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मंगलवार, 31 जुलाई 2012

धन्य लोग


   अपने पुनरुत्थान के दिन प्रभु यीशु ने अपने चेलों को दर्शन दिए और उन्हें कीलों से छिदे अपने हाथ तथा पांव दिखाए। परमेश्वर के वचन बाइबल में लिखे वृतांत से हमें पता लगता है कि यह अद्भुत बात उनको विश्वास से परे प्रतीत हुई (लूका २४:४०-४१), आनन्द के मारे चेलों को विश्वास ही नहीं हुआ। जब प्रभु यीशु ने चेलों को दर्शन दिए उस समय एक चेला, थोमा, वहां उपस्थित नहीं था; जब उसे प्रभु के पुनरुत्थान का पता चला तो उसे भी विश्वास करने में कठिनाई हुई। बाद में जब प्रभु यीशु थोमा की उपस्थिति में चेलों के समक्ष आए तो उन्होंने थोमा से कहा कि वह अपनी इच्छानुसार उनके हाथों और पैरों के घावों में तथा पंजर में हाथ डाल कर उनके जी उठा होने के लिए ठहराया हुआ अपना प्रमाण ले ले; तब थोमा कह उठा, "...हे मेरे प्रभु, हे मेरे परमेश्वर!" (यूहन्ना २०:२८)

   बाद में जब प्रेरित पौलुस ने फिलिप्पियों के विश्वासियों को, मसीही विश्वास कि अपनी यात्रा में उठाए गए अपने क्लेशों के बारे में बताया, तब उसने भी प्रभु यीशु को अपना प्रभु बताया। उसने उन्हें लिखा कि प्रभु यीशु के साथ विश्वास के जीवन में यह समझ चुका है कि मसीह यीशु ही प्रभु है और उसको प्राप्त करना ही उसके लिए सबसे महत्वपूर्ण बात है: "वरन मैं अपने प्रभु मसीह यीशु की पहिचान की उत्तमता के कारण सब बातों को हानि समझता हूं: जिस के कारण मैं ने सब वस्‍तुओं की हानि उठाई, और उन्‍हें कूड़ा समझता हूं, जिस से मैं मसीह को प्राप्‍त करूं" (फिलिप्पियों ३:८)।

   मैंने, आपने और हम अन्य मसीही विश्वासियों ने चाहे प्रभु यीशु को अपने समक्ष किसी तूफान को शांत करते या किसी मुर्दे को ज़िन्दा करते ना देखा हो, और ना ही उसके चरणों पर बैठकर हम ने उससे कोई प्रवचन सुना हो, लेकिन हम सभी अपने जीवनों के अनुभवों से जानते हैं कि कैसे उसने हमें हमारी आत्मिक मृतकावस्था से जिला कर अनन्त जीवन का उत्तराधिकारी बनाया है, और कैसे वह आज भी हमारे जीवनों में कार्य कर रहा है, हर परिस्थिति में हमारे पक्ष में कार्य करता है, हमारे साथ साथ बना रहता है। इसलिए थोमा और पौलुस के समान ही हमारे लिए भी यीशु को प्रभु कहना और उसके आज्ञाकारी होना कोई अवास्तविक बात नहीं है।

   प्रभु यीशु ने थोमा से कहा, "...तू ने तो मुझे देख कर विश्वास किया है, धन्य हैं वे जिन्‍होंने बिना देखे विश्वास किया" (यूहन्ना २०:२९)। जब हम प्रभु यीशु में विश्वास लाते हैं और उसे अपना प्रभु स्वीकार करते हैं, तब हम प्रभु द्वारा धन्य समझे जाने वाले लोगों में सम्मिलित हो जाते हैं। - डेव एग्नर


चाहे हम शरीर की आंखों से उसे नहीं देखने पाते, किंतु आत्मा की आंखों से देख कर और मन से उस पर विश्वास कर के हम भी कह सकते हैं - यीशु ही प्रभु है।

यह सुन थोमा ने उत्तर दिया, हे मेरे प्रभु, हे मेरे परमेश्वर! - यूहन्ना २०:२८

बाइबल पाठ: यूहन्ना २०:१९-३१
Joh 20:19  उसी दिन जो सप्‍ताह का पहिला दिन था, सन्‍ध्या के समय जब वहां के द्वार जहां चेले थे, यहूदियों के डर के मारे बन्‍द थे, तब यीशु आया और बीच में खड़ा होकर उन से कहा, तुम्हें शान्‍ति मिले। 
Joh 20:20  और यह कह कर उस ने अपना हाथ और अपना पंजर उन को दिखाए: तब चेले प्रभु को देख कर आनन्‍दित हुए। 
Joh 20:21  यीशु ने फिर उन से कहा, तुम्हें शान्‍ति मिले; जैसे पिता ने मुझे भेजा है, वैसे ही मैं भी तुम्हें भेजता हूं। 
Joh 20:22   यह कह कर उस ने उन पर फूंका और उन से कहा, पवित्र आत्मा लो। 
Joh 20:23   जिन के पाप तुम क्षमा करो वे उन के लिये क्षमा किए गए हैं जिन के तुम रखो, वे रखे गए हैं।
Joh 20:24  परन्‍तु बारहों में से एक व्यक्ति अर्थात थोमा जो दिदुमुस कहलाता है, जब यीशु आया तो उन के साथ न था। 
Joh 20:25  जब और चेले उस से कहने लगे कि हम ने प्रभु को देखा है: तब उस ने उन से कहा, जब तक मैं उस के हाथों में कीलों के छेद न देख लूं, और कीलों के छेदों में अपनी उंगली न डाल लूं, तब तक मैं प्रतीति नहीं करूंगा।
Joh 20:26  आठ दिन के बाद उस के चेले फिर घर के भीतर थे, और थोमा उन के साथ था, और द्वार बन्‍द थे, तब यीशु ने आकर और बीच में खड़ा होकर कहा, तुम्हें शान्‍ति मिले। 
Joh 20:27  तब उस ने थोमा से कहा, अपनी उंगली यहां लाकर मेरे पंजर में डाल और अविश्वासी नहीं परन्‍तु विश्वासी हो। 
Joh 20:28   यह सुन थोमा ने उत्तर दिया, हे मेरे प्रभु, हे मेरे परमेश्वर! 
Joh 20:29  यीशु ने उस से कहा, तू ने तो मुझे देख कर विश्वास किया है, धन्य हैं वे जिन्‍होंने बिना देखे विश्वास किया।
Joh 20:30  यीशु ने और भी बहुत चिन्‍ह चेलों के साम्हने दिखाए, जो इस पुस्‍तक में लिखे नहीं गए। 
Joh 20:31  परन्‍तु ये इसलिये लिखे गए हैं, कि तुम विश्वास करो, कि यीशु ही परमेश्वर का पुत्र मसीह है: और विश्वास कर के उसके नाम से जीवन पाओ।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन ५४-५६ 
  • रोमियों ३

सोमवार, 30 जुलाई 2012

कूड़ेदान?

   एक दिन मैंने अखबार में पढ़ा कि कुछ लोगों को समुद्र में कूड़ा फेंके जाने पर कोई आपत्ति नहीं है, उनकी नज़रों में समुद्र को एक विशाल कूड़ेदान के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। इसी संदर्भ में उस लेख में आगे लिखा था कि, "यदि आप को प्रशान्त महासागर में तैरता हुआ यह विशाल प्लास्टिक का ढेर दिखे तो चौंकिए मत, इसे ’विशाल प्रशान्त महसागरीय कूड़ेदान’ कहते हैं और इसका क्षेत्रफल अमेरिका के टैक्सस प्रांत से भी बड़ा है। इसमें तीन करोड़ टन प्लास्टिक का कूड़ा जिसके प्रति वर्गमील क्षेत्र में औसतन ४६,००० प्लास्टिक की चीज़ें हैं, समुद्र में तैर रहा है!" कुछ अन्य लोगों का मानना है कि इसका आकार इससे भी कहीं अधिक बड़ा है। प्लास्टिक पर्यावरण के लिए विशेषकर हानिकारक है क्योंकि यह ना घुलता है और ना ही नष्ट होता है।

   सृष्टि के आरंभ में जब परमेश्वर ने आदम को बनाया तो उसे इस पृथ्वी और इसपर रहने वाले जीव-जन्तुओं की देख-रेख करने कि ज़िम्मेदारी भी दी: "तब यहोवा परमेश्वर ने आदम को लेकर अदन की वाटिका में रख दिया, कि वह उस में काम करे और उसकी रक्षा करे" (उत्पत्ति २:१५)। सृष्टि के वृतांत में यह भी लिखा है कि परमेश्वर ने जो कुछ बनाया वह भला था और परमेश्वर उससे प्रसन्न था (उत्पत्ति १:१०, २०, २१)।

   यह समस्त सृष्टि हमें सृष्टिकर्ता परमेश्वर की महानता को दिखाती है और उसकी यह महानता तथा कार्यकुशलता हमें उसकी प्रशंसा तथा आराधना करने को प्रेरित करती है। इस सृष्टि का बेपरवाही से प्रयोग करना उस सृष्टिकर्ता परमेश्वर का अनादर करना है। इसे एक विशाल कूड़ेदान के समान उपयोग करना इसमें रहने वाले जीव-जन्तुओं को नष्ट करता है, इसकी सुन्दरता को भ्रष्ट करता है और जो परमेश्वर की दृष्टि में अच्छा है उसे तुच्छ जानना है। हम मसीही विश्वासियों का कर्तव्य है कि हम अपने सृष्टिकर्ता और उद्धारकर्ता प्रभु यीशु की इस सुन्दर रचना का आदर करें और धरती, जल और आकाश तथा इनमें रहने तथा विचरण करने वाले जीवों की भी परवाह करें, क्योंकि परमेश्वर ने यह सृष्टि केवल हम मनुष्यों के उपयोग के लिए ही नहीं बनाई है। परमेश्वर की इस सृष्टि की देखभाल करना और उसका ध्यान रखना परमेश्वर की प्रत्येक संतान का भी कर्तव्य है। - डेनिस फिशर


पिता परमेश्वर की सृष्टि की देखभाल उसकी विश्वासी सन्तान का कर्तव्य है।

...और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है। - (उत्पत्ति १:१०)

बाइबल पाठ: उत्पत्ति १:२०-२८; २:१५
Gen 1:20  फिर परमेश्वर ने कहा, जल जीवित प्राणियों से बहुत ही भर जाए, और पक्षी पृथ्वी के ऊपर आकाश कें अन्तर में उड़ें। 
Gen 1:21  इसलिये परमेश्वर ने जाति जाति के बड़े बड़े जल-जन्तुओं की, और उन सब जीवित प्राणियों की भी सृष्टि की जो चलते फिरते हैं जिन से जल बहुत ही भर गया और एक एक जाति के उड़ने वाले पक्षियों की भी सृष्टि की : और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है। 
Gen 1:22  और परमेश्वर ने यह कहके उनको आशीष दी, कि फूलो-फलो, और समुद्र के जल में भर जाओ, और पक्षी पृथ्वी पर बढ़ें। 
Gen 1:23  तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार पांचवां दिन हो गया। 
Gen 1:24  फिर परमेश्वर ने कहा, पृथ्वी से एक एक जाति के जीवित प्राणी, अर्थात घरेलू पशु, और रेंगने वाले जन्तु, और पृथ्वी के वनपशु, जाति जाति के अनुसार उत्पन्न हों; और वैसा ही हो गया। 
Gen 1:25  सो परमेश्वर ने पृथ्वी के जाति जाति के वनपशुओं को, और जाति जाति के घरेलू पशुओं को, और जाति जाति के भूमि पर सब रेंगने वाले जन्तुओं को बनाया : और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है। 
Gen 1:26  फिर परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएं; और वे समुद्र की मछलियों, और आकाश के पक्षियों, और घरेलू पशुओं, और सारी पृथ्वी पर, और सब रेंगने वाले जन्तुओं पर जो पृथ्वी पर रेंगते हैं, अधिकार रखें। 
Gen 1:27  तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया, नर और नारी करके उस ने मनुष्यों की सृष्टि की। 
Gen 1:28  और परमेश्वर ने उनको आशीष दी : और उन से कहा, फूलो-फलो, और पृथ्वी में भर जाओ, और उसको अपने वश में कर लो; और समुद्र की मछलियों, तथा आकाश के पक्षियों, और पृथ्वी पर रेंगने वाले सब जन्तुओ पर अधिकार रखो। 
Gen 2:15  तब यहोवा परमेश्वर ने आदम को लेकर अदन की वाटिका में रख दिया, कि वह उस में काम करे और उसकी रक्षा करे।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन ५१-५३ 
  • रोमियों २

रविवार, 29 जुलाई 2012

वफादारी


   मैं बड़ा प्रसन्न था क्योंकि मेरी पसन्दीदा बेसबॉल टीम डेट्रौइट टाईगर्स का मैच शिकागो व्हाइट सॉक्स के साथ होने वाला था। प्रतिद्वन्दी टीम के स्टेडियम में इस मैच को देखने जाने से पहले मैंने बड़े गर्व से अपनी मनपसन्द टीम डेट्रौइट टाईगर्स की टी-शर्ट पहनी, ताकि मैं सब को दिखा सकूँ कि मैं किस टीम को समर्थन करता हूँ। किंतु मौसम में कुछ ठंडक आने के कारण मुझे उस टी-शर्ट के ऊपर एक और वस्त्र पहनना पड़ा; इससे मुझे निराशा हुई क्योंकि मैं स्टेडियम में आए लोगों को अपनी टीम के प्रति अपनी वफादारी प्रदर्शित नहीं कर पा रहा था; कोई नहीं पहचान पा रहा था कि मैं किस टीम का समर्थक हूँ। बारिश होने के कारण खेल ३ घंटे देर से आरंभ हुआ। खेल आरंभ होने के बाद मैं अपनी टीम के लिए खुले दिल से पुकार सका और सबको जता सका कि मैं किस टीम का समर्थक हूँ।

   प्रेरित पौलुस की अपने प्रभु के प्रति वफादारी सबके सामने खुली थी। उसने रोम के विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में लिखा "मैं सुसमाचार से नहीं लजाता, इसलिये कि वह हर एक विश्वास करने वाले के लिये, पहिले तो यहूदी, फिर यूनानी के लिये उद्धार के निमित्त परमेश्वर की सामर्थ है" (रोमियों १:१६)। सुसमाचार की इस सामर्थ को उसने व्यक्तिगत रीति से अनुभव किया था जब प्रभु यीशु ने उसके जीवन की दिशा और दशा दोनो को नाटकिय ढंग से बदला था। वह यह भी जानता था कि प्रभु अन्य सभी के जीवनों को भी ऐसे ही बदल सकता है; और अपने प्रचार तथा गवाही में वह यही बात सभी को बताता था, इसी कार्य के लिए उसने अपना संपूर्ण जीवन प्रभु यीशु की सेवा में समर्पित कर दिया था।

   रोम के विश्वासी भी प्रभु यीशु में अपने विश्वास के लिए जाने जाते थे; प्रभु यीशु के लिए उनकी वफादारी छुपी हुई नहीं थी। उनके विषय में भी पौलुस ने लिखा: "मैं तुम सब के लिये यीशु मसीह के द्वारा अपने परमेश्वर का धन्यवाद करता हूं, कि तुम्हारे विश्वास की चर्चा सारे जगत में हो रही है" (रोमियों १:८)।

   क्या आप भी प्रभु यीशु के अनुयायी हैं? यदि हाँ, तो क्या आप की प्रभु यीशु के प्रति वफादारी जग-विदित है? - ऐने सेटास


प्रभु यीशु के प्रति हमारी वफादारी संसार को दिखाई और सुनाई देनी चाहिए।

मैं सुसमाचार से नहीं लजाता, इसलिये कि वह हर एक विश्वास करने वाले के लिये, पहिले तो यहूदी, फिर यूनानी के लिये उद्धार के निमित्त परमेश्वर की सामर्थ है। - रोमियों १:१६

