ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

बुधवार, 4 जुलाई 2012

सच्ची स्वतंत्रता

   उत्तरी अमेरिका के १३ उपनिवेशों ने सन १७७६ में इंगलैंड के राजा द्वारा उन पर लगाई गई सीमाओं और बन्धनों का विरोध किया और विरोध का संघर्ष आरंभ किया। इस संघर्ष ने एक नए गण्तंत्र को जन्म दिया और इस नवजात राष्ट्र - अमेरिका के लोगों ने शीघ्र ही एक घोषणा पत्र अपनाया जो आज स्वतंत्रता की घोषणा के द्स्तावेज़ के रूप में जाना जाता है।

   लगभग २००० वर्ष पहले, प्रभु यीशु ने क्रूस पर से पुकारा "पूरा हुआ", यह उस पर विश्वास करने वालों के लिए स्वतंत्रता का एलान था। समस्त मानव जाति पाप के दासत्व और अत्याचार के आधीन है, उसके दुषप्रभावों से त्रस्त है। किंतु निष्पाप और निष्कलंक प्रभु यीशु ने हमारे पाप और उनका दण्ड अपने ऊपर ले लिया और क्रूस पर हमारी संति बलिदान हो गए। परमेश्वर की धार्मिकता की मांगों को पूरा करके, तीसरे दिन मृतकों में से पुनः जीवित हो कर प्रभु यिशु ने समस्त मानव जाति के सभी लोगों के लिए पाप से स्वतंत्रता और उद्धार का मार्ग खोल दिया है। अब जो कोई साधारण विश्वास के साथ उसे ग्रहण कर लेता है, उस पर अपना विश्वास ले आता है और उससे पापों की क्षमा मांग लेता है, वह पाप के दासत्व से अनन्त काल के लिए स्वतंत्र हो जाता है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने लिखा "मसीह ने जो हमारे लिये श्रापित बना, हमें मोल लेकर व्यवस्था के श्राप से छुड़ाया क्‍योंकि लिखा है, जो कोई काठ पर लटकाया जाता है वह श्रापित है। यह इसलिये हुआ, कि इब्राहिम की आशीष मसीह यीशु में अन्यजातियों तक पंहुचे, और हम विश्वास के द्वारा उस आत्मा को प्राप्‍त करें, जिस की प्रतिज्ञा हुई है" (गलतियों ३:१३-१४)। रोमियों ८ में वह हमें आश्वस्त करता है "सो अब जो मसीह यीशु में हैं, उन पर दण्‍ड की आज्ञा नहीं: क्‍योंकि वे शरीर के अनुसार नहीं वरन आत्मा के अनुसार चलते हैं। क्‍योंकि जीवन की आत्मा की व्यवस्था ने मसीह यीशु में मुझे पाप की, और मृत्यु की व्यवस्था से स्‍वतंत्र कर दिया" (रोमियों ८:१-२)। इस कारण वह गलतियों ५ में विश्वासियों से याचना करता है कि "मसीह ने स्‍वतंत्रता के लिये हमें स्‍वतंत्र किया है; सो इसी में स्थिर रहो, और दासत्‍व के जूए में फिर से न जुतो" (गलतियों ५:१)।

   हम अपने देश में हमें मिली स्वतंत्रता के लिए परमेश्वर के धन्यवादी हैं। लेकिन मसीही विश्वासियों को इससे भी बढ़कर परमेश्वर के धन्यवादी रहना चाहिए उस अनन्त काल की स्वतंत्रता के लिए जो उन्हें पाप के अत्याचार और दासत्व से मसीह यीशु में हो कर मिली है, और जिसे अब कोई उनसे किसी प्रकार छीन नहीं सकता। - रिचर्ड डी हॉन


हमारी सबसे बड़ी स्वतंत्रता पाप से स्वतंत्रता है।

मसीह ने स्‍वतंत्रता के लिये हमें स्‍वतंत्र किया है; सो इसी में स्थिर रहो, और दासत्‍व के जूए में फिर से न जुतो। - गलतियों ५:१

बाइबल पाठ: - गलतियों ४:१-७
Gal 4:1  मैं यह कहता हूं, कि वारिस जब तक बालक है, यद्यपि सब वस्‍तुओं का स्‍वामी है, तौभी उस में और दास में कुछ भेद नहीं।
Gal 4:2  परन्‍तु पिता के ठहराए हुए समय तक रक्षकों और भण्‍डारियों के वश में रहता है।
Gal 4:3   वैसे ही हम भी, जब बालक थे, तो संसार की आदि शिक्षा के वश में होकर दास बने हुए थे।
Gal 4:4  परन्‍तु जब समय पूरा हुआ, तो परमेश्वर ने अपने पुत्र को भेजा, जो स्त्री से जन्मा, और व्यवस्था के आधीन उत्‍पन्न हुआ।
Gal 4:5  ताकि व्यवस्था के आधीनों को मोल लेकर छुड़ा ले, और हम को लेपालक होने का पद मिले।
Gal 4:6  और तुम जो पुत्र हो, इसलिये परमेश्वर ने अपने पुत्र के आत्मा को, जो हे अब्‍बा, हे पिता कहकर पुकारता है, हमारे हृदय में भेजा है।
Gal 4:7  इसलिये तू अब दास नहीं, परन्‍तु पुत्र है; और जब पुत्र हुआ, तो परमेश्वर के द्वारा वारिस भी हुआ।


एक साल में बाइबल: 

  • अय्युब २८-२९ 
  • प्रेरितों १३:१-२५

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें