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मंगलवार, 27 मार्च 2012

परमेश्वर के प्रति प्रेम

   अपने वैवाहिक जीवन के आरंभिक समय में ही मैंने जान लिया था कि मेरी पत्नि के हृदय तक पहुँचने का सबसे अच्छा मार्ग कौन सा है। दिन भर के कार्य के बाद एक रात मैं एक दर्जन लाल गुलाबों का गुलदस्ता लिए हुए घर पहुँचा, द्वार खोलने की घंटी बजाने के बाद मैंने गुलदस्ता अपनी पीठ के पीछे छुपा लिया, और फिर अन्दर आकर वह गुलदस्ता अपनी पत्नि के हाथों में रख दिया। उसने वे फूल लिए, उन्हें सूंघा, मुझे धन्यवाद दिया और उन्हें लेकर रसोई में चली गई। उसकी प्रतिक्रिया मेरी उम्मीद से कम थी, उसके व्यवहार में मुझे किसी बात की घटी खली।

   यह मेरे लिए एक पाठ था कि मेरी पत्नि के लिए फूलों का गुलदस्ता प्रेम प्रकट करने का प्रभावी माध्यम नहीं था। उसने मेरी भेंट की प्रशंसा करी, उसके लिए धन्यवाद भी किया किंतु मन ही मन वह उनकी कीमत और घर चलाने के खर्च में उससे पड़ने वाले प्रभाव के बारे में सोच रही थी; क्योंकि विद्यार्थी एवं नव-दम्पति होना खर्च पर पाबंदियां तो लगाता ही है। फिर जैसे मैं ने सीखा, मेरी पत्नि के लिए मेरा उसको दिया गया समय और उसका रखा गया ध्यान बहुत अधिक महत्व रखता था। जब भी मैं उसके साथ होते हुए अपना ध्यान किसी अन्य बात में बंटाए बिना उसकी ओर लगाए रखता हूँ, तो इतना ही उसे अपने आप को मेरे प्रेम का पात्र होने के जताने के लिए काफी है।

   क्या कभी आपने इस पर विचार किया कि परमेश्वर क्या चाहता है कि हम उसके प्रति अपने प्रेम की अभिव्यक्ति कैसे करें? इस संबंध में हमें एक इशारा १ यूहन्ना ४:२१ में मिलता है: "...जो कोई अपने परमेश्वर से प्रेम रखता है, वह अपने भाई से भी प्रेम रखे।" कैसी साधारण सी बात है, जब हम मसीह यीशु में अपने भाई-बहिनों के प्रति प्रेम रखते हैं, तो यही इस बात को भी दिखाता है कि हम परमेश्वर से भी प्रेम रखते हैं। जब हमारा आपसी प्रेम ऊपरी दिखावा नहीं वरन वास्तविक होता है तो यह हमारे परमेश्वर पिता को भी प्रसन्न करता है।

   इसलिए सच्चे मन से आपस में अपने प्रेम को अभिव्यक्त करने के अवसरों की तलाश में रहें; यह अभिव्यक्ति परमेश्वेर के प्रति आपके प्रेम की भी अभिव्यक्ति होगी। - जो स्टोवेल


परमेश्वर के प्रति अपने प्रेम को दिखाने के लिए, आपस में प्रेम बाँटते रहें।
हे प्रियों, जब परमेश्वर ने हम से ऐसा प्रेम किया, तो हम को भी आपस में प्रेम रखना चाहिए। - १ यूहन्ना ४:११
 
बाइबल पाठ: १ यूहन्ना ४:७-२१
1Jn 4:7  हे प्रियों, हम आपस में प्रेम रखें; क्‍योंकि प्रेम परमेश्वर से है: और जो कोई प्रेम करता है, वह परमेश्वर से जन्मा है, और परमेश्वर को जानता है।
1Jn 4:8  जो प्रेम नहीं रखता, वह परमेश्वर को नहीं जानता है, क्‍योंकि परमेश्वर प्रेम है।
1Jn 4:9   जो प्रेम परमेश्वर हम से रखता है, वह इस से प्रगट हुआ, कि परमेश्वर ने अपने एकलौते पुत्र को जगत में भेजा है, कि हम उसके द्वारा जीवन पाएं।
1Jn 4:10 प्रेम इस में नहीं कि हम ने परमेश्वर ने प्रेम किया, पर इस में है, कि उस ने हम से प्रेम किया; और हमारे पापों के प्रायश्‍चित्त के लिये अपने पुत्र को भेजा।
1Jn 4:11  हे प्रियों, जब परमेश्वर ने हम से ऐसा प्रेम किया, तो हम को भी आपस में प्रेम रखना चाहिए।
1Jn 4:12  परमेश्वर को कभी किसी ने नहीं देखा, यदि हम आपस में प्रेम रखें, तो परमेश्वर हम में बना रहता है, और उसका प्रेम हम में सिद्ध हो गया है।
1Jn 4:13 इसी से हम जानते हैं, कि हम उस में बने रहते हैं, और वह हम में; क्‍योंकि उस ने अपने आत्मा में से हमें दिया है।
1Jn 4:14  और हम ने देख भी लिया और गवाही देते हैं, कि पिता ने पुत्र को जगत का उद्धारकर्ता करके भेजा है।
1Jn 4:15  जो कोई यह मान लेता है, कि यीशु परमेश्वर का पुत्र है: परमेश्वर उस में बना रहता है, और वह परमेश्वर में।
1Jn 4:16  और जो प्रेम परमेश्वर हम से रखता है, उस को हम जान गए, और हमें उस की प्रतीति है; परमेश्वर प्रेम है: और जो प्रेम में बना रहता है, वह परमेश्वर में बना रहता है; और परमेश्वर उस में बना रहता है।
1Jn 4:17 इसी से प्रेम हम में सिद्ध हुआ, कि हमें न्याय के दिन हियाव हो; क्‍योंकि जैसा वह है, वैसे ही संसार में हम भी हैं।
1Jn 4:18 प्रेम में भय नहीं होता, वरन सिद्ध प्रेम भय को दूर कर देता है, क्‍योंकि भय से कष्‍ट होता है, और जो भय करता है, वह प्रेम में सिद्ध नहीं हुआ।
1Jn 4:19  हम इसलिये प्रेम करते हैं, कि पहिले उस ने हम से प्रेम किया।
1Jn 4:20 यदि कोई कहे, कि मैं परमेश्वर से प्रेम रखता हूं, और अपने भाई से बैर रखे, तो वह झूठा है: क्‍योंकि जो अपने भाई से, जिसे उस ने देखा है, प्रेम नहीं रखता, तो वह परमेश्वर से भी जिसे उस ने नहीं देखा, प्रेम नहीं रख सकता।
1Jn 4:21  और उस से हमें यह आज्ञा मिली है, कि जो कोई अपने परमेश्वर से प्रेम रखता है, वह अपने भाई से भी प्रेम रखे।
एक साल में बाइबल: 
  • न्यायियों १-३ 
  • लूका ४:१-३०