बाइबल पाठ: रोमियों १:८-१६
Rom 1:8  पहिले मैं तुम सब के लिये यीशु मसीह के द्वारा अपने परमेश्वर का धन्यवाद करता हूं, कि तुम्हारे विश्वास की चर्चा सारे जगत में हो रही है। 
Rom 1:9  परमेश्वर जिस की सेवा मैं अपनी आत्मा से उसके पुत्र के सुसमाचार के विषय में करता हूं, वही मेरा गवाह है कि मैं तुम्हें किस प्रकार लगातार स्मरण करता रहता हूं। 
Rom 1:10  और नित्य अपनी प्रार्थनाओं में बिनती करता हूं, कि किसी रीति से अब भी तुम्हारे पास आने को मेरी यात्रा परमेश्वर की इच्‍छा से सफल हो। 
Rom 1:11  क्‍योंकि मैं तुम से मिलने की लालसा करता हूं, कि मैं तुम्हें कोई आत्मिक वरदान दूं जिस से तुम स्थिर हो जाओ। 
Rom 1:12  अर्थात यह, कि मैं तुम्हारे बीच में होकर तुम्हारे साथ उस विश्वास के द्वारा जो मुझ में, और तुम में है, शान्‍ति पाऊँ। 
Rom 1:13  और हे भाइयों, मैं नहीं चाहता, कि तुम इस से अनजान रहो, कि मैं ने बार बार तुम्हारे पास आना चाहा, कि जैसा मुझे और अन्यजातियों में फल मिला, वैसा ही तुम में भी मिले, परन्‍तु अब तक रुका रहा। 
Rom 1:14  मैं यूनानियों और अन्यभाषियों का और बुद्धिमानों और निर्बुद्धियों का कर्जदार हूं। 
Rom 1:15  सो मैं तुम्हें भी जो रोम में रहते हो, सुसमाचार सुनाने को भरसक तैयार हूं। 
Rom 1:16 क्‍योंकि मैं सुसमाचार से नहीं लजाता, इसलिये कि वह हर एक विश्वास करने वाले के लिये, पहिले तो यहूदी, फिर यूनानी के लिये उद्धार के निमित्त परमेश्वर की सामर्थ है।


एक साल में बाइबल: 

  • भजन ४९-५० 
  • रोमियों १

शनिवार, 28 जुलाई 2012

मरम्मत और बहाली


   यदि आपने कभी किसी चीज़ की मरम्मत करने की असफल कोशिश की होगी तो आप एक कारखाने के सामने लगे लेख की सराहना कर सकेंगे जहां लिखा था: "आपके पति ने जिसकी मरम्मत करी है, हम उसे भी ठीक और बहाल कर सकते हैं।" चाहे खराबी कार में हो, घर के सामान में हो या पानी के पाइप अथवा नलके में हो, समस्या का निवारण उसके द्वारा ही भला होता है जो इसके लिए प्रशिक्षित हो और उस कार्य के करने में विश्वासयोग्य हो।

   यही सिद्धांत हमारे आंतरिक संघर्षों, आत्मिक जीवन और पाप पर भी लागू होता है। इन्हें अन्त करने के हमारे सभी प्रयास असफल रहते हैं; क्योंकि हम या तो अपने प्रयासों और योजनाओं के सहारे ऐसा करना चाहते हैं, या उन मनुष्यों के सुझाए मार्गों द्वारा करना चाहते हैं जो स्वयं इन बुराइयों को अपने जीवन से दूर नहीं कर सके। जबकि इन बुराइयों का अन्त केवल उसी के द्वारा संभव है जो इनके निवारण का विशेषज्ञ है, इन पर सामर्थी है - अर्थात परमेश्वर।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में यर्मियाह नबी ने अपने दिनों के उन झूठे भविष्यद्वाक्ताओं और धार्मिक अगुवों की निन्दा करी जो परमेश्वर के नाम से लोगों को झूठी दिलासा देते थे, झूठे मार्ग सुझाते थे; यर्मियाह में हो कर परमेश्वर ने उनके विषय में कहा: "वे, “शान्ति है, शान्ति,” ऐसा कह कहकर मेरी प्रजा के घाव को ऊपर ही ऊपर चंगा करते हैं, परन्तु शान्ति कुछ भी नहीं" (यर्मियाह ६:१४)। वे भविष्यद्वाक्ता और अगुवे ना तो अपने आप को सही करने पाए और ना परमेश्वर की प्रजा को। इसलिए स्वयं परमेश्वर ने अपने लोगों को पुकारा कि वे उसके मार्गों पर चलें: "यहोवा यों भी कहता है, सड़कों पर खड़े होकर देखो, और पूछो कि प्राचीनकाल का अच्छा मार्ग कौन सा है, उसी में चलो, और तुम अपने अपने मन में चैन पाओगे..." (यर्मियाह ६:१६)। परमेश्वर ने अपनी प्रजा को चेतावनी भी दी कि यदि वे बहाली की उसकी पुकार को नज़रंदाज़ करते रहे तो उन्हें फिर उसका परिणाम भी भुगतना पड़ेगा।

   इस बात के कहे जाने के कई सदियों बाद, परमेश्वर के पुत्र प्रभु यीशु ने लोगों को निमंत्रण दिया: "हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा" (मत्ती ११:२८)।

   जब हम अपने जीवन प्रभु यीशु के हाथों में समर्पित कर देते हैं तो वह उनकी मरम्मत कर के हमें अंश अंश करके अपनी समानता में बदालना आरंभ कर देता है "तो प्रभु के द्वारा जो आत्मा है, हम उसी तेजस्‍वी रूप में अंश अंश कर के बदलते जाते हैं" (२ कुरिन्थियों ३:१८); जीवन के उन भागों को भी जिनकी मरम्मत करने में हम असफल रहे हैं। मसीह यीशु में लाए गए विश्वास, पापों की क्षमा और किए गए समर्पण द्वारा हम परमेश्वर के राज्य में प्रवेश एवं निवास के लिए बहाल किये जाते हैं। जो प्रभु द्वारा इस मरम्मत के लिए दिये गए अवसर का लाभ नहीं उठाते और बहाली के लिए प्रभु की पुकार को नज़रंदाज़ करते हैं, उन्हें फिर अपने पापों का दण्ड भोगना ही पड़ेगा।

  क्या आपने अपने जीवन की मरम्मत और बहाली के लिए प्रभु यीशु द्वारा दिखाए मार्ग पर चलने का निर्णय ले लिया है? - डेविड मैक्कैसलैंड


परमेश्वर जब पाप क्षमा करता है तब वह हमारे जीवन से पाप को दूर भी करता है और आत्मा को बहाल भी करता है।

यहोवा यों भी कहता है, सड़कों पर खड़े होकर देखो, और पूछो कि प्राचीनकाल का अच्छा मार्ग कौन सा है, उसी में चलो, और तुम अपने अपने मन में चैन पाओगे... यर्मियाह ६:१६

बाइबल पाठ: यर्मियाह ६:१४-१९
Jer 6:14  वे, “शान्ति है, शान्ति,” ऐसा कह कह कर मेरी प्रजा के घाव को ऊपर ही ऊपर चंगा करते हैं, परन्तु शान्ति कुछ भी नहीं। 
Jer 6:15  क्या वे कभी अपने घृणित कामों के कारण लज्जित हुए? नहीं, वे कुछ भी लज्जित नहीं हुए?; वे लज्जित होना जानते ही नहीं; इस कारण जब और लोग नीचे गिरें, तब वे भी गिरेंगे, और जब मैं उनको दण्ड देने लगूंगा, तब वे ठोकर खाकर गिरेंगे, यहोवा का यही वचन है। 
Jer 6:16  यहोवा यों भी कहता है, सड़कों पर खडे होकर देखो, और पूछो कि प्राचीनकाल का अच्छा मार्ग कौन सा है, उसी में चलो, और तुम अपने अपने मन में चैन पाओगे। पर उन्होंने कहा, हम उस पर न चलेंगे। 
Jer 6:17  मैं ने तुम्हारे लिये पहरुए बैठा कर कहा, नरसिंगे का शब्द ध्यान से सुनना ! पर उन्होंने कहा, हम न सुनेंगे। 
Jer 6:18  इसलिये, हे जातियो, सुनो, और हे मण्डली, देख, कि इन लोगों में क्या हो रहा है। 
Jer 6:19  हे पृथ्वी, सुन; देख, कि मैं इस जाति पर वह विपत्ति ले आऊंगा जो उनकी कल्पनाओं का फल है, क्योंकि इन्होंने मेरे वचनों पर ध्यान नहीं लगाया, और मेरी शिक्षा को इन्होंने निकम्मी जाना है।


एक साल में बाइबल: 

  • भजन ४६-४८ 
  • प्रेरितों २८

शुक्रवार, 27 जुलाई 2012

आज्ञाकारिता

   जब बालक कोफी अपने संडे स्कूल (रविवार को चर्च में बच्चों को परमेश्वर के वचन बाइबल से शिक्षा दिए जाने के समय) से वापस लौटा तो उसकी माँ ने उससे पूछा कि उन्हें आज क्या सिखाया गया? तुरंत ही खिसिए हुए स्वर में कोफी का उत्तर था, "आज्ञाकारिता...एक बार फिर से वही बात!"

   यद्यपि मैं कोफी से उम्र में बहुत बड़ी हूँ, तो भी मैं सहमत हूँ कि परमेश्वर की आज्ञाकारिता का पाठ एक ऐसा पाठ है जिसे हमें बार बार सीखना पड़ता है।

   बाइबल शिक्षक ओस्वॉल्ड चैम्बर्स ने लिखा: "परमेश्वर मुझे जीने के नियम नहीं देता, परन्तु उसने जीवन के लिए अपने स्तर बिलकुल स्पष्ट बता रखे हैं। यदि उसके साथ मेरा संबंध प्रेम का संबंध है, तो जो उसको भाता है और जो वह कहता है मैं वही करूंगा; यदि मैं ऐसा करने से हिचकिचाता हूँ तो इसका तात्पर्य है कि परमेश्वर के प्रति मेरे प्रेम की प्रतिस्पर्धा में मैंने किसी दूसरे को, अर्थात स्वयं अपने आप को भी रख लिया है, और इस ’दूसरे’ एवं परमेश्वर के प्रति प्रेम में से किस के प्रेम को प्राथमिकता दूँ और निभाऊँ यही दुविधा मेरी हिचकिचाहट का कारण है।"

   जब हम परमेश्वर के आज्ञाकारी होते हैं तो हम यह दिखाते हैं कि हम परमेश्वर से प्रेम करते हैं और अपने आप में नहीं वरन उस में विश्वास रखते हैं। एक अन्य बाइबल शिक्षक आर्थर पिंक ने कहा: "प्रेम कार्यकारी होता है और अपने आप को कार्यों में व्यक्त करता है - ऐसे कार्यों में जो प्रेम के पात्र की पसन्द के अनुसार होते हैं।" परमेश्वर से प्रेम करने का अर्थ है कि हम अपनी इच्छाएं नहीं वरन उसका कहा पूरा करें।

   परमेश्वर अपने अनुयायियों से आज्ञाकारिता चाहता है। प्रभु यीशु ने आज्ञाकारिता की अनिवार्यता पर बहुत ज़ोर दिया; उन्होंने अपने चेलों से कहा: "जब तुम मेरा कहना नहीं मानते, तो क्‍यों मुझे हे प्रभु, हे प्रभु, कहते हो?" (लूका ६:४६); प्रभु यीशु ने अपने चेला होने की पहचान भी आज्ञाकारिता से ही दी: "यदि तुम मुझ से प्रेम रखते हो, तो मेरी आज्ञाओं को मानोगे" (यूहन्ना १४:१५)।

   प्रभु के लोगों के लिए परमेश्वर की आज्ञाकारिता विकल्प नहीं अनिवार्यता है। - सिंडी हैस कैसपर


परमेश्वर की आज्ञाकारिता परमेश्वर के प्रति हमारे प्रेम की अभिव्यक्ति है।

परमेश्वर का प्रेम यह है, कि हम उस की आज्ञाओं को मानें; और उस की आज्ञाएं कठिन नहीं। - १ यूहन्ना ५:३

बाइबल पाठ: १ यूहन्ना २:१-११
1Jn 2:1  हे मेरे बालको, मैं ये बातें तुम्हें इसलिये लिखता हूं, कि तुम पाप न करो; और यदि कोई पाप करे, तो पिता के पास हमारा एक सहायक है, अर्थात धामिर्क यीशु मसीह। 
1Jn 2:2 और वही हमारे पापों का प्रायश्‍चित्त है: और केवल हमारे ही नहीं, वरन सारे जगत के पापों का भी। 
1Jn 2:3  यदि हम उस की आज्ञाओं को मानेंगे, तो उस से हम जान लेंगे कि हम उसे जान गए हैं। 
1Jn 2:4  जो कोई यह कहता है, कि मैं उसे जान गया हूं, और उस की आज्ञाओं को नहीं मानता, वह झूठा है, और उस में सत्य नहीं। 
1Jn 2:5  पर जो कोई उसके वचन पर चले, उस में सचमुच परमेश्वर का प्रेम सिद्ध हुआ है: हमें इसी से मालूम होता है, कि हम उस में हैं। 
1Jn 2:6  जो कोई यह कहता है, कि मैं उस में बना रहता हूं, उसे चाहिए कि आप भी वैसा ही चले जैसा वह चलता था। 
1Jn 2:7  हे प्रियों, मैं तुम्हें कोई नई आज्ञा नहीं लिखता, पर वही पुरानी आज्ञा जो आरम्भ से तुम्हें मिली है; यह पुरानी आज्ञा वह वचन है, जिसे तुम ने सुना है। 
1Jn 2:8 फिर मैं तुम्हें नई आज्ञा लिखता हूं, और यह तो उस में और तुम में सच्‍ची ठहरती है; कयोंकि अन्‍धकार मिटता जाता है और सत्य की ज्योति अभी चमकने लगी है। 
1Jn 2:9 जो कोई यह कहता है, कि मैं ज्योति में हूं, और अपने भाई से बैर रखता है, वह अब तक अन्‍धकार ही में है। 
1Jn 2:10  जो कोई अपने भाई से प्रेम रखता है, वह ज्योति में रहता है, और ठोकर नहीं खा सकता। 
1Jn 2:11 पर जो कोई अपने भाई से बैर रखता है, वह अन्‍धकार में है, और अन्‍धकार में चलता है, और नहीं जानता, कि कहां जाता है, क्‍योंकि अन्‍धकार ने उस की आंखे अन्‍धी कर दी हैं।


एक साल में बाइबल: 

  • भजन ४३-४५ 
  • प्रेरितों २७:२७-४४

गुरुवार, 26 जुलाई 2012

एरिन


   आम ८ वर्षीय बच्चों से एरिन का जीवन बहुत भिन्न था। जब दूसरे बच्चे दौड़ और खेल रहे होते थे, आईस्क्रीम खा रहे होते थे तब एरिन बिस्तर में लेटी होती थी, एक नली द्वारा उसे भोजन दिया जाता था, वह केवल तेज़ प्रकाश में ही कुछ देख पाती थी और तेज़ आवाज़ ही सुन पाती थी। उसका जीवन, अपनी बीमारी और शारीरिक अपंगता के कारण अस्पताल, नर्सों और सुई लगाए जाने के इर्द-गिर्द ही घूमता रहता था। लेकिन उसके साथ उसका अद्भुत परिवार था जो बड़े प्रेम और करुणा के साथ उसकी देखभाल करता रहता था, और उसके जीवन को अपने प्रेम से भरता रहता था। इतना सब होने के बाद भी एरिन ९ वर्ष की होने से पहले ही चल बसी।

   एरिन जैसे मूल्यवान बच्चे के जीवन से भला कोई क्या शिक्षा ले सकता है - जिसने कभी कोई शब्द नहीं बोला, कोई गीत नहीं गाया, कोई चित्र नहीं बनाया? एरिन के परिवार के एक मित्र ने इस प्रश्न का बहुत उत्तम उत्तर दिया; उसने कहा: "एरिन का हमारे जीवनों में आना हमारे लिए भला था। उसने हमें करुणा, बिना प्रत्युत्तर में कुछ पाए प्रेम करना और जीवन की छोटी छोटी बातों की कीमत पहचानना और उनके लिए परमेश्वर का धन्यवादी होना सिखाया।"

   एरिन के जैसे बच्चे हमें यह भी स्मरण दिलाते हैं कि यह संसार केवल पूर्णतः स्वस्थ, धनवान और प्रतिभाशाली लोगों ही के लिए नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति, चाहे उसकी शारीरिक, मानसिक या भावनात्मक दशा कैसी भी क्यों ना हो, परमेश्वर की सृष्टि है, परमेश्वर के स्वरूप में सृजा गया है (उत्पत्ति १:२६-२७), और परमेश्वर कि नज़रों में बहुमूल्य है, परमेश्वर की ओर से उसका एक उद्देश्य है।

   हमारा प्रभु परमेश्वर सब के लिए भला है और उसकी दया सब पर समान रूप से रहती है (भजन १४५: ८-९); उसकी सृष्टि के कमज़ोर और अपूर्ण लोगों पर भी। प्रभु की हमसे यही आशा है कि हम प्रभु के इस प्रेम को, उसी के समान, सब के लिए समान रूप से प्रदर्षित करने वाले बनें (इफिसियों ५:१-२)।

   क्या आप भी किसी ’एरिन’ को जानते हैं जिससे आज आप कुछ सीख सकते हैं? - डेव ब्रैनन


किसी एक भी आत्मा की कीमत को कभी तुच्छ ना जानें।

यहोवा अनुग्रहकारी और दयालु, विलम्ब से क्रोध करने वाला और अति करूणामय है। यहोवा सभों के लिये भला है, और उसकी दया उसकी सारी सृष्टि पर है। - भजन १४५:८-९

