कार चलाते समय मार्ग में अपने दिन भर के प्रत्येक अनुभव, अच्छे या बुरे, और हर एक बात को वह उस रिकॉरडर में बोल देता है। फिर वह मुस्कुराते हुए बोला कि वह घर पहुंच कर रि्कॉरडर से उन्हें मिटा देता है। अपने दिल से सभी बातों के बोझ को इस प्रकार हलका कर लेने के बाद उसे फिर यह सब अपने परिवार या पत्नि के सामने कहने की आवश्यक्ता नहीं रहती, उसका मन हलका रहता है और तनाव दूर हो जाता है।

   उस कर्मचारी के इस अनुभव ने मुझे स्मरण दिलाया कि कैसे मैं व्यर्थ ही अपनी परेशानियां और निराशाएं लोगों के सामने कहता रहता हूँ, जबकि मुझे उन्हें परमेश्वर को बता देना चाहिए। भजनकार ने लिखा: "हे लोगो, हर समय उस पर भरोसा रखो; उस से अपने अपने मन की बातें खोल कर कहो; परमेश्वर हमारा शरणस्थान है" (भजन ६२:८); दो बार उस ने परमेश्वर को हमारी चट्टान, उद्धार और दृढ़ गढ़ कह कर संबोधित किया (भजन ६२:२, ६) और शान्त हो कर उसके लिए प्रतीक्षा करने का आवाहन किया।

   यद्यपि किसी घनिष्ठ मित्र के साथ मन की बात बांटने में अवश्य ही शांति मिलती है, किंतु यदि हम उन्हीं बातों को अपने मुक्तिदाता प्रभु परमेश्वर के साथ नहीं बांटते तो प्रभु से मिलने वाली एक बड़ी सहायता से हम अपने आप को वंचित रखते हैं।

जोसफ स्क्रिविन ने, प्रभु यीशु की स्तुति के अपने गीत में लिखा:
यीशु कैसा दोस्त है प्यारा,
दुख और बोझ उठाने को;
क्या ही उमदा वक्त हमारा,
बाप के पास अब जाने को;
आह! हम हम राहत अक्सर खोते,
नाहक ग़म उठाते हैं;
यह ही बाइस है यकीनन,
कि बाप के पास ना जाते हैं।

   प्रभु यीशु ने कहा, "हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा" (मत्ती ११:२८)। जब सृष्टि का कर्ता और हर बात को नियंत्रण में रखने वाला प्रभु हमें यह आदर दे रहा है कि उसके पास आकर अपने बोझ हलके कर लें, तो और कहीं क्यों जाएं? प्रति दिन उसके पास आएं और उससे सब कह दें। - डेविड मैककैसलैंड

हम चाहें कहीं और कैसे भी हों, प्रभु यीशु से केवल एक प्रार्थना की दूरी पर ही हैं।

हे लोगो, हर समय उस पर भरोसा रखो; उस से अपने अपने मन की बातें खोलकर कहो; परमेश्वर हमारा शरणस्थान है। - भजन ६२:८
 
बाइबल पाठ: भजन ६२
Psa 62:1  सचमुच मैं चुपचाप होकर परमेरश्वर की ओर मन लगाए हूं, मेरा उद्धार उसी से होता है।
Psa 62:2  सचमुच वही, मेरी चट्टान और मेरा उद्धार है, वह मेरा गढ़ है; मैं बहुत न डिगूंगा।
Psa 62:3  तुम कब तक एक पुरूष पर धावा करते रहोगे, कि सब मिल कर उसका घात करो; वह तो झुकी हुई भीत वा गिरते हुए बाड़े के समान है।
Psa 62:4  सचमुच वे उसको, उसके ऊंचे पद से गिराने की सम्मति करते हैं; वे झूठ से प्रसन्न रहते हैं। मुंह से तो वे आशीर्वाद देते पर मन में कोसते हैं।
Psa 62:5  हे मेरे मन, परमेश्वर के साम्हने चुपचाप रह, क्योंकि मेरी आशा उसी से है।
Psa 62:6  सचमुच वही मेरी चट्टान, और मेरा उद्धार है, वह मेरा गढ़ है; इसलिये मैं न डिगूंगा।
Psa 62:7  मेरा उद्धार और मेरी महिमा का आधार परमेश्वर है; मेरी दृढ़ चट्टान, और मेरा शरणस्थान परमेश्वर है।
Psa 62:8  हे लोगो, हर समय उस पर भरोसा रखो; उस से अपने अपने मन की बातें खोलकर कहो; परमेश्वर हमारा शरणस्थान है।
Psa 62:9  सचमुच नीच लोग तो अस्थाई, और बड़े लोग मिथ्या ही हैं; तौल में वे हलके निकलते हैं; वे सब के सब सांस से भी हलके हैं।
Psa 62:10  अन्धेर करने पर भरोसा मत रखो, और लूट पाट करने पर मत फूलो; चाहे धन सम्पति बढ़े, तौभी उस पर मन न लगाना।
Psa 62:11  परमेश्वर ने एक बार कहा है, और दो बार मैं ने यह सुना है: कि सामर्थ्य परमेश्वर का है।
Psa 62:12  और हे प्रभु, करूणा भी तेरी है। क्योंकि तू एक एक जन को उसके काम के अनुसार फल देता है।
 
एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था २३-२४ 
  • मरकुस १:१-२२

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें