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गुरुवार, 2 फ़रवरी 2012

प्रेम


   एक नई बाल सुखाने वाली मशीन ले लेना शायद मेरे लिए अधिक आसान होता। लेकिन कुछ पैसे बचा लेने के उद्देश्य से मैंने अपनी खराब मशीन की मरम्मत स्वयं ही करनी चाही। ठीक करने के लिए मशीन को खोलना था, और खोलने के लिए उसके हत्थे में गैहराई से बैठाए गए पेच को खोलकर निकालने की आवश्यक्ता थी। पेच खोलने का सबसे आसानी से उपलब्ध ’औज़ार’ था मेरा जेब में रखा हुआ छोटा सा चाकू। सो मैंने चाकू जेब से निकाल कर खोला और उसकी नोक से पेच खोलने का प्रयास करने लगा। ज़ोर लगाते ही चाकू का फल मुड़कर बन्द हुआ, मेरी ऊंगली पर लगा और उसे घायल कर दिया।

   इससे मैंने एक पाठ सीखा: मैं अपने आप से बहुत प्रेम रखता हूँ और अपनी आवश्यक्ताओं की पूर्ति के लिए वक्त बरबाद नहीं कर सकता। ऊंगली कटते ही मुझे उसकी चिंता हुई, तब यह विचार मेरे मन में बिल्कुल भी नहीं आया कि अभी मैं व्यस्त हूँ, इस चोट और बहते हुए खून के बारे में बाद में सोचेंगे, पहले यह कार्य पूरा कर लें। साथ ही मुझे पता चला कि मैं अपनी आवश्यकता के लिए अति संवेदनशील भी हूँ। मैंने तुरंत अपनी प्राथमिक चिकित्सा के लिए अपनी पत्नी और बच्चों को बुलाया, और उनसे अपनी चोट को बड़ी कोमलता से साफ करवाया, फिर उस पर ऐसे पट्टी बंधवाई कि बाद में पट्टी खोलने पर मेरे ऊंगली के बाल न उखड़ें, मुझे और तकलीफ ना हो। इस पूरे प्रकरण में मेरे सभी विचार, शब्द और क्रियाएं मेरे प्रति मेरे प्रेम ही से प्रेरित थे, मेरी तकलीफ पर ही केंद्रित थे।

   प्रभु यीशु अपने चेलों से चाहता है कि वे अपने पड़ौसी से भी अपने समान प्रेम रखें। इसका तात्पर्य है कि हम ऐसा प्रेम दिखाएं जिसमें वैसी ही तत्परता हो जैसी हम अपने प्रति रखते हैं; प्रेम जो दूसरे की आवश्यकता को देखे, पहचाने और उसकी पूर्ति से पहले आराम ना ले। ऐसा प्रेम जो नम्र और कोमल हो, विचार और ध्यान से कार्य करता हो। इस प्रेम का उदाहरण है प्रभु यीशु द्वारा दिया गया वह सामरी व्यक्ति का दृष्टांत जिसने करुणा और बलिदान के साथ एक सर्वथा अनजान घायल यात्री की सहायता करी।

   मसीही विश्वासी से, उसके पड़ौसियों के प्रति, परमेश्वर ऐसे ही प्रेम की आशा रखता है। - जो स्टोवेल


अपने पड़ौसी का मन आप केवल अपने मन ही के द्वारा छू सकते हैं।

...तू प्रभु अपने परमेश्वर से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी शक्ति और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख; और अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख। - लूका १०:२७

बाइबल पाठ: लूका १०:२९-३७
Luk 10:29 परन्‍तु उस ने अपनी तईं धर्मी ठहराने की इच्‍छा से यीशु से पूछा, तो मेरा पड़ोसी कौन है?
Luk 10:30  यीशु ने उत्तर दिया; कि एक मनुष्य यरूशलेम से यरीहो को जा रहा था, कि डाकुओं ने घेरकर उसके कपड़े उतार लिए, और मार-पीट कर उसे अधमूआ छोड़कर चले गए।
Luk 10:31 और ऐसा हुआ कि उसी मार्ग से एक याजक(पुरोहित) जा रहा था: परन्‍तु उसे देख के कतराकर चला गया।
Luk 10:32  इसी रीति से एक लेवी(धर्मशास्त्री) उस जगह पर आया, वह भी उसे देख के कतराकर चला गया।
Luk 10:33 परन्‍तु एक सामरी यात्री वहां आ निकला, और उसे देखकर तरस खाया।
Luk 10:34 और उसके पास आकर और उसके घावों पर तेल और दाखरस डालकर पट्टियां बान्‍धी, और अपनी सवारी पर चढ़ाकर सराय में ले गया, और उस की सेवा टहल की।
Luk 10:35  दूसरे दिन उस ने दो दिनार निकालकर भटियारे को दिए, और कहा, इस की सेवा टहल करना, और जो कुछ तेरा और लगेगा, वह मैं लौटने पर तुझे भर दूंगा।
Luk 10:36  अब तेरी समझ में जो डाकुओं में घिर गया था, इन तीनों में से उसका पड़ोसी कौन ठहरा?
Luk 10:37  उस ने कहा, वही जिस ने उस पर तरस खाया: यीशु ने उस से कहा, जा, तू भी ऐसा ही कर।
एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन २९-३० 
  • मत्ती २१:२३-४६