बाइबल पाठ: १ कुरिन्थियों १२:२०-२७
1Co 12:20  परन्‍तु अब अंग तो बहुत से हैं, परन्‍तु देह एक ही है। 
1Co 12:21   आंख हाथ से नहीं कह सकती, कि मुझे तेरा प्रयोजन नहीं, और न सिर पांवों से कह सकता है, कि मुझे तुम्हारा प्रयोजन नहीं। 
1Co 12:22  परन्‍तु देह के वे अंग जो औरों से निर्बल देख पड़ते हैं, बहुत ही आवश्यक हैं। 
1Co 12:23  और देह के जिन अंगो को हम आदर के योग्य नहीं समझते हैं उन्‍ही को हम अधिक आदर देते हैं; और हमारे शोभाहीन अंग और भी बहुत शोभायमान हो जाते हैं। 
1Co 12:24  फिर भी हमारे शोभायमान अंगो को इस का प्रयोजन नहीं, परन्‍तु परमेश्वर ने देह को ऐसा बना दिया है, कि जिस अंग को घटी थी उसी को और भी बहुत आदर हो। 
1Co 12:25  ताकि देह में फूट न पड़े, परन्‍तु अंग एक दूसरे की बराबर चिन्‍ता करें। 
1Co 12:26  इसलिये यदि एक अंग दु:ख पाता है, तो सब अंग उसके साथ दु:ख पाते हैं; और यदि एक अंग की बड़ाई होती है, तो उसके साथ सब अंग आनन्‍द मनाते हैं। 
1Co 12:27   इसी प्रकार तुम सब मिल कर मसीह की देह हो, और अलग अलग उसके अंग हो।

एक साल में बाइबल: 

  • भजन ४०-४२ 
  • प्रेरितों २७:१-२६

बुधवार, 25 जुलाई 2012

स्थिर निगाह

   मुझे गाड़ी चलाना सिखाने वाले प्रशीक्षक का बार कहना होता था "सामने देखते हुए चलाओ"। वह चाहते थे कि मैं स्थिर निगाह से केवल सामने की ओर देखती रहूँ, ना कि अपने पास के दृश्यों और लोगों को देखूं और गाड़ी चलाने से मेरा ध्यान बटे; क्योंकि वे चालक जो अपने आस-पास के दृश्यों की ओर निगाहें घुमाते रहते हैं, उनके द्वारा दुर्घटना हो जाने की संभावना अधिक रहती है।

   हम मसीही विश्वासियों की जीवन यात्रा में भी शैतान कई ऐसे आकर्षण लाता रहता है जिससे कि हमारा ध्यान अपने प्रभु और मार्गदर्शक से हट जाए और शैतान ही की बातों की ओर भटक जाए। यदि वह ऐसा करने में सफल हो जाएगा तो फिर वह हमें सही मार्ग से भटका कर ना केवल हमारी आत्मिक प्रगति को बाधित करने पाएगा, वरन हमारे जीवन में हानि भी लाने पाएगा। ध्यान भटकाने का यह दाँव उसने प्रभु यीशु पर भी आज़माया था!

   प्रभु यीशु की सेवकाई के आरंभ में शैतान ने प्रभु को परमेश्वर द्वारा सौंपे गए कार्यों को पूरा करने के लिए कुछ ’बेहतर’ उपाय सुझाए। शैतान ने प्रभु यीशु से कहा कि वह अपने आप को मन्दिर के कंगूरे अर्थात सबसे ऊँचे स्थान से नीचे फेंक कर भी प्रमाणित कर सकता है कि वह परमेश्वर का पुत्र है (लूका ४:९-११)। लेकिन प्रभु यीशु जानते थे कि किसी भवन से नीचे गिरने के द्वारा वे परमेश्वर के पुत्र प्रमाणित नहीं होंगे, ऐसा केवल उनके क्रूस पर बलिदान होने और मृतकों में से पुनः जी उठने के द्वारा ही संभव है, इसलिए उन्होंने शैतान को उत्तर दिया, "...यह भी कहा गया है, कि तू प्रभु अपने परमेश्वर की परीक्षा न करना" (लूका ४:१२)। प्रभु यीशु की निगाहें संसार के लिए उद्धार का मार्ग तैयार करने पर स्थिर थीं; वे जानते थे कि समस्त संसार के उद्धार का यह कार्य, यदि वे क्रूस से बचकर निकले, तो संभव नहीं हो सकता था - जो शैतान करवाना चाहता था; उन्होंने अपनी निगाहें अपने लक्ष्य पर स्थिर बनाए रखीं और अपने कार्य को पूरा किया।

   आत्मिक खतरों से बचने का एक मात्र तरीका है कि अपनी निगाहें प्रभु यीशु पर स्थिर रखें (इब्रानियों १२:२), और शैतान द्वारा लाई जा रही सही मार्ग से भटकाने वाली बातों की ओर दृष्टि ना करें। - जूली ऐकैरमैन लिंक


हमें शैतान को कभी भी अपनी नज़रों के सामने नहीं, सदैव ही पीछे रखना चाहिए।


इस कारण जब कि गवाहों का ऐसा बड़ा बादल हम को घेरे हुए है, तो आओ, हर एक रोकने वाली वस्‍तु, और उलझाने वाले पाप को दूर कर के, वह दौड़ जिस में हमें दौड़ना है, धीरज से दौड़ें। और विश्वास के कर्ता और सिद्ध करने वाले यीशु की ओर ताकते रहें; जिस ने उस आनन्‍द के लिये जो उसके आगे धरा था, लज्ज़ा की कुछ चिन्‍ता न कर के, क्रूस का दुख सहा; और सिंहासन पर परमेश्वर के दाहिने जा बैठा। - इब्रानियों १२:१-२

बाइबल पाठ: लूका ४:१-१३
Luk 4:1  फिर यीशु पवित्र आत्मा से भरा हुआ, यरदन से लौटा; और चालीस दिन तक आत्मा के सिखाने से जंगल में फिरता रहा, और शैतान उस की परीक्षा करता रहा। 
Luk 4:2  उन दिनों में उस ने कुछ न खाया और जब वे दिन पूरे हो गए, तो उसे भूख लगी। 
Luk 4:3  और शैतान ने उस से कहा, यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो इस पत्थर से कह, कि रोटी बन जाए; 
Luk 4:4  यीशु ने उसे उत्तर दिया कि लिखा है, मनुष्य केवल रोटी से जीवित न रहेगा। 
Luk 4:5  तब शैतान उसे ले गया और उस को पल भर में जगत के सारे राज्य दिखाए। 
Luk 4:6 और उस से कहा, मैं यह सब अधिकार, और इन का वैभव तुझे दूंगा, क्‍योंकि वह मुझे सौंपा गया है: और जिसे चाहता हूं, उसी को दे देता हूं। 
Luk 4:7  इसलिये, यदि तू मुझे प्रणाम करे, तो यह सब तेरा हो जाएगा। 
Luk 4:8  यीशु ने उसे उत्तर दिया, लिखा है कि तू प्रभु अपने परमेश्वर को प्रणाम कर; और केवल उसी की उपासना कर। 
Luk 4:9 तब उस ने उसे यरूशलेम में ले जाकर मन्‍दिर के कंगूरे पर खड़ा किया, और उस से कहा, यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो अपने आप को यहां से नीचे गिरा दे। 
Luk 4:10 क्‍योंकि लिखा है, कि वह तेरे विषय में अपने स्‍वर्गदूतों को आज्ञा देगा, कि वे तेरी रक्षा करें। 
Luk 4:11  और वे तुझे हाथों हाथ उठा लेंगे ऐसा न हो कि तेरे पांव में पत्थर से ठेस लगे। 
Luk 4:12  यीशु ने उस को उत्तर दिया, यह भी कहा गया है, कि तू प्रभु अपने परमेश्वर की परीक्षा न करना। 
Luk 4:13  जब शैतान सब परीक्षा कर चुका, तब कुछ समय के लिये उसके पास से चला गया।

एक साल में बाइबल: 

  • भजन ३७-३९ 
  • प्रेरितों २६

मंगलवार, 24 जुलाई 2012

प्रभाव का क्षेत्र

   सुप्रसिद्ध मसिही प्रचारक बिली ग्राहम की सेवकाई पर लिखी गई पुस्तक The Preacher and the Presidents उनके प्रभाव के क्षेत्र के बारे में बताती है। बिली ग्राहम की मसीही सेवकाई अमेरिका के राष्ट्रपतियों तक भी थी, हैरी ट्रूमैन से लेकर जौर्ज बुश के समय तक राष्ट्रपति निवास ’व्हाईट हाउस’  में उनका आना-जाना रहता था और उनके लिए व्हाईट हाउस के द्वार खुले ही होते थे। अपने इस असाधारण प्रभाव के बावजूद भी उन्होंने बार बार परमेश्वर के अनुग्रह ही को इस का श्रेय दिया, जिसने उन में हो कर कार्य किया, ना कि अपनी किसी व्यक्तिगत प्रतिभा को।

   प्रभु यीशु का अनुयायी प्रेरित पौलुस भी ऐसा ही एक व्यक्ति था जिसे परमेश्वर ने बड़े अधिकारियों के सामने गवाही के लिए बुलाया था। मसीह यीशु ने पौलुस के लिए कहा, "...यह, तो अन्यजातियों और राजाओं, और इस्‍त्राएलियों के साम्हने मेरा नाम प्रगट करने के लिये मेरा चुना हुआ पात्र है" (प्रेरितों ९:१५)।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में, प्रेरितों के काम में हम पढ़ते हैं कि पौलुस के प्रभाव के क्षेत्र में कई शासक, जैसे फीलिक्स, फेस्तुस, हेरोड अग्रिप्पा और संभवत: रोमी सम्राट कैसर भी थे (प्रेरितों २४-२६)। लेकिन जैसे बिली ग्राहम ने पौलुस से कई सदियों बाद कहा, पौलुस ने भी अपनी सेवाकाई के विषय में सारा श्रेय उसमें होकर कार्य करने वाले परमेश्वर के अनुग्रह ही को दिया; उसने कहा "...यह मेरी ओर से नहीं हुआ परन्‍तु परमेश्वर के अनुग्रह से जो मुझ पर था" (१ कुरिन्थियों १५:१०)।

   संभव है कि आपको शासकों और बड़े अधिकारियों के समक्ष सुसमाचार प्रचार की सेवकाई के लिए नहीं बुलाया गया हो, लेकिन परमेश्वर ने आपके जीवन में ऐसे लोगों को रखा है जिनके लिए वह चाहता है कि आप उनके साथ उद्धार और आशा का सुसमाचार बांटें। क्यों ना आप इस बात को अपनी प्रार्थना का विषय बना लें कि परमेश्वर का अनुग्रह आप में हो कर उन लोगों तक पहुँचे जिनके बीच में परमेश्वर ने आपको अपना गवाह बना कर रखा है, जो आपके प्रभाव के क्षेत्र में हैं। - डेनिस फिशर


गवाही के लिए सबसे अच्छा स्थान वही है जहां परमेश्वर ने आपको रखा है।

...यह, तो अन्यजातियों और राजाओं, और इस्‍त्राएलियों के साम्हने मेरा नाम प्रगट करने के लिये मेरा चुना हुआ पात्र है। - प्रेरितों ९:१५

बाइबल पाठ: प्रेरितों २५:१०-२३
Act 25:10  पौलुस ने कहा; मैं कैसर के न्याय आसन के साम्हने खड़ा हूं: मेरे मुकद्दमें का यहीं फैसला होना चाहिए: जैसा तू अच्‍छी तरह जानता है, यहूदियों का मैं ने कुछ अपराध नहीं किया। 
Act 25:11  यदि अपराधी हूं और मार डाले जाने योग्य कोई काम किया है, तो मरने से नहीं मुकरता; परन्‍तु जिन बातों का ये मुझ पर दोष लगाते हैं, यदि उन में से कोई बात सच न ठहरे, तो कोई मुझे उन के हाथ नहीं सौंप सकता: मैं कैसर की दोहाई देता हूं। 
Act 25:12  तब फेस्‍तुस ने मन्‍त्रियों की सभा के साथ बातें कर के उत्तर दिया, तू ने कैसर की दोहाई दी है, तू कैसर के पास जाएगा।
Act 25:13  और कुछ दिन बीतने के बाद अग्रिप्‍पा राजा और बिरनीके ने कैसरिया में आकर फेस्‍तुस से भेंट की। 
Act 25:14  और उन के बहुत दिन वहां रहने के बाद फेस्‍तुस ने पौलुस की कथा राजा को बताई, कि एक मनुष्य है, जिसे फेलिक्‍स बन्‍धुआ छोड़ गया है। 
Act 25:15  जब मैं यरूशलेम में था, तो महायाजक और यहूदियों के पुरिनयों ने उस की नालिश की और चाहा, कि उस पर दण्‍ड की आज्ञा दी जाए। 
Act 25:16  परन्‍तु मैं ने उन को उत्तर दिया, कि रोमियों की यह रीति नहीं, कि किसी मनुष्य को दण्‍ड के लिये सौंप दें, जब तक मुद्दाअलैह को अपने मुद्दइयों के आमने सामने खड़े होकर दोष के उत्तर देने का अवसर न मिले। 
Act 25:17  सो जब वे यहां इकट्ठे हुए, तो मैं ने कुछ देर न की, परन्‍तु दूसरे ही दिन न्याय आसन पर बैठकर, उस मनुष्य को लाने की आज्ञा दी। 
Act 25:18  जब उसके मुद्दई खड़े हुए, तो उन्‍होंने ऐसी बुरी बातों का दोष नहीं लगाया, जैसा मैं समझता था। 
Act 25:19  परन्‍तु अपने मत के, और यीशु नाम किसी मनुष्य के विषय में जो मर गया था, और पौलुस उस को जीवित बताता था, विवाद करते थे। 
Act 25:20  और मैं उलझन में था, कि इन बातों का पता कैसे लगाऊं इसलिये मैं ने उस से पूछा, क्‍या तू यरूशलेम जाएगा, कि वहां इन बातों का फैसला हो? 
Act 25:21  परन्‍तु जब पौलुस ने दोहाई दी, कि मेरे मुकद्दमे का फैसला महाराजाधिराज के यहां हो, तो मैं ने आज्ञा दी, कि जब तक उसे कैसर के पास न भेजूं, उस की रखवाली की जाए। 
Act 25:22  तब अग्रिप्‍पा ने फेस्‍तुस से कहा, मैं भी उस मनुष्य की सुनना चाहता हूं: उस ने कहा, तू कल सुन लेगा।
Act 25:23  सो दूसरे दिन, जब अग्रिप्‍पा और बिरनीके बड़ी धूमधाम से आकर पलटन के सरदारों और नगर के बड़े लोगों के साथ दरबार में पहुंचे, तो फेस्‍तुस ने आज्ञा दी, कि वे पौलुस को ले आएं।

एक साल में बाइबल: 

  • भजन ३५-३६ 
  • प्रेरितों २५

बुद्धिमानी के उत्तर


   जब धार्मिक अगुवे व्यभिचार में पकड़ी गई उस स्त्री को लेकर प्रभु यीशु के पास आए और उससे पुछने लगे कि उस स्त्री के साथ क्या किया जाना चाहिए, तो प्रभु यीशु ने उन्हें तुरन्त उत्तर नहीं दिया; वरन वे नीचे झुककर भूमि पर कुछ लिखने लगे (यूहन्ना ८:६-११)। उन्होंने क्या लिखा यह तो हम नहीं जानते, परन्तु जब भीड़ उनसे पूछती ही रही तो एक छोटे वाक्य में प्रभु यीशु ने अपना उत्तर दे दिया: "...तुममें जो निष्‍पाप हो, वही पहिले उसको पत्थर मारे" (यूहन्ना ८:७)। इस छोटे से वाक्य के थोड़े से शब्द उन धार्मिक अगुवों को उनके अपने पाप दिखाने के लिए काफी थे, और वे सब एक एक करके वहां से चले गए। प्रभु यीशु के ये शब्द आज भी संसार भर में गूंज रहे हैं और लोगों को दूसरों पर दोष देने की बजाए स्वयं अपने पापों के प्रति सचेत रहने को प्रेरित कर रहे हैं।

   इन थोड़े शब्दों के बड़े प्रभावी होने का कारण था प्रभु यीशु की अपने स्वर्गीय पिता पर सदा बने रहने वाली निर्भरता; उन्होंने अपने विषय में कहा, "...उस की आज्ञा अनन्‍त जीवन है इसलिये मैं जो बोलता हूं, वह जैसा पिता ने मुझ से कहा है वैसा ही बोलता हूं" (यूहन्ना १२:५०)। काश हम सब भी प्रभु यीशु के समान सदा अपने परमेश्वर पिता पर निर्भर रहते और उसकी बुद्धिमता पर निर्भर हो कर ही हर बात का उत्तर देने वाले होते।

   यह बुद्धिमानी आरंभ होती है याकूब की पत्री में लिखे उपदेश के पालन के साथ: "...इसलिये हर एक मनुष्य सुनने के लिये तत्‍पर और बोलने में धीरा और क्रोध में धीमा हो" (याकूब १:१९)। जिस धीमेपन की बात यहां करी जा रहा है वह अज्ञानता, भीतरी खोखलेपन, कायरता, लज्जा या दोषी होने के कारण होने वाली मूँह और बुद्धि की खामोशी नहीं है। यह वह खामोशी है जो परमेश्वर पर विचारमग्न रहने और उस पर ध्यान लगाए रखने से आई बुद्धिमानी द्वारा उत्पन्न होती है।

   हम से कई बार कहा जाता है कि बोलने से पहले ज़रा सा थम कर, विचार कर के, फिर बोलें। लेकिन मेरा मानना है कि उत्तर देने की प्रवृत्ति को इस स्तर से भी आगे ले जाकर, सदा परमेश्वर की सुनते रहें और उस पर निर्भर होकर उसके निर्देषों के अनुसार उत्तर देने को अपनी आदत बना लें। जब यह निर्भरता हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन जाएगी, तब हमारे सभी उत्तर भी बुद्धिमानी के उत्तर होंगे। - डेविड रोपर


परमेश्वर के लिए बोलने से पहले परमेश्वर की सुनने वाले बनें।

और मैं जानता हूं, कि उस की आज्ञा अनन्‍त जीवन है इसलिये मैं जो बोलता हूं, वह जैसा पिता ने मुझ से कहा है वैसा ही बोलता हूं। - यूहन्ना १२:५०

बाइबल पाठ: यूहन्ना ८:१-११
Joh 8:1  परन्‍तु यीशु जैतून के पहाड़ पर गया।
Joh 8:2  और भोर को फिर मन्‍दिर में आया, और सब लोग उसके पास आए; और वह बैठकर उन्‍हें उपदेश देने लगा।
Joh 8:3   तब शास्त्री और फरीसी एक स्त्री को लाए, जो व्यभिचार में पकड़ी गई थी, और उस को बीच में खड़ी करके यीशु से कहा।
Joh 8:4   हे गुरू, यह स्त्री व्यभिचार करते ही पकड़ी गई है।
Joh 8:5  व्यवस्था में मूसा ने हमें आज्ञा दी है कि ऐसी स्‍त्रियों को पत्थरवाह करें: सो तू इस स्त्री के विषय में क्‍या कहता है?
Joh 8:6  उन्‍होंने उस को परखने के लिये यह बात कही ताकि उस पर दोष लगाने के लिये कोई बात पाएं, परन्‍तु यीशु झुककर उंगली से भूमि पर लिखने लगा।
Joh 8:7  जब वे उस से पूछते रहे, तो उस ने सीधे होकर उन से कहा, कि तुम में जो निष्‍पाप हो, वही पहिले उसको पत्थर मारे।
Joh 8:8   और फिर झुककर भूमि पर उंगली से लिखने लगा।
Joh 8:9  परन्‍तु वे यह सुनकर बड़ों से लेकर छोटों तक एक एक करके निकल गए, और यीशु अकेला रह गया, और स्त्री वहीं बीच में खड़ी रह गई।
Joh 8:10 यीशु ने सीधे होकर उस से कहा, हे नारी, वे कहां गए? क्‍या किसी ने तुझ पर दंड की आज्ञा न दी।
Joh 8:11  उस ने कहा, हे प्रभु, किसी ने नहीं: यीशु ने कहा, मैं भी तुझ पर दंड की आज्ञा नहीं देता; जा, और फिर पाप न करना।


एक साल में बाइबल: 

  • भजन १२३-१२५ 
  • १ कुरिन्थियों १०:१-१८

सोमवार, 23 जुलाई 2012

भरोसा

   सामान खरीदने के लिए एक दुकान में घूमते समय मैंने एक आदमी को देखा जिसने सुर्ख लाल रंगी टी-शर्ट पहनी थी जिसपर लिखा था: "भरोसा - वह भावना जो परिस्थिति की सही पहचान होने से पहले तक ही हमारे भीतर रहती है।"

   इस मनोरंजक वाक्य पर मैं मन ही मन हंसा, किंतु मुझे यह एहसास भी हुआ कि उस टी-शर्ट पर एक बुद्धिमता पूर्ण और गंभीर चेतावनी भी लिखी थी, जो हम सब के लिए थी। हमारे लिए, जो अपनी ही सामर्थ और योग्यता पर भरोसा कर के सब कुछ करना चाहते हैं और परमेश्वर को नज़रंदाज़ करते हैं, उसपर अपना भरोसा नहीं रखते। यदि हम यह सोचते हैं कि जीवन के हर कार्य को हम अपनी सामर्थ से करने पाएंगे, तो यह विश्वास झूठा है जो किसी न किसी दिन हमारी ही हानि का कारण ठहरेगा और हम अपनी ही असफलताओं के बोझ तले दबते चले जाएंगे।

   प्रेरित पौलुस ने इस बात के लिए कुरिन्थुस के विश्वासियों को इस्त्राएलियों के जीवन में आए अपनी ही योग्यता और सामर्थ के उदाहरण द्वारा चिताया। पौलुस ने उन्हें स्मरण दिलाया कि कैसे इस्त्राएलियों ने अपने पक्ष में हो रही हर बात के कारण अपनी नज़रें परमेश्वर से हटा कर अपने आप को दंभ और फिर पाप में फंसा लिया, जो उनके पतन का कारण बन गया। पौलुस ने चिताया कि वे इस बात से शिक्षा लें और अपना निष्कर्ष दिया: "इसलिये जो समझता है, कि मैं स्थिर हूं, वह चौकस रहे कि कहीं गिर न पड़े" (१ कुरिन्थियों १०:१२)।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भजन ११८:८, जो संपूर्ण बाइबल के मध्य का पद भी है, में लिखा है "यहोवा की शरण लेनी, मनुष्य पर भरोसा रखने से उत्तम है।" आज आपका भरोसा कहां और किसपर है? - बिल क्राउडर


प्रभु यीशु में भरोसा ही सही भरोसा है।


इसलिये जो समझता है, कि मैं स्थिर हूं, वह चौकस रहे कि कहीं गिर न पड़े। - १ कुरिन्थियों १०:१२

बाइबल पाठ: १ कुरिन्थियों १०:१-१२
1Co 10:1  हे भाइयों, मैं नहीं चाहता, कि तुम इस बात से अज्ञात रहो, कि हमारे सब बापदादे बादल के नीचे थे, और सब के सब समुद्र के बीच से पार हो गए।
1Co 10:2  और सब ने बादल में, और समुद्र में, मूसा का बपतिस्मा लिया।
1Co 10:3  और सब ने एक ही आत्मिक भोजन किया।
1Co 10:4  और सब ने एक ही आत्मिक जल पीया, क्‍योंकि वे उस आत्मिक चट्टान से पीते थे, जो उन के साथ-साथ चलती थी; और वह चट्टान मसीह था।
1Co 10:5  परन्‍तु परमेश्वर उन में के बहुतेरों से प्रसन्न न हुआ, इसलिये वे जंगल में ढेर हो गए।
1Co 10:6  ये बातें हमारे लिये दृष्‍टान्‍त ठहरीं, कि जैसे उन्‍होंने लालच किया, वैसे हम बुरी वस्‍तुओं का लालच न करें।
1Co 10:7  और न तुम मूरत पूजने वाले बनों, जैसे कि उन में से कितने बन गए थे, जैसा लिखा है, कि लोग खाने-पीने बैठे, और खेलने-कूदने उठे।
1Co 10:8  और न हम व्यभिचार करें, जैसा उन में से कितनों ने किया: एक दिन में तेईस हजार मर गये।
1Co 10:9  और न हम प्रभु को परखें, जैसा उन में से कितनों ने किया, और सांपों के द्वारा नाश किए गए।
1Co 10:10  और न तुम कुड़कुड़ाओ, जिस रीति से उन में से कितने कुड़कुड़ाए, और नाश करने वाले के द्वारा नाश किए गए।
1Co 10:11 परन्‍तु ये सब बातें, जो उन पर पड़ी, दृष्‍टान्‍त की रीति पर भी: और वे हमारी चितावनी के लिये जो जगत के अन्‍तिम समय में रहते हैं लिखी गईं हैं।
1Co 10:12  इसलिये जो समझता है, कि मैं स्थिर हूं, वह चौकस रहे, कि कहीं गिर न पड़े।


एक साल में बाइबल: 

  • भजन ३३-३४ 
  • प्रेरितों २४

रविवार, 22 जुलाई 2012

अवकाशप्राप्त?

   संसार के सबसे ऊँचे पर्वत शिखर माउन्ट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले एडमण्ड हेलेरी और तेन्ज़िंग नौर्गे थे जिन्होंने १९५३ में यह किया। उस समय हिलेरी की उम्र ३३ वर्ष की थी। इस कारनामे ने उन्हें ख्याति और दौलत तो दी ही, साथ ही यह एहसास भी दिया कि उन्होंने एक बहुत महत्वपूर्ण कार्य भी पूरा कर लिया है।


   इसके बाद के शेष ५५ वर्ष के जीवन में हिलेरी ने क्या किया? क्या उसने जीवन के कार्यों से अवकाश लेकर अपनी उपलब्धी की ख्याति पर ही बैठे रहना अपने लिए उचित समझा? जी नहीं, कदापि नहीं।

   चाहे अब हिलेरी के लिए चढ़ने को कोई और पर्वत शिखर ना बचा हो, लेकिन इस बात ने उसे शिथिल नहीं कर दिया। वह अपने जीवन भर अन्य कई महत्वपुर्ण कार्य करते रहे, जिन में से एक था माउन्ट एवरेस्ट के निकट रहने वाले नेपाली शेर्पाओं के जीवन स्तर को सुधारना और उनकी उन्न्ति के लिए कार्य करना - २००८ में अपनी मृत्यु तक वे इस कार्य में लगे रहे।

   क्या आप जान्ते हैं कि परमेश्वर ने अपने मन्दिर में सेवकाई करने वाले लेवियों के लिए अवकाश प्राप्त करने की आयु ५० वर्ष ठहराई थी (गिनती ८:२४-१५)। लेकिन मन्दिर की सेवकाई से अवकाश का अर्थ हर एक कार्य से अवकाश नहीं था। परमेश्वर ने साथ ही यह भी ठहराया कि "...वे अपने भाई बन्धुओं के साथ मिलापवाले तम्बू के पास रक्षा का काम किया करें..." (गिनती ८:२६)। यह हमें दिखाता है कि अपनी आयु भर दूसरों की सहायता करते रहना, कार्यों में हाथ बंटाना, हमारे लिए परमेश्वर की इच्छा है।

   बहुत से लोगों को लगता है कि अवकाशप्राप्त करने के बाद सार्थक रीति से समय बिताने के लिए उनके पास कुछ भी नहीं है। लेकिन जैसा एडमण्ड हिलेरी और लेवियों ने किया, अवकाश प्राप्त करने के बाद हम अपने जीवन का पुनःआंकलन कर सकते हैं और किसी ना किसी रूप में दूसरों की सहायता में अपने समय को लगा सकते हैं। - सी. पी. हीया


जब हम अपने आप को दूसरों के लिए व्यय करने लगते हैं तो जीवन में एक नया अर्थ आ जाता है।


"...वे अपने भाई बन्धुओं के साथ मिलापवाले तम्बू के पास रक्षा का काम किया करें..." - गिनती ८:२६

बाइबल पाठ: गिनती ८:२३-२६
Num 8:23  फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
Num 8:24  जो लेवियों को करना है वह यह है, कि पच्चीस वर्ष की अवस्था से लेकर उस से अधिक आयु में वे मिलापवाले तम्बू सम्बन्धी काम करने के लिये भीतर उपस्थित हुआ करें;
Num 8:25  और जब पचास वर्ष के हों तो फिर उस सेवा के लिये न आएं और न काम करें;
Num 8:26  परन्तु वे अपने भाई बन्धुओं के साथ मिलापवाले तम्बू के पास रक्षा का काम किया करें, और किसी प्रकार की सेवकाई न करें। लेवियों को जो जो काम सौंपे जाएं उनके विषय तू उन से ऐसा ही करना।

एक साल में बाइबल: 

  • भजन ३१-३२ 
  • प्रेरितों २३:१६-३५


शनिवार, 21 जुलाई 2012

योग्य

   जब मेरे बच्चे छोटे थे, तो मुझे लगता था कि वे मेरी उपलब्धियों से, चाहे वे कितनी भी थोड़ी या छोटी क्यों न हों, अवश्य ही प्रभावित होंगे - वे मेरे द्वारा लिखी पुस्तकें पढ़ेंगे और मेरे प्रवचन देने जाने के कार्यक्रमों को मान देंगे। फिर मुझे ज्ञात हुआ कि उन्होंने कभी भी मेरे द्वारा लिखी कोई पुस्तक नहीं पढ़ी और ना ही उन्हें मेरे प्रवचन के कार्यक्रमों में कोई रुचि थी। आखिरकर जब मेरे सबसे बड़े बेटे ने मेरी एक पुस्तक पढ़ी भी, तो उसने साथ ही पढ़ने के कारण को भी मुझे बता दिया - कि मैं लोगों को यह कहना बन्द करूँ कि मेरे बच्चों ने मेरी पुस्तकें नहीं पढ़ीं हैं!

   छोटे बच्चों के लिए अपने बड़ों की उपलब्धियों का कोई विशेष महत्व नहीं होता, क्योंकि वे उनकी समझ और संसार से बाहर कि बातें हैं। उनसे मिलने और उन्हें प्रभावित करने के लिए उनके स्तर पर आना उनके समान उनके संसार में रहना, उनके साथ समय बिताना आवश्यक है; जैसे उनके साथ लूडो या सांप-सीढ़ी खेलना, या मैदान में गेंद के साथ कुछ खेलना इत्यादि। जब हम अपने आप को उनके स्तर पर लाते हैं तब ही वे हमारे साथ सामंजस्य बनाने पाते हैं, हमारे साथ संबंध प्रगाढ़ करने पाते हैं, अपनी बात हमें बताने और समझाने के लिए खुलने पाते हैं। संसार में हमारा स्तर, ज्ञान, प्रतिभा और सामर्थ उन्हें प्रभावित नहीं करता; हमारा उनके समान हो कर उनकी बातों को समझना ही उन्हें प्रभावित करता है, उन्हें भाता है, और हमारे और उनके बीच की दूरी को पाटने पाता है।

   यही परमेश्वर ने हमारे साथ और हमारे लिए किया; परमेश्वरत्व के सारी महिमा और सामर्थ छोड़कर वह एक साधारण मनुष्य बनकर स्वर्ग से इस पृथ्वी पर एक साधारण मनुष्य के समान रहने आ गया। परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रभु यीशु के चेले यूहन्ना प्रेरित ने लिखा, "और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्‍चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में डेरा किया, और हम ने उस की ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा" (यूहन्ना १:१४)। हमारे स्तर पर आने के द्वारा उसने अपने और हमारे बीच की सारी दूरी हमेशा के लिए पाट दी और मनुष्य के संसार से स्वर्ग तक जाने का मार्ग तैयार कर के दे दिया।

   जब हम उसके द्वारा करी गई इस बात की गंभीरता और गहराई का, स्वर्ग के वैभव, महिमा और सामर्थ को छोड़कर एक साधारण मनुष्य के समान जीवन जीने में किए गए त्याग का, और हमारे पापों के लिए अपने आप को बलिदान करने के द्वारा चुकाई गई उस कीमत का अंदाज़ा लगाने पाते हैं जो प्रभु यीशु ने हमारे लिए चुकाई, तब ही हम समझने पाते हैं कि क्यों केवल वह ही हमारी आरधना और उपासना के योग्य है। - जो स्टोवैल


प्रभु यीशु ने अनन्त और असीम प्रमेश्वर तथा नाश्वान एवं सीमित मनुष्य के बीच की दूरी पाट दी।

और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्‍चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में डेरा किया, और हम ने उस की ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा। - यूहन्ना १:१४

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों २:१-११
Php 2:1  सो यदि मसीह में कुछ शान्‍ति और प्रेम से ढाढ़स और आत्मा की सहभागिता, और कुछ करूणा और दया है।
Php 2:2  तो मेरा यह आनन्‍द पूरा करो कि एक मन रहो और एक ही प्रेम, एक ही चित्त, और एक ही मनसा रखो।
Php 2:3  विरोध या झूठी बड़ाई के लिये कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्‍छा समझो।
Php 2:4  हर एक अपनी ही हित की नहीं, बरन दूसरों की हित की भी चिन्‍ता करे।
Php 2:5  जैसा मसीह यीशु का स्‍वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्‍वभाव हो।
Php 2:6  जिस ने परमेश्वर के स्‍वरूप में होकर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्‍तु न समझा।
Php 2:7  वरन अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्‍वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया।
Php 2:8   और मनुष्य के रूप में प्रगट होकर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली।
Php 2:9  इस कारण परमेश्वर ने उसको अति महान भी किया, और उसको वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्‍ठ है।
Php 2:10  कि जो स्‍वर्ग में और पृथ्वी पर और जो पृथ्वी के नीचे हैं, वे सब यीशु के नाम पर घुटना टेकें।
Php 2:11  और परमेश्वर पिता की महिमा के लिये हर एक जीभ अंगीकार कर ले कि यीशु मसीह ही प्रभु है।


एक साल में बाइबल: 

  • भजन २९-३० 
  • प्रेरितों २३:१-१५

शुक्रवार, 20 जुलाई 2012

अनुग्रह, दया और शांति

   परमेश्वर के वचन बाइबल में पौलुस द्वारा लिखी पत्रियों में उसके आरंभिक अभिन्दन में दो शब्द - अनुग्रह और शांति सदैव पाए जाते हैं। तिमुथियुस और तीतुस को लिखी पत्रियों में पौलुस ने उनके साथ ही एक और शब्द का प्रयोग किया, दया: "प्रिय पुत्र तीमुथियुस के नाम। परमेश्वर पिता और हमारे प्रभु मसीह यीशु की ओर से तुझे अनुग्रह और दया और शान्‍ति मिलती रहे।" (२ तिमुथियुस १:२)। आइए, पौलुस द्वारा प्रयुक्त इन तीनों शब्दों के तात्पर्य को परमेश्वर के वचन के संदर्भ से ही समझते हैं:

   अनुग्रह: पवित्र परमेश्वर द्वारा हम पापी मनुष्यों को दिया जाना वाली वह दान है जिसके हम सर्वथा अयोग्य हैं। प्रेरितों १७:२५ में लिखा है कि, "...क्‍योंकि वह तो आप ही सब को जीवन और श्वास और सब कुछ देता है"। परमेश्वर से मिलने वाली अनेकानेक भेटों में हमारी अगली श्वास भी एक है और प्रत्येक परिस्थिति में, चाहे वह कितनी ही विकट क्यों ना हो, उसे सहन करने की सामर्थ भी उससे हमें मिलती रहती है।

   दया: पवित्र परमेश्वर का वह गुण है जिसके अन्तर्गत वह हमें वह सब नहीं देता जो हमारे लिए उचित है, हम जिसके योग्य हैं। विलापगीत ३:२२-२३ में लिखा है, "हम मिट नहीं गए; यह यहोवा की महाकरुणा का फल है, क्योंकि उसकी दया अमर है। प्रति भोर वह नई होती रहती है; तेरी सच्चाई महान है।" चाहे हम उसके मार्गों और उससे विमुख भी हों तो भी वह हमें समय और सहायता देता रहता है कि हम पश्चाताप में उसकी ओर मुड़ सकें और उसके साथ अपने संबंधों को ठीक कर सकें।

   शांति: पवित्र परमेश्वर की वह भेंट है जो वह अपने लोगों को देता है। प्रभु यीशु ने कहा, "मैं तुम्हें शान्‍ति दिए जाता हूं, अपनी शान्‍ति तुम्हें देता हूं; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता: तुम्हारा मन न घबराए और न डरे" (यूहन्ना १४:२७)। बुरी से बुरी परिस्थिति और दिनों में प्रभु यीशु के विश्वासियों के मन शांत और स्थिर रह सकते हैं क्योंकि उनका प्रभु उनकी हर परिस्थिति और बात को नियंत्रित करता है और उसे अपने वश में रखता है।

   हम मसीही विश्वासियों को यह प्रोत्साहन है कि उसे समर्पित जीवन व्यतीत करने के लिए आवश्यक परमेश्वर का अनुग्रह, दया और शांति हमारे जीवन भर हमारे साथ बनी रहेंगी। - एल्बर्ट ली


परमेश्वर का अनुग्रह अपरिमित है, उसकी दया अक्षय है और उसकी शांति अवर्णनीय है।


हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह, और जो कुछ मुझ में है, वह उसके पवित्र नाम को धन्य कहे! - भजन १०३:१

बाइबल पाठ: भजन १०३
Psa 103:1  हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह, और जो कुछ मुझ में है, वह उसके पवित्र नाम को धन्य कहे!
Psa 103:2  हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह, और उसके किसी उपकार को न भूलना।
Psa 103:3  वही तो तेरे सब अधर्म को क्षमा करता, और तेरे सब रोगों को चंगा करता है,
Psa 103:4  वही तो तेरे प्राण को नाश होने से बचा लेता है, और तेरे सिर पर करूणा और दया का मुकुट बान्धता है,
Psa 103:5  वही तो तेरी लालसा को उत्तम पदार्थों से तृप्त करता है, जिस से तेरी जवानी उकाब की नाईं नई हो जाती है।
Psa 103:6  यहोवा सब पिसे हुओं के लिये धर्म और न्याय के काम करता है।
Psa 103:7  उस ने मूसा को अपनी गति, और इस्राएलियों पर अपने काम प्रगट किए।
Psa 103:8  यहोवा दयालु और अनुग्रहकरी, विलम्ब से कोप करने वाला और अति करूणामय है।
Psa 103:9  वह सर्वदा वादविवाद करता न रहेगा, न उसका क्रोध सदा के लिये भड़का रहेगा।
Psa 103:10  उस ने हमारे पापों के अनुसार हम से व्यवहार नहीं किया, और न हमारे अधर्म के कामों के अनुसार हम को बदला दिया है।
Psa 103:11  जैसे आकाश पृथ्वी के ऊपर ऊंचा है, वैसे ही उसकी करूणा उसके डरवैयों के ऊपर प्रबल है।
Psa 103:12  उदयाचल अस्ताचल से जितनी दूर है, उस ने हमारे अपराधों को हम से उतनी ही दूर कर दिया है।
Psa 103:13  जैसे पिता अपने बालकों पर दया करता है, वैसे ही यहोवा अपने डरवैयों पर दया करता है।
Psa 103:14  क्योंकि वह हमारी सृष्टि जानता है, और उसको स्मरण रहता है कि मनुष्य मिट्टी ही है।
Psa 103:15  मनुष्य की आयु घास के समान होती है, वह मैदान के फूल की नाईं फूलता है,
Psa 103:16  जो पवन लगते ही ठहर नहीं सकता, और न वह अपने स्थान में फिर मिलता है।
Psa 103:17  परन्तु यहोवा की करूणा उसके डरवैयों पर युग युग, और उसका धर्म उनके नाती-पोतों पर भी प्रगट होता रहता है,
Psa 103:18  अर्थात् उन पर जो उसकी वाचा का पालन करते और उसके उपदेशों को स्मरण करके उन पर चलते हैं।
Psa 103:19  यहोवा ने तो अपना सिंहासन स्वर्ग में स्थिर किया है, और उसका राज्य पूरी सृष्टि पर है।
Psa 103:20  हे यहोवा के दूतों, तुम जो बड़े वीर हो, और उसके वचन के मानने से उसको पूरा करते हो उसको धन्य कहो!
Psa 103:21  हे यहोवा की सारी सेनाओं, हे उसके टहलुओं, तुम जो उसकी इच्छा पूरी करते हो, उसको धन्य कहो!
Psa 103:22  हे यहोवा की सारी सृष्टि, उसके राज्य के सब स्थानों में उसको धन्य कहो। हे मेरे मन, तू यहोवा को धन्य कह!

एक साल में बाइबल: 

  • भजन २६-२८ 
  • प्रेरितों २२


गुरुवार, 19 जुलाई 2012

आशा

   यरुशालेम से यरीहो जाने वाला प्राचीन मार्ग एक संकरा और जोखिम भरा मार्ग था जो एक गहरी घाटी के किनारे से होकर जाता था जिसका नाम ’वादी केल्ट’ था किंतु वह घाटी ’अन्धकार की तराई’ के नाम से भी जानी जाती थी। इसी स्थान से दाउद ने प्रेर्णा पा कर भजन २३ लिखा था। वह एक वीरान, सूखा तथा बहुत गहरी और खड़ी ढाल वाला ऐसा खतरनाक इलाका है जो चोरों और लुटेरों के लिए तो अच्छा स्थान हो सकता है, लेकिन किसी भली बात के लिए नहीं। उस स्थान को देख कर आश्चर्य होता है कि आशा के ऐसे उत्तम भजन की प्रेर्णा उस खतरनाक स्थान से मिली।

   दाउद का दावा कि, "चाहे मैं घोर अन्धकार से भरी हुई तराई में होकर चलूं, तौभी हानि से न डरूंगा..." (भजन २३:४) एक ऐसी स्थिति के संदर्भ में था जहाँ दुष्टता और बुराई का जोखिम लगातार बनी रहने वाली वास्तविकता है। परमेश्वर में अपनी अटल आशा के कारण, वह कभी विकट परिस्थितियों से निराश नहीं हुआ और ना ही कभी डर से उसने हार मानी। उन विकट परिस्थितियों में दाउद की आशा यह नहीं थी कि परमेश्वर उसके लिए उस दुष्टता को समाप्त कर देगा जिससे कि वह सुरक्षित निकल सके। वरन भजन २३:४ में दाउद के कथन का तात्पर्य था कि परमेश्वर की उसके साथ बनी रहने वाली उपस्थिति के कारण वह पूर्णतः आश्वस्त है कि कठिन और बुराई से भरे स्थानों से होकर निकलने में भी परमेश्वर उसके साथ बना रहेगा, उसे छोड़ नहीं देगा। उसके लिए यही काफी है, क्योंकि जहां परमेश्वर है वहां उसकी कोई हानि हो ही नहीं सकती; और यही उसकी हिम्मत का कारण है। एक और भजन में दाउद परमेश्वर पर अपनी आशा और आधार के विषय में बताता है: "क्योंकि हे प्रभु यहोवा, मैं तेरी ही बाट जोहता आया हूं; बचपन से मेरा आधार तू है" (भजन ७१:५)।

   बहुत से लोग बहुत सी बातों में आशा रखने का दावा करते हैं और लोकिक तथा अलोकिक शक्तियों को अपनी आशा का आधार बनाते हैं, किंतु केवल वे जिनकी आशा मसीह यीशु में है, अपनी आशा के विषय में हर परिस्थिति में, हर जोखिम और कठिनाई में आश्वस्त रहने पाते हैं। सच्ची आशा किसी बल-बुद्धि से या फिर अनुकूल परिस्थिति प्रदान किए जाने के आश्वासन से नहीं मिलती, वरन परमेश्वर की लगातार बनी रहने संगति से मिलती है, और इस संगति का वायदा केवल मसीह यीशु ही अपने अनुयायियों के साथ करता है, "...क्‍योंकि उस ने आप ही कहा है, कि मैं तुझे कभी न छोडूंगा, और न कभी तुझे त्यागूंगा" (इब्रानियों १३:५)।

स्वर्ग और पृथ्वी का सृष्टिकर्ता परमेश्वर अपने विश्वासियों के साथ सदा बना रहता है और उन्हें वह सच्ची तथा अटल आशा प्रदान करता है जिसका आधार वह स्वयं है; फिर उनको किसी हानि का क्या डर?

   क्या आपने दाउद के समान परमेश्वर से सच्ची और अटल आशा प्राप्त करी है? - जूली ऐकैरमैन लिंक


आशा मसीही विश्वासी के लिए निश्चितता है क्योंकि उसका आधार मसीह यीशु है।

क्योंकि हे प्रभु यहोवा, मैं तेरी ही बाट जोहता आया हूं; बचपन से मेरा आधार तू है। - भजन ७१:५

बाइबल पाठ: भजन २३
Psa 23:1  यहोवा मेरा चरवाहा है, मुझे कुछ घटी न होगी।
Psa 23:2  वह मुझे हरी हरी चराइयों में बैठाता है; वह मुझे सुखदाई जल के झरने के पास ले चलता है;
Psa 23:3  वह मेरे जी में जी ले आता है। धर्म के मार्गो में वह अपने नाम के निमित्त अगुवाई करता है।
Psa 23:4  चाहे मैं घोर अन्धकार से भरी हुई तराई में होकर चलूं, तौभी हानि से न डरूंगा, क्योंकि तू मेरे साथ रहता है; तेरे सोंटे और तेरी लाठी से मुझे शान्ति मिलती है।
Psa 23:5  तू मेरे सताने वालों के साम्हने मेरे लिये मेज बिछाता है; तू ने मेरे सिर पर तेल मला है, मेरा कटोरा उमण्ड रहा है।
Psa 23:6  निश्चय भलाई और करूणा जीवन भर मेरे साथ साथ बनी रहेंगी; और मैं यहोवा के धाम में सर्वदा वास करूंगा।


एक साल में बाइबल: 

  • भजन २३-२५ 
  • प्रेरितों २१:१८-४०

बुधवार, 18 जुलाई 2012

अन्तिम विदाई

   रैन्डी पौश को जब कैंसर होने का पता चला तब वह ४७ वर्ष का था। रोग की इस अन्तिम अवस्था में वह अपने मित्रों, सहपाठियों और छात्रों को एक अन्तिम सन्देश देने के लिए कारनिजी मैलन विश्वविद्यालय आया। कंप्यूटर विज्ञान के प्राध्यापक ने सोचा कि संभवतः १५० के आस-पास लोग ही उसे सुनने के लिए आएंगे, किंतु ४०० लोगों के बैठने की क्षमता रखने वाला हॉल खचाखच भरा हुआ था। एक घंटे तक रैन्डी ने दिल खोल कर बातें करीं; एक रोचक, विनोदपुर्ण, अन्तःदर्शी और दिल छू लेने वाले अन्दाज़ में, उसकी बातें मृत्यु पर कम और जीवन पर अधिक केंद्रित थीं। थोड़े हफ्तों में ही वह वीडीयोटेप किया गया सन्देश इंटरनैट के माध्यम से लाखों लोगों तक पहुँच गया और फिर कुछ समय बाद एक लोकप्रीय पुस्तक का आधार बना जिसकी बिक्री काफी मात्रा में हुई।

   जो लोग मृत्यु के समक्ष खड़े होते हैं, अकसर उन्हें जीवन की प्राथमिकताओं और परिपेक्ष की बहुत स्पष्ट जानकारी होती है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस के अन्तिम विदाई सन्देश ने भी, इन बीती शताब्दियों, में प्रभु यीशु के अनेक अनुयायियों को बहुत प्रोत्साहित किया है। पौलुस ने अपनी अन्तिम पत्री में लिखा: "क्‍योंकि अब मैं अर्घ की नाई उंडेला जाता हूं, और मेरे कूच का समय आ पहुंचा है। मैं अच्‍छी कुश्‍ती लड़ चुका हूं मैं ने अपनी दौड़ पूरी कर ली है, मैं ने विश्वास की रखवाली की है" (२ तिमुथियुस ४:६-७)। अपने शिष्य तिमुथियुस को लिखी इस पत्री के उसके निर्देश आज भी हम मसीही विश्वासियों के लिए चुनौती हैं। इस पत्री का आरंभ और अन्त परमेश्वर के अनुग्रह के साथ है, और इन के बीच के सन्देश में परमेश्वर की निरंतर विश्वासयोग्यता का उत्सव है।

   मृत्यु की कगार पर खड़े लोगों से जीवन जीने वालों को प्रेर्णा मिल सकती है। पौलुस का अन्तिम जय नाद "...उसी की महिमा युगानुयुग होती रहे" (२ तिमुथियुस ४:१८) हम सबके लिए जीवन का लक्ष्य होना चाहिए। - डेविड मैक्कैसलैंड


यदि हम मृत्यु के लिए तैयार होंगे तो जीने के लिए भी तैयार रहेंगे।


क्‍योंकि अब मैं अर्घ की नाई उंडेला जाता हूं, और मेरे कूच का समय आ पहुंचा है। - २ तिमुथियुस ४:६

बाइबल पाठ: २ तिमुथियुस ४:६-२२
2Ti 4:6  क्‍योंकि अब मैं अर्घ की नाई उंडेला जाता हूं, और मेरे कूच का समय आ पहुंचा है।
2Ti 4:7  मैं अच्‍छी कुश्‍ती लड़ चुका हूं मैं ने अपनी दौड़ पूरी कर ली है, मैं ने विश्वास की रखवाली की है।
2Ti 4:8   भविष्य में मेरे लिये धर्म का वह मुकुट रखा हुआ है, जिसे प्रभु, जो धर्मी, और न्यायी है, मुझे उस दिन देगा और मुझे ही नहीं, वरन उन सब को भी, जो उसके प्रगट होने को प्रिय जानते हैं।
2Ti 4:9  मेरे पास शीघ्र आने का प्रयत्‍न कर।
2Ti 4:10  क्‍योंकि देमास ने इस संसार को प्रिय जानकर मुझे छोड़ दिया है, और थिस्‍सलुनीके को चला गया है, और क्रेसकेंस गलतिया को और तीतुस दलमतिया को चला गया है।
2Ti 4:11  केवल लूका मेरे साथ है: मरकुस को लेकर चला आ, क्‍योंकि सेवा के लिये वह मेरे बहुत काम का है।
2Ti 4:12   तुखिकुस को मैं ने इफिसुस को भेजा है।
2Ti 4:13  जो बागा मैं त्रोआस में करपुस के यहां छोड़ आया हूं, जब तू आए, तो उसे और पुस्‍तकें विशेष करके चर्मपत्रों को लेते आना।
2Ti 4:14  सिकन्‍दर ठठेरे ने मुझ से बहुत बुराइयां की हैं प्रभु उसे उसके कामों के अनुसार बदला देगा।
2Ti 4:15  तू भी उस से सावधान रह, क्‍योंकि उस ने हमारी बातों का बहुत ही विरोध किया।
2Ti 4:16   मेरे पहिले प्रत्युत्तर करने के समय में किसी ने भी मेरा साथ नहीं दिया, वरन सब ने मुझे छोड़ दिया था: भला हो, कि इस का उनको लेखा देना न पड़े।
2Ti 4:17  परन्‍तु प्रभु मेरा सहायक रहा, और मुझे सामर्थ दी: ताकि मेरे द्वारा पूरा पूरा प्रचार हो, और सब अन्यजाति सुन ले, और मैं तो सिंह के मुंह से छुड़ाया गया।
2Ti 4:18  और प्रभु मुझे हर एक बुरे काम से छुड़ाएगा, और अपने स्‍वर्गीय राज्य में उद्धार करके पहुंचाएगा: उसी की महिमा युगानुयुग होती रहे। आमीन।
2Ti 4:19  प्रिसका और अक्‍विला को, और उनेसिफुरूस के घराने को नमस्‍कार।
2Ti 4:20  इरास्‍तुस कुरिन्थुस में रह गया, और त्रुफिमुस को मैं ने मीलेतुस में बीमार छोड़ा है।
2Ti 4:21  जाड़े से पहिले चले आने का प्रयत्‍न कर: यूबूलुस, और पूदेंस, और लीनुस और क्‍लौदिया, और सब भाइयों का तुझे नमस्‍कार।
2Ti 4:22   प्रभु तेरी आत्मा के साथ रहे: तुम पर अनुग्रह होता रहे।


एक साल में बाइबल: 

  • भजन २०-२२ 
  • प्रेरितों २१:१-१७

मंगलवार, 17 जुलाई 2012

एलर्जी

   हमारी पोती को कई प्रकार के भोजन पदार्थों से एलर्जी है, जैसे दूध, पनीर, अण्डे, आईसक्रीम आदि। जिन का लोग सामन्यतः बिना किसी समस्या के सेवन कर लेते हैं, उनकी ज़रा सी भी मात्रा उसके लिए हानिकारक है, खतरनाक हो सकती है। वह ऐसी अकेली नहीं है, कई अन्य भी हैं जो इसी प्रकार शरीर की कई व्याधियों के साथ जी रहे हैं, जिनके लिए वह वर्जित है जिन के सेवन से आम तौर से लोग कोई समस्या अनुभव नहीं करते।
 
यही सिद्धांत प्रत्येक मसीही विश्वासी के आत्मिक जीवन के लिए भी लागू होता है। परमेश्वर का वचन बाइबल ऐसी कई बातों के लिए बताती है जिन से मसीही विश्वास का जीवन ’एलर्जी’ रखता है, जिनका प्रयोग मसीही जीवन के लिए गंभीर समस्याएं उत्पन्न कर देता है; जैसे कि:

   १. सब प्रकार की बुराई - "सब प्रकार की बुराई से बचे रहो" (१ थिसलुनीकियों ५:२२)। हम मसीही विश्वासियों के लिए बुराई जांचने का नाप संसार का पैमाना नहीं वरन परमेश्वर का वचन बाइबल है। हमें जीवन की बातों के संबंध में अपने चुनावों का बारीकी से ध्यान रखना चाहिए और बहुत विचार के साथ किसी बात में सम्मिलित होना चहिए, क्योंकि किसी भी प्रकार की ज़रा सी भी बुराई हमारे आत्मिक जीवन के स्वास्थ्य के लिए अनुकूल नहीं है।

   २. मूर्खता के विवाद और झगड़े - "पर मूर्खता, और अविद्या के विवादों से अलग रह; क्‍योंकि तू जानता है, कि उन से झगड़े होते हैं" (२ तिमुथियुस २:२३)। यहां समझ-बूझ की आवश्यक्ता होती है, क्योंकि मसीही विश्वास की रक्षा के लिए कभी कभी दृढ़ता से अपनी बात रखने की आवश्यक्ता होती है। लेकिन ऐसी बातें जिन से सत्य का कोई सरोकार नहीं है और जो प्रतिरोध तथा झगड़े उत्पन्न करती हैं, या जो केवल झगड़े और बहस के लिए ही उठाई जा रही हैं सत्य की जानकारी के लिए नहीं, ऐसी बातों से बच कर रहना ही भला है।

   ३. व्यभिचार - "क्‍योंकि परमेश्वर की इच्‍छा यह है, कि तुम पवित्र बनो: अर्थात व्यभिचार से बचे रहो" (१ थिसुलुनीकियों ४:३)। परमेश्वर का वचन बाइब्ल हमें बताती है कि विवाह के बन्धन के बाहर हर प्रकार का यौन संबंध व्यभिचार है, अनैतिक है (उत्पत्ति २:२४; निर्गमन २०:१४; १ कुरिन्थियों ७:२; इब्रानियों १३:४)। प्रभु यीशु ने चिताया कि मन में भी विचारा गया यह अनैतिक कार्य परमेश्वर की दृष्टि में शारीरिक रूप से इसे कर बैठने के तुल्य है: "तुम सुन चुके हो कि कहा गया था, कि व्यभिचार न करना। परन्‍तु मैं तुम से यह कहता हूं, कि जो कोई किसी स्त्री पर कुदृष्‍टि डाले वह अपने मन में उस से व्यभिचार कर चुका" (मत्ती ५:२७-२८)।

   जो सामान्यतः संसार के लिए साधारण है और जिसके सेवन से उसे कोई फर्क नहीं पड़ता, मसीही विश्वासी के लिए भी वह वैसा ही हो यह आवश्यक नहीं। हम मसीही विश्वासियों का सदा यह प्रयास रहना चाहिए कि उन बातों को पहचानें और उनसे से दूर रहें जो हमारे आत्मिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। - डेव ब्रैनन


पाप के फल से बचने के लिए प्रलोभन का अंकुर फूटते ही उसे तोड़ डालिए।

सब प्रकार की बुराई से बचे रहो। - १ थिसलुनीकियों ५:२२

बाइबल पाठ: तीतुस ३:३-११
Tit 3:3  क्‍योंकि हम भी पहिले, निर्बुद्धि, और आज्ञा न मानने वाले, और भ्रम में पड़े हुए, और रंग रंग के अभिलाषाओं और सुखविलास के दासत्‍व में थे, और बैरभाव, और डाह करने में जीवन निर्वाह करते थे, और घृणित थे, और एक दूसरे से बैर रखते थे।
Tit 3:4  पर जब हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर की कृपा, और मनुष्यों पर उसकी प्रीति प्रगट हुई।
Tit 3:5 तो उस ने हमारा उद्धार किया: और यह धर्म के कामों के कारण नहीं, जो हम ने आप किए, पर अपनी दया के अनुसार, नए जन्म के स्‍नान, और पवित्र आत्मा के हमें नया बनाने के द्वारा हुआ।
Tit 3:6  जिसे उस ने हमारे उद्धारकर्ता यीशु मसीह के द्वारा हम पर अधिकाई से उंडेला।
Tit 3:7 जिस से हम उसके अनुग्रह से धर्मी ठहरकर, अनन्‍त जीवन की आशा के अनुसार वारिस बनें।
Tit 3:8 यह बात सच है, और मैं चाहता हूं, कि तू इन बातों के विषय में दृढ़ता से बोले इसलिये कि जिन्‍होंने परमेश्वर की प्रतीति की है, वे भले-भले कामों मे लगे रहने का ध्यान रखें: ये बातें भली, और मनुष्यों के लाभ की हैं।
Tit 3:9 पर मूर्खता के विवादों, और वंशावलियों, और बैर विरोध, और उन झगड़ों से, जो व्यवस्था के विषय में हों बचा रह; क्‍योंकि वे निष्‍फल और व्यर्थ हैं।
Tit 3:10  किसी पाखंडी को एक दो बार समझा बुझाकर उस से अलग रह।
Tit 3:11  यह जानकर कि ऐसा मनुष्य भटक गया है, और अपने आप को दोषी ठहरा कर पाप करता रहता है।


एक साल में बाइबल: 

  • भजन १८-१९ 
  • प्रेरितों २०:१७-३८

सोमवार, 16 जुलाई 2012

जांच और न्याय

   जब प्रभु यीशु ने अपने चेलों से कहा कि वे किसी दूसरे पर दोष ना लगाएं, तो इसका यह तात्पर्य नहीं था कि वे ना-समझ होकर या बुद्धिहीनता से कार्य करें। इस सम्सार में जहां हमें गलती और दुराचार का अकसर सामना करना पड़ता है, हमें लोगों और उनकी बातों के विश्लेषण और विवेचना करते रहने की आवश्यक्ता रहती है। प्रभु यीशु का यह बात कहने का आश्य था कि हमें किसी को दोषी ठहराकर उसकी निन्दा करने या उसका न्याय करने से बचना है, क्योंकि हर व्यक्ति की हर बात की सारी पृष्ठभूमि और उसकी सारी और सही परिस्थिति का हमें पता नहीं होता।

   कवि रॉबर्ट बर्न्स ने इसी बात को दूसरे शब्दों में कहा, "एक बात सदा अन्धकार में रहती है - उद्देश्य। ऐसा क्यों किया गया।" कोई किसी के उद्देश्यों को सही रीति से नहीं जानता। केवल परमेश्वर ही है जो अन्धकार में छुपी बातों को रौशन कर सकता है और मन में छुपी बातों को उजागर कर सकता है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने लिखा: "सो जब तक प्रभु न आए, समय से पहिले किसी बात का न्याय न करो: वही तो अन्‍धकार की छिपी बातें ज्योति में दिखाएगा, और मनों की मतियों को प्रगट करेगा, तब परमेश्वर की ओर से हर एक की प्रशंसा होगी" (१ कुरिन्थियों ४:५)।

   प्रभु यीशु मनुष्यों को प्रभावित करने वाले अदृश्य प्रभावों को भी जानता और समझता है; क्रूरता, भय, निराशाएं, टूटे मन, पाप और अपराध जो रोके नहीं गए, इत्यादि। और फिर वह उसे समर्पित हर एक मन में अपना कार्य कर रहा है कि उसे परिपक्वता तक लाए। अन्ततः, कई बातों और लोगों के बारे में हमारी सोच के विपरीत, जिन्हें वह परिपक्व और संपूर्ण कर देगा उन्हें अपनी प्रशंसा और महिमा का पात्र भी बना देगा, जिससे उनके जीवनों से परमेश्वर का नाम आदर पाए।

   केवल प्रभु परमेश्वर ही है जो मनों को जानता और सही रीति से जांचता है। जब तक वह अपना कार्य पूरा ना कर ले और उसका पुनःआगमन ना हो, हमारा कर्तव्य केवल अपने आप को जांचते रहना और अपने ही दोष ढूंढना है। प्रभु से प्रार्थना करें कि इस स्व-विश्लेषण में वह हमारी सहायता करे और हमें सुधारे तथा परिपक्व करे। - डेविड रोपर


दूसरों को दोष देने में धीमे किंतु अपने को जांचने में तत्पर बनें।

दोष मत लगाओ, कि तुम पर भी दोष न लगाया जाए। - मत्ती ७:१

बाइबल पाठ: १ कुरिन्थियों ४:१-७
1Co 4:1  मनुष्य हमें मसीह के सेवक और परमेश्वर के भेदों के भण्‍डारी समझें।
1Co 4:2  फिर यहां भण्‍डारी में यह बात देखी जाती है, कि विश्वास योग्य निकले।
1Co 4:3  परन्‍तु मेरी दृष्‍टि में यह बहुत छोटी बात है, कि तुम या मनुष्यों का कोई न्यायी मुझे परखे, वरन मैं आप ही अपने आप को नहीं परखता।
1Co 4:4  क्‍योंकि मेरा मन मुझे किसी बात में दोषी नहीं ठहराता, परन्‍तु इस से मैं निर्दोष नहीं ठहरता, क्‍योंकि मेरा परखने वाला प्रभु है।
1Co 4:5  सो जब तक प्रभु न आए, समय से पहिले किसी बात का न्याय न करो: वही तो अन्‍धकार की छिपी बातें ज्योति में दिखाएगा, और मनों की मतियों को प्रगट करेगा, तब परमेश्वर की ओर से हर एक की प्रशंसा होगी।
1Co 4:6  हे भाइयों, मैं ने इन बातों में तुम्हारे लिये अपनी और अपुल्लोस की चर्चा, दृष्‍टान्‍त की रीति पर की है, इसलिये कि तुम हमारे द्वारा यह सीखो, कि लिखे हुए से आगे न बढ़ना, और एक के पक्ष में और दूसरे के विरोध में गर्व न करना।
1Co 4:7  क्‍योंकि तुझ में और दूसरे में कौन भेद करता है? और तेरे पास क्‍या है जो तू ने (दूसरे से) नहीं पाया: और जब कि तु ने (दूसरे से) पाया है, तो ऐसा घमण्‍ड क्‍यों करता है, कि मानों नही पाया?


एक साल में बाइबल: 

  • भजन १६-१७ 
  • प्रेरितों २०:१-१६

रविवार, 15 जुलाई 2012

मेरी आयु का व्यक्ति!

   हाल ही में एक हवाई यात्रा के समय मैंने अपना लैपटॉप कंप्यूटर और अन्य संबंधित इलैक्ट्रौनिक उपकरण, जो कि इस २१वीं शताब्दी के एक व्यस्त और कार्यशील व्यक्ति की पहचान हैं, निकाले और अपने सामने वाली ट्रे पर उन्हें सजाया और अपना काम करना आरंभ कर दिया। काम करते करते मेरे निकट बैठे एक युवक ने मुहसे एक टिप्पणी करने की अनुमति मांगी, और मेरे अनुमति देने पर वह बोला कि इन आधुनिक उपकरणों का एक मेरी आयु के व्यक्ति द्वारा इस तरह लगन और तन्मयता से उपयोग किया जाना देखना उसके लिए एक बहुत उत्साहवर्धक अनुभव है। यद्यपि उसका उद्देश्य मेरी प्रशंसा करना था, किंतु मुझे अचानक लगा जैसे मैं १२० वर्ष का वृद्ध हूँ। मैं सोचने लगा, "इसकी जुर्रत कि कहे ’मेरी आयु का व्यक्ति’! मैं तो अभी केवल ५७ वर्ष ही का हूँ।"

   फिर मुझे परमेश्वर के वचन बाइबल से भजन ७१ स्मरण आया जो मेरी और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों से संबंधित है। यह भजन हमें भली रीति से जीए गए जीवन की और उसके अनुभवों की बहुमूल्यता स्मरण दिलाता है: "इसलिये हे परमेश्वर जब मैं बूढ़ा हो जाऊं और मेरे बाल पक जाएं, तब भी तू मुझे न छोड़, जब तक मैं आने वाली पीढ़ी के लोगों को तेरा बाहुबल और सब उत्पन्न होने वालों को तेरा पराक्रम सुनाऊं" (भजन ७१:१८)।

   इसलिए ’मेरी आयु’ का होना शायद इतना बुरा भी नहीं है। यह एक आयुवान मसीही विश्वासी का विशेषाधिकार है कि वह नई पीढ़ी के विश्वासियों को परमेश्वर के बल और पराक्रम के बारे में बताए और अपने विश्वास के जीवन के अनुभवों द्वारा उन्हें प्रोत्साहित करे। यह उन के लिए एक प्रेर्णादायक अनुभव और उन्हें एक भले मसीही जीवन को जीने का उत्साह देने का अच्छा तरीका है। - बिल क्राउडर


नई पीढ़ी के लिए सबसे अच्छी भेंट पिछली पीढ़ी के जीवन के भले और उत्तम उदाहरण हैं।

इसलिये हे परमेश्वर जब मैं बूढ़ा हो जाऊं और मेरे बाल पक जाएं, तब भी तू मुझे न छोड़, जब तक मैं आने वाली पीढ़ी के लोगों को तेरा बाहुबल और सब उत्पन्न होने वालों को तेरा पराक्रम सुनाऊं। - भजन ७१:१८

बाइबल पाठ: भजन ७१
Psa 71:1  हे यहोवा मैं तेरा शरणागत हूं; मेरी आशा कभी टूटने न पाए!
Psa 71:2  तू तो धर्मी है, मुझे छुड़ा और मेरा उद्धार कर; मेरी ओर कान लगा, और मेरा उद्धार कर!
Psa 71:3  मेरे लिये सनातन काल की चट्टान का धाम बन, जिस में मैं नित्य जा सकूं; तू ने मेरे उद्धार की आज्ञा तो दी है, क्योंकि तू मेरी चट्टान और मेरा गढ़ ठहरा है।
Psa 71:4  हे मेरे परमेश्वर दुष्ट के, और कुटिल और क्रूर मनुष्य के हाथ से मेरी रक्षा कर।
Psa 71:5  क्योंकि हे प्रभु यहोवा, मैं तेरी ही बाट जोहता आया हूं; बचपन से मेरा आधार तू है।
Psa 71:6  मैं गर्भ से निकलते ही, तुझ से सम्भाला गया; मुझे मां की कोख से तू ही ने निकाला, इसलिये मैं नित्य तेरी स्तुति करता रहूंगा।
Psa 71:7  मैं बहुतों के लिये चमत्कार बना हूं; परन्तु तू मेरा दृढ़ शरणस्थान है।
Psa 71:8  मेरे मुंह से तेरे गुणानुवाद, और दिन भर तेरी शोभा का वर्णन बहुत हुआ करे।
Psa 71:9  बुढ़ापे के समय मेरा त्याग न कर; जब मेरा बल घटे तब मुझ को छोड़ न दे।
Psa 71:10  क्योंकि मेरे शत्रु मेरे विषय बातें करते हैं, और जो मेरे प्राण की ताक में हैं, वे आपस में यह सम्मति करते हैं, कि
Psa 71:11  परमेश्वर ने उसको छोड़ दिया है; उसका पीछा करके उसे पकड़ लो, क्योंकि उसका कोई छुड़ाने वाला नहीं।
Psa 71:12  हे परमेश्वर, मुझ से दूर न रह; हे मेरे परमेश्वर, मेरी सहायता के लिये फुर्ती कर!
Psa 71:13  जो मेरे प्राण के विरोधी हैं, उनकी आशा टूटे और उनका अन्त हो जाए; जो मेरी हानि के अभिलाषी हैं, वे नामधराई और अनादर में गड़ जाएं।
Psa 71:14  मैं तो निरन्तर आशा लगाए रहूंगा, और तेरी स्तुति अधिक अधिक करता जाऊंगा।
Psa 71:15  मैं अपने मुंह से तेरे धर्म का, और तेरे किए हुए उद्धार का वर्णन दिन भर करता रहूंगा, परन्तु उनका पूरा ब्योरा जाना भी नहीं जाता।
Psa 71:16  मैं प्रभु यहोवा के पराक्रम के कामों का वर्णन करता हुआ आऊंगा, मैं केवल तेरे ही धर्म की चर्चा किया करूंगा।
Psa 71:17  हे परमेश्वर, तू तो मुझ को बचपन ही से सिखाता आया है, और अब तक मैं तेरे आश्चर्य कर्मों का प्रचार करता आया हूं।
Psa 71:18  इसलिये हे परमेश्वर जब मैं बूढ़ा हो जाऊं और मेरे बाल पक जाएं, तब भी तू मुझे न छोड़, जब तक मैं आने वाली पीढ़ी के लोगों को तेरा बाहुबल और सब उत्पन्न होने वालों को तेरा पराक्रम सुनाऊं।
Psa 71:19  और हे परमेश्वर, तेरा धर्म अति महान है। तू जिस ने महाकार्य किए हैं, हे परमेवर तेरे तुल्य कौन है?
Psa 71:20  तू ने तो हम को बहुत से कठिन कष्ट दिखाए हैं परन्तु अब तू फिर से हम को जिलाएगा? और पृथ्वी के गहिरे गड़हे में से उबार लेगा।
Psa 71:21  तू मेरी बड़ाई को बढ़ाएगा, और फिरकर मुझे शान्ति देगा।
Psa 71:22  हे मेरे परमेश्वर, मैं भी तेरी सच्चाई का धन्यवाद सारंगी बजाकर गाऊंगा; हे इस्राएल के पवित्र मैं वीणा बजाकर तेरा भजन गाऊंगा।
Psa 71:23  जब मैं तेरा भजन गाऊंगा, तब अपने मुंह से और अपने प्राण से भी जो तू ने बचा लिया है, जयजयकार करूंगा।
Psa 71:24  और मैं तेरे धर्म की चर्चा दिन भर करता रहूंगा; क्योंकि जो मेरी हानि के अभिलाषी थे, उनकी आशा टूट गई और मुंह काले हो गए हैं।


एक साल में बाइबल: 

  • भजन १३-१५ 
  • प्रेरितों १९:२१-४१

शनिवार, 14 जुलाई 2012

सौदा

  क्या आपको अच्छी सौदेबाज़ी करना पसन्द है? मैं केवल दुकानदार से किसी चीज़ के दाम कम करवाने तक सीमित रहने वाली बात के लिए नहीं कह रहा  हूँ, वरन अपनी ओर से बिना कुछ भी दिए अपने लाभ के लिए किसी दूसरे को मना लेना कुछ लोगों का प्रयास रहता है और उन्हें बहुत अच्छा लगता है। यदि आप इस प्रकार की सौदेबाज़ी को जानते हैं तो प्रभु यीशु मसीह द्वारा दिए गए उड़ाऊ पुत्र के दृष्टांत में, उड़ाऊ पुत्र द्वारा बनाई गई घर वापस लौटने की योजना को बेहतर समझ सकेंगे।

   जिन दिनों की बात प्रभु यीशु ने बताई, उन दिनों में तीन प्रकार के दास होते थे: एक वे जो दिन के हिसाब से कार्य करते थे और दिन के अन्त में अपनी मज़दूरी पाते थे; दूसरे वे थे जो स्वामी के साथ जुड़े होते थे, उसके यहां घंटों कार्य तो करते थे, पर रहते कहीं बाहर थे जिससे उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता बनी रहती थी; तीसरे वे थे जो अपने स्वामी के पूर्णतः आधीन थे और उसी के साथ रहते थे और सदा उसकी सेवा करते रहते थे।

   जब उड़ाऊ पुत्र अपना सब कुछ गंवा बैठा और उसे वापस अपने पिता के पास घर लौटने का विचार आया, तो यह रोचक है कि उसने पिता से जिस क्षमा याचना कि योजना बनाई उसमें उसने अपने एक दास होने की इच्छा को तो व्यक्त किया, किंतु वह दूसरे तरह का दास, जिसकी स्वतंत्रता बनी रहती है! उसने एक कृतज्ञ और पूर्णतः समर्पित तीसरी तरह का दास बनना क्यों नहीं चाहा? कुछ टीकाकारों का मानना है कि वह अपने पिता से एक सौदा करने का प्रयास कर रहा था, एक ऐसा सौदा जिसमें उसकी स्वतंत्रता भी बनी रहती और उसे जीवन यापन की सुविधा भी मिल जाती। लेकिन पिता की योजना तो कुछ और ही थी जो उस सौदेबाज़ उड़ाऊ पुत्र कि उम्मीदों से भी परे और अनपेक्षित थी। पिता ने तो उसे उसका सारा अधिकार, जिसे वह ठोकर मार कर चला गया था, लौटा दिया और दास के समान नहीं वरन अपने पुत्र के समान स्वीकार कर लिया, उसके लौटने के लिए आनन्द मनाया।

   कई बार हम भी परमेश्वर के साथ सौदेबाज़ी करना चाहते हैं, हम चाहते हैं और परमेश्वर से कहते हैं, "परमेश्वर, मैं आपकी सेवा तो कर लूंगा, किंतु आपको अपनी स्वतंत्रता नहीं सौंपूंगा।" हो सकता है कि उस समय हमें यह एक लाभकारी सौदा लगे, किंतु परमेश्वर द्वारा दी गई सौदे की शर्तें सदा ही बेहतर और भली होती हैं। उड़ाऊ पुत्र के पिता के समान, परमेश्वर पिता की बाहें भी अपनी पश्चातापी सन्तान को वापस पा लेने और उसे परिवार के सदस्य रूप में बहाल कर देने, उसके लौट आने के आनन्द को मनाने के लिए सदा खुली रहती हैं।

   संसार और पाप में खोए प्रत्येक जन की बहाली के लिए देर है तो बस उसके अपने प्रेमी पिता परमेश्वर की पुकार को सुनने और मानने की, उसकी ओर लौट आने की। इससे बेहतर सौदा क्या होगा; इससे अच्छी सेवकाई क्या होगी? - जो स्टोवैल


मसीह यीशु को संपूर्ण समर्पण में ही सच्ची स्वतंत्रता है।

अब इस योग्य नहीं रहा कि तेरा पुत्र कहलाऊं, मुझे अपने एक मजदूर की नाईं रख ले। - लूका १५:१९

बाइबल पाठ: लूका १५:११-२४
Luk 15:11  फिर उस ने कहा, किसी मनुष्य के दो पुत्र थे।
Luk 15:12  उन में से छुटके ने पिता से कहा कि हे पिता संपत्ति में से जो भाग मेरा हो, वह मुझे दे दीजिए। उस ने उन को अपनी संपत्ति बांट दी।
Luk 15:13  और बहुत दिन न बीते थे कि छुटका पुत्र सब कुछ इकट्ठा करके एक दूर देश को चला गया और वहां कुकर्म में अपनी संपत्ति उड़ा दी।
Luk 15:14  जब वह सब कुछ खर्च कर चुका, तो उस देश में बड़ा अकाल पड़ा, और वह कंगाल हो गया।
Luk 15:15  और वह उस देश के निवासियों में से एक के यहां जा पड़ा : उस ने उसे अपने खेतों में सूअर चराने के लिये भेजा।
Luk 15:16 और वह चाहता था, कि उन फलियों से जिन्‍हें सूअर खाते थे अपना पेट भरे; और उसे कोई कुछ नहीं देता था।
Luk 15:17  जब वह अपने आपे में आया, तब कहने लगा, कि मेरे पिता के कितने ही मजदूरों को भोजन से अधिक रोटी मिलती है, और मैं यहां भूखा मर रहा हूं।
Luk 15:18 मैं अब उठकर अपने पिता के पास जाऊंगा और उस से कहूंगा कि पिता जी मैं ने स्‍वर्ग के विरोध में और तेरी दृष्‍टि में पाप किया है।
Luk 15:19  अब इस योग्य नहीं रहा कि तेरा पुत्र कहलाऊं, मुझे अपने एक मजदूर की नाईं रख ले।
Luk 15:20  तब वह उठकर, अपने पिता के पास चला: वह अभी दूर ही था, कि उसके पिता ने उसे देखकर तरस खाया, और दौड़कर उसे गले लगाया, और बहुत चूमा।
Luk 15:21 पुत्र ने उस से कहा; पिता जी, मैं ने स्‍वर्ग के विरोध में और तेरी दृष्‍टि में पाप किया है, और अब इस योग्य नहीं रहा, कि तेरा पुत्र कहलाऊं।
Luk 15:22 परन्‍तु पिता ने अपने दासों से कहा; झट अच्‍छे से अच्‍छा वस्‍त्र निकाल कर उसे पहिनाओ, और उसके हाथ में अंगूठी, और पांवों में जूतियां पहिनाओ।
Luk 15:23 और पला हुआ बछड़ा लाकर मारो ताकि हम खांए और आनन्‍द मनावें।
Luk 15:24 क्‍योंकि मेरा यह पुत्र मर गया था, फिर जी गया है : खो गया था, अब मिल गया है: और वे आनन्‍द करने लगे।


एक साल में बाइबल: 

  • भजन १०-१२ 
  • प्रेरितों १९:१-२०

शुक्रवार, 13 जुलाई 2012

उदारता का मन

   अपनी पुस्तक Crazy Love में फ्रांसिस चैन एक परिवार के बारे में बताता है जो एक रोचक क्रिसमस परंपरा को मनाते हैं। क्रिसमस की प्रातः वे अपना समय क्रिसमस वृक्ष के नीचे रखे अपने इनामों को खोलने और देखने में नहीं लगाते, वरन वे उठकर कॉफी तथा नाश्ता बनाते हैं और जाकर बेघर लोगों को नाश्ता खिलाते हैं। यह गरीबों के लिए परमेश्वर के प्रेम और उदारता को प्रदर्शित करने का एक छोटा किंतु प्रभावी तरीका है।

   परमेश्वर अपने लोगों से ऐसी उदारता की आशा रखता है। व्यस्थाविवरण १५ अध्याय में मूसा ने गरीबी की वास्तविकता की ओर उनका ध्यान ले जाते हुए धनवानों को समझाया कि उनकी ओर वे किस प्रकार का बर्ताव रखें। उन्हें ४ बातों के लिए चिताया गया (व्यवस्थाविवरण १५:७-११):
   १. कठोर हृदय जो गरीबों की अनदेखी करता हो।
   २. सख्त मुट्ठी जो गरीबों से सहायता रोक कर रखती हो।
   ३. बुरा मन जो दे्ते में समय और स्थिति को आंक कर ही देता हो।
   ४. स्वार्थी आत्मा जिसे परमेश्वर की आज्ञाकारिता में भी गरीबों को देना बुरा लगे।

   परमेश्वर ने मूसा के द्वारा ना केवल उन्हें इन बातों के बारे में चिताया वरन उन्हें स्वाभाविक रूप से उदारता से देने वाला बनने के लिए भी प्रोत्साहित किया।

   परमेश्वर के लोगों में उदारता और सहायता करने का मन सदा ही पाया जाना चाहिए। अपने हाथों और मन को खुला रखना मसीही विश्वासी के गुणों में से है, और उसके उस नए चरित्र का भाग है जो उसे परमेश्वर पिता से उसके पुराने मनुष्यतव के स्थान पर मिला है। - मारविन विलियम्स


उदारता उस हृदय से उमड़ती है जिसने परमेश्वर के अनुग्रह को अनुभव किया है।


जो देश तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है उसके किसी फाटक के भीतर यदि तेरे भाइयों में से कोई तेरे पास द्ररिद्र हो, तो अपने उस दरिद्र भाई के लिये न तो अपना हृदय कठोर करना, और न अपनी मुट्ठी कड़ी करना; -  व्यवस्थाविवरण १५:७

बाइबल पाठ: व्यवस्थाविवरण १५:७-११
Deu 15:7  जो देश तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है उसके किसी फाटक के भीतर यदि तेरे भाइयों में से कोई तेरे पास द्ररिद्र हो, तो अपने उस दरिद्र भाई के लिये न तो अपना हृदय कठोर करना, और न अपनी मुट्ठी कड़ी करना;
Deu 15:8  जिस वस्तु की घटी उसको हो, उसका जितना प्रयोजन हो उतना अवश्य अपना हाथ ढीला करके उसको उधार देना।
Deu 15:9  सचेत रह कि तेरे मन में ऐसी अधम चिन्ता न समाए, कि सातवां वर्ष जो छुटकारे का वर्ष है वह निकट है, और अपनी दृष्टि तू अपने उस दरिद्र भाई की ओर से क्रूर करके उसे कुछ न दे, तो यह तेरे लिये पाप ठहरेगा।
Deu 15:10  तू उसको अवश्य देना, और उसे देते समय तेरे मन को बुरा न लगे; क्योकि इसी बात के कारण तेरा परमेश्वर यहोवा तेरे सब कामों में जिन में तू अपना हाथ लगाएगा तुझे आशीष देगा।
Deu 15:11  तेरे देश में दरिद्र तो सदा पाए जाएंगे, इसलिये मैं तुझे यह आज्ञा देता हूं कि तू अपने देश में अपने दीन-दरिद्र भाइयों को अपना हाथ ढीला करके अवश्य दान देना।


एक साल में बाइबल: 

  • भजन ७-९ 
  • प्रेरितों १८

गुरुवार, 12 जुलाई 2012

परमेश्वर की ओर

   अपनी प्रजा इस्त्राएल को मिस्त्र के दासत्व से छुड़ाने के समय जो आश्चर्यकर्म परमेश्वर ने मूसा के द्वारा करवाए वे उस समय मिस्त्र के राजा फिरौन द्वारा माने जाने वाले विभिन्न देवताओं को दी गई चुनौतियां थे। मिस्त्र में एक और फिरौन भी हुआ जिसने केवल एक देवता में विश्वास को बढ़ावा दिया; वह था फिरौन अखेनातेन, जिसने उगते और डूबते सूरज को पृथ्वी पर जीवन देने वाला एक महान देवता घोषित किया। उसके द्वारा सुर्य देवता अटौन का चिन्ह एक ज्योतिर्मय चक्र था जिस में से रौशनी की किरणें निकल रहीं थीं। यद्यपि इस फिरौन की एक ही देवता को मानने की धारणा परमेश्वर के वचन बाइबल में दिए गए एक ही परमेश्वर के होने के निकट थी, किंतु यह फिर भी मूर्तिपूजा ही थी।

   जब प्रेरित पौलुस ने एथेन्स के लोगों को संबोधित किया था, तब उनके शहर में व्याप्त मूर्ति पूजा से उसका मन बहुत आहत था। फिर भी उसने उन लोगों के समक्ष अपने मन के रोष के अनुसार प्रतिक्रीया नहीं करी, वरन एथेन्स के लोगों के परमेश्वर के बारे में अधूरे ज्ञान को आधार बना कर उन्हें सच्चे और एकमात्र परमेश्वर के बारे में बड़े प्रेम और आदर के साथ बताया। पौलुस ने उन्हें समझाया: "जिस परमेश्वर ने पृथ्वी और उस की सब वस्‍तुओं को बनाया, वह स्‍वर्ग और पृथ्वी का स्‍वामी होकर हाथ के बनाए हुए मन्‍दिरों में नहीं रहता" (प्रेरितों १७:२४)।

   हमारे चारों ओर परमेश्वर को विभिन्न रूपों में मानने और जानने वाले और अनेक देवी-देवताओं के मानने वाले लोग विद्यमान होने का अर्थ यह नहीं है कि उनमें आत्मिक जिज्ञासा नहीं है,  उनकी आत्मिक खोज समाप्त हो गई है। हम नहीं जानते कौन कब एकमात्र सच्चे परमेश्वर की ओर बढ़ निकलेगा। उनकी विभिन्न धार्मिक विचारधारों से चाहे हम सहमत ना हों, लेकिन प्रेरित पौलुस के द्वारा दिए गए उदाहरण का अनुसरण करते हुए, हमें उनका किसी भी प्रकार से निरादर कदापि नहीं करना चाहिए। वे भी परमेश्वर की सृष्टि हैं, परमेश्वर के प्रेम के पात्र हैं, प्रभु यीशु मसीह ने उनके लिए भी अपने प्राण बलिदान किए हैं। इसलिए हमें लोगों के अन्दर परमेश्वर की खोज और जिज्ञासा को आंकना चाहिए और उन्हें संसार के उद्धारकर्ता प्रभु यीशु में मिलने वाली पापों से क्षमा और उद्धार के बारे में प्रेम के साथ बताना चाहिए। - डेनिस फिशर


एकमात्र परमेश्वर ही हमारी आरधना का एकमात्र हकदार है।


...और तुम क्‍योंकर मूरतों से परमेश्वर की ओर फिरे ताकि जीवते और सच्‍चे परमेश्वर की सेवा करो। 

बाइबल पाठ: प्रेरितों १७:२२-३१
Act 17:22  तब पौलुस ने अरियुपगुस के बीच में खड़ा होकर कहा; हे एथेने के लोगों मैं देखता हूं, कि तुम हर बात में देवताओं के बड़े मानने वाले हो।
Act 17:23  क्‍योंकि मैं फिरते हुए तुम्हारी पूजने की वस्‍तुओं को देख रहा था, तो एक ऐसी वेदी भी पाई, जिस पर लिखा था, कि अनजाने ईश्वर के लिये। सो जिसे तुम बिना जाने पूजते हो, मैं तुम्हें उसका समाचार सुनाता हूं।
Act 17:24  जिस परमेश्वर ने पृथ्वी और उस की सब वस्‍तुओं को बनाया, वह स्‍वर्ग और पृथ्वी का स्‍वामी होकर हाथ के बनाए हुए मन्‍दिरों में नहीं रहता।
Act 17:25  न किसी वस्‍तु का प्रयोजन रखकर मनुष्यों के हाथों की सेवा लेता है, क्‍योंकि वह तो आप ही सब को जीवन और श्वास और सब कुछ देता है।
Act 17:26  उस ने एक ही मूल से मनुष्यों की सब जातियां सारी पृथ्वी पर रहने के लिये बनाई हैं; और उन के ठहराए हुए समय, और निवास के सिवानों को इसलिये बान्‍धा है।
Act 17:27   कि वे परमेश्वर को ढूंढ़ें, कदाचित उसे टटोलकर पा जाएं तौभी वह हम में से किसी से दूर नहीं!
Act 17:28  क्‍योंकि हम उसी में जीवित रहते, और चलते-फिरते, और स्थिर रहते हैं; जैसे तुम्हारे कितने कवियों ने भी कहा है, कि हम तो उसी के वंश भी हैं।
Act 17:29  सो परमेश्वर का वंश होकर हमें यह समझना उचित नहीं, कि ईश्वरत्‍व, सोने या रूपे या पत्थर के समान है, जो मनुष्य की कारीगरी और कल्पना से गढ़े गए हों।
Act 17:30   इसलिये परमेश्वर आज्ञानता के समयों में अनाकानी करके, अब हर जगह सब मनुष्यों को मन फिराने की आज्ञा देता है।
Act 17:31  क्‍योंकि उस ने एक दिन ठहराया है, जिस में वह उस मनुष्य के द्वारा धर्म से जगत का न्याय करेगा, जिसे उस ने ठहराया है और उसे मरे हुओं में से जिलाकर, यह बात सब पर प्रामाणित कर दी है।


एक साल में बाइबल: 

  • भजन ४-६ 
  • प्रेरितों १७:१६-३४

बुधवार, 11 जुलाई 2012

कार्य करने वाले

   घर बदल कर एक नए स्थान पर आने के कुछ समय बाद मैंने अपनी बहन सू और उसके पति टेड को भोजन के लिए घर आमंत्रित किया। वे हमारे घर पहुंचे ही थे और घर के दरवाज़े पर हम उनका स्वागत ही कर रहे थे कि एक अजीब सी आवाज़ ने हमारा ध्यान रसोईघर की ओर खींचा। वहां का दृश्य देखकर मैं स्तब्ध खड़ी रह गई। बरतन धोने की हमारी पुरानी मशीन में पानी ले जाने वाला पाइप मशीन से निकल गया था और उससे निकलने वाली पानी की तेज़ धार पाइप को इधर-उधर हिलाती हुई सब जगह पानी बिखरा रही थी।

   सू तुरंत कार्य करने में जुट गई। अपने पर्स को वहीं छोड़कर, मुझ से पहले वह रसोई में पहुंच गई, पानी के नल को बन्द किया और पानी पोंछने का सामान मांगने लगी। मेहमानों के घर आने के पहले पन्द्रह मिनिट हमने उनके साथ फर्श पर घुटनों के बल घर की सफाई करने में बिताए।

   सू तुरंत कार्य करने वालों में से है, और संसार ऐसे लोगों के कारण एक बेहतर स्थान है। ये वे लोग हैं जो सदा हाथ बंटाने के लिए तत्पर रहते हैं, किसी आवश्यक्ता में शामिल होने से नहीं घबराते और आवश्यक्ता हो तो नेतृत्व भी संभाल लेते हैं।

   संसार के कामों में आगे बढ़कर कार्यकारी लोगों में से बहुत से लोग परमेश्वर के कार्यों में भी कार्यकारी हैं। ये वे हैं जो प्रभु यीशु मसीह के अनुयायी हैं और जिन्होंने प्रभु यीशु के चेले याकूब की चुनौती: "परन्‍तु वचन पर चलने वाले बनो, और केवल सुनने वाले ही नहीं जो अपने आप को धोखा देते हैं" (याकूब १:२२) को स्वीकार कर लिया है।

   क्या जो परमेश्वर आप से चाहता है, आज आप उसे पूरा कर रहे हैं? परमेश्वर का वचन बाइबल के अध्ययन के समय जो आप सीखते हैं उसे अपने जीवन में लागू कीजिए: पहले परमेश्वर से सीखीए फिर उसे कार्यान्वित कीजिए। जब आप परमेश्वर की आज्ञाकारिता में बढ़ेंगे तो परमेश्वर की आशीषें भी आप के जीवन में बढ़ेंगी (पद २५)। - सिंडी हैस कैस्पर


परमेश्वर के वचन बाइबल की कीमत उसे जानने में नहीं, उसे मानने में है।

परन्‍तु वचन पर चलने वाले बनो, और केवल सुनने वाले ही नहीं जो अपने आप को धोखा देते हैं। - याकूब १:२२

बाइबल पाठ: याकूब १:१९-२७
Jas 1:19  हे मेरे प्रिय भाइयो, यह बात तुम जानते हो: इसलिये हर एक मनुष्य सुनने के लिये तत्‍पर और बोलने में धीरा और क्रोध में धीमा हो।
Jas 1:20  क्‍योंकि मनुष्य का क्रोध परमेश्वर के धर्म का निर्वाह नहीं कर सकता है।
Jas 1:21  इसलिये सारी मलिनता और बैर भाव की बढ़ती को दूर करके, उस वचन को नम्रता से ग्रहण कर लो, जो हृदय में बोया गया और जो तुम्हारे प्राणों का उद्धार कर सकता है।
Jas 1:22  परन्‍तु वचन पर चलने वाले बनो, और केवल सुनने वाले ही नहीं जो अपने आप को धोखा देते हैं।
Jas 1:23  क्‍योंकि जो कोई वचन का सुनने वाला हो, और उस पर चलने वाला न हो, तो वह उस मनुष्य के समान है जो अपना स्‍वाभाविक मुंह दर्पण में देखता है।
Jas 1:24  इसलिये कि वह अपने आप को देख कर चला जाता, और तुरन्‍त भूल जाता है कि मैं कैसा था।
Jas 1:25  पर जो व्यक्ति स्‍वतंत्रता की सिद्ध व्यवस्था पर ध्यान करता रहता है, वह अपने काम में इसलिये आशीष पाएगा कि सुनकर नहीं, पर वैसा ही काम करता है।
Jas 1:26   यदि कोई अपने आप को भक्त समझे, और अपनी जीभ पर लगाम न दे, पर अपने हृदय को धोखा दे, तो उस की भक्ति व्यर्थ है।
Jas 1:27  हमारे परमेश्वर और पिता के निकट शुद्ध और निर्मल भक्ति यह है, कि अनाथों ओर विधवाओं के क्‍लेश में उन की सुधि लें, और अपने आप को संसार से निष्‍कलंक रखें।


एक साल में बाइबल: 

  • भजन १-३ 
  • प्रेरितों १७:१-१५

मंगलवार, 10 जुलाई 2012

शामिल

   फिल्म निर्माता केन बर्न्स और उनके साथियों ने दूसरे विश्व-युद्ध पर अपनी प्रसिद्ध डॉक्यूमेन्ट्री फिल्म बनाते समय युद्ध-स्थल पर विद्यमान संवाददाताओं और सेना के लोगों द्वारा ली गईं हज़ारों घंटों की सैनिक कार्यवाही की फिल्में देखीं। युद्ध की हृदय-विदारक और वीभत्स घटनाओं में इतने घंटों तक शामिल रहने के बाद युद्ध की वे घटनाएं उनके स्वपनों में उन्हें अक्सर दिखाई देती थीं, विशेषतः पेलिलियु के भयानक युद्ध की। बर्न्स ने एक संवाददाता से एक साक्षातकार में कहा, "आप एक बयान से परे भूतकाल को देखते हैं, वहां से आने वाली आवाज़ें सुनते हैं, उन से जुड़ने लगते हैं और ऐसे जुड़ने के द्वारा आप अपने आप को एक भावनाओं के भंवर में डाल देते हैं।"

   दूसरों के संघर्षों में शामिल होना एक कीमत मांगता है, चाहे वे संघर्ष कला के क्षेत्र में हों या आत्मिक जीवन में। प्रसिद्ध प्रचारक और बाइबल टीकाकार ओस्वॉल्ड चैम्बर्स ने कहा कि जब हम दूसरे लोगों के जीवन में परमेश्वर की रुचि के साथ जानते और बूझते हुए जुड़ते हैं तब हम इस आत्मिक संघर्ष में शामिल हो जाते हैं; तब हमें ज्ञात होता है कि इन संघर्षों के मध्य में रह कर भी शांति और संयम बनाए रखने की अद्भुत सामर्थ भी साथ ही हमें दे दी गई है।

   प्रेरित पौलुस ने प्रभु यीशु में उद्धार और पापों की क्षमा के सुसमाचार के प्रचार में भी इस बात को अनुभव किया। परमेश्वर के वचन बाइबल में पौलुस कुरिन्थुस की मण्डली को लिखी अपनी पत्री में लिखता है: "और और बातों को छोड़कर जिन का वर्णन मैं नहीं करता सब कलीसियाओं की चिन्‍ता प्रतिदिन मुझे दबाती है। किस की निर्बलता से मैं निर्बल नहीं होता? किस के ठोकर खाने से मेरा जी नहीं दुखता?" (२ कुरिन्थियों ११:२८-२९)। पौलुस ने अपने संघर्षों के दौरान जाना कि परमेश्वर की यह सामर्थ उसके लिए बहुत है क्योंकि वह सामर्थ पौलुस की निर्बलता में ही सिद्ध होती है (२ कुरिन्थियों १२:९)।

   प्रभु यीशु ने संसार के पापों से निवारण में सम्मिलित होने के लिए सबसे बड़ी कीमत चुकाई - अपने प्राणों का बलिदान दिया। आज जब हम उसके इस बलिदान और प्रेम की गाथा दूसरों के साथ बांटते हैं, तो उसके साथ संसार के लोगों के पापों के निवारण में शामिल होने के लिए वह आवश्यक सामर्थ भी हमें देता है। - डेविड मैक्कैसलैंड


जब हम परमेश्वर की बुलाहट में शामिल होते हैं तो परमेश्वर से उसके लिए आवश्यक सामर्थ भी हमें मिलती है।

और और बातों को छोड़कर जिन का वर्णन मैं नहीं करता सब कलीसियाओं की चिन्‍ता प्रतिदिन मुझे दबाती है। - २ कुरिन्थियों ११:२८

बाइबल पाठ: २ कुरिन्थियों ११:२२-३३
2Co 11:22  क्‍या वे ही इब्रानी हैं? मैं भी हूं: क्‍या वे ही इब्राहीम के वंश के हैं? मैं भी हूं: क्‍या वे ही मसीह के सेवक हैं?
2Co 11:23  (मैं पागल की नाई कहता हूं) मैं उन से बढ़कर हूं! अधिक परिश्रम करने में; बार बार कैद होने में; कोड़े खाने में; बार बार मृत्यु के जोखिमों में।
2Co 11:24  पांच बार मैं ने यहूदियों के हाथ से उन्‍तालीस उन्‍तालीस कोड़े खाए।
2Co 11:25   तीन बार मैं ने बेंतें खाईं; एक बार पत्थरवाह किया गया; तीन बार जहाज जिन पर मैं चढ़ा था, टूट गए; एक रात दिन मैं ने समुद्र में काटा।
2Co 11:26  मैं बार बार यात्राओं में; नदियों के जोखिमों में; डाकुओं के जोखिमों में; अपने जाति वालों से जोखिमों में; अन्यजातियों से जोखिमों में; नगरों में के जाखिमों में; जंगल के जोखिमों में; समुद्र के जाखिमों में; झूठे भाइयों के बीच जोखिमों में;
2Co 11:27  परिश्रम और कष्‍ट में; बार बार जागते रहने में; भूख-प्यास में; बार बार उपवास करने में; जाड़े में; उघाड़े रहने में।
2Co 11:28  और और बातों को छोड़ कर जिन का वर्णन मैं नहीं करता सब कलीसियाओं की चिन्‍ता प्रतिदिन मुझे दबाती है।
2Co 11:29   किस की निर्बलता से मैं निर्बल नहीं होता किस के ठोकर खाने से मेरा जी नहीं दुखता
2Co 11:30   यदि घमण्ड करना अवश्य है, तो मैं अपनी निर्बलता की बातों पर करूंगा।
2Co 11:31   प्रभु यीशु का परमेश्वर और पिता जो सदा धन्य है, जानता है, कि मैं झूठ नहीं बोलता।
2Co 11:32 दमिश्‍क में अरितास राजा की ओर से जो हाकिम था, उस ने मेरे पकड़ने को दमिशकियों के नगर पर पहरा बैठा रखा था।
2Co 11:33  और मैं टोकरे में खिड़की से होकर भीत पर से उतारा गया, और उसके हाथ से बच निकला।


एक साल में बाइबल: 

  • अय्युब ४१-४२ 
  • प्रेरितों १६:२२-४०