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मंगलवार, 10 अप्रैल 2012

सही रवैया

   परमेश्वर के वचन बाइबल के खंड, पुराने नियम, की सबसे छोटी पुस्तक है ओबद्याह। इस छोटी सी पुस्तक के पदों में एक बड़े प्रश्न का उत्तर है; एक ऐसा प्रश्न जो सभी के लिए महत्वपूर्ण है - जब हमारा कोई शत्रु किसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना का शिकार हो तो हमारी प्रतिक्रीया कैसी होनी चाहिए?

   ओबद्याह भविष्यद्वक्ता की सेवकाई उस समय पर थी जब यरूशलेम पर बाबुल की सेना का घोर आक्रमण हुआ था। यरूशलेम की दशा को देखकर उनके पड़ौसी एदोमियों ने आतातई आक्रमणकारियों को प्रोत्साहित किया और चाहा कि वे यरूशलेम को बरबाद कर दें, सब को मार डालें (भजन १३७:७-९)। और भी दुख देने वाली बात यह थी कि एदोमी इस्त्राएलियों के रिश्तेदार थे। दोनो जातियों के मूल पिता इसहाक की दो सन्तानें थीं, इसाऊ और याकूब। इसाऊ के वंशज एदोमी थे और याकूब के वंशज इस्त्राएली।

   ओबद्याह के द्वारा परमेश्वर ने एदोमियों की, उनके इस रवैये के लिए, भर्त्सना करी। परमेश्वर ने कहलवाया: "परन्तु तुझे उचित न था कि तू अपने भाई के दिन में, अर्थात उसकी विपत्ति के दिन में उसकी ओर देखता रहता, और यहूदियों के नाश होने के दिन उनके ऊपर आनन्द करता, और उनके संकट के दिन बड़ा बोल बोलता" (ओबद्याह १:१२)।

   यदि कोई बार बार हमारी हानि के प्रयास करता रहा है तो उसके किसी दुखदायी स्थिति में पड़ने पर, उससे बदला चुकाए जाने की भावना जैसी संतुष्टि होना स्वाभाविक प्रतिक्रीया समझी जाती है। किंतु परमेश्वर का वचन हमें ऐसी भावना के विरुद्ध सचेत करता है: "जब तेरा शत्रु गिर जाए तब तू आनन्दित न हो, और जब वह ठोकर खाए, तब तेरा मन मगन न हो" (नीतिवचन २४:१७)। इसके विपरीत हमें सहानुभूति और क्षमा का रवैया रखना चाहिए, और न्याय तथा दण्ड को परमेश्वर के हाथों में छोड़ देना चाहिए। - डेनिस फिशर


अपने सबसे बुरे दुश्मन के प्रति दिखाया गया हमारा प्रेम, परमेश्वर के प्रति हमारे प्रेम का सही नाप है।
जब तेरा शत्रु गिर जाए तब तू आनन्दित न हो, और जब वह ठोकर खाए, तब तेरा मन मगन न हो। - नीतिवचन २४:१७
 
बाइबल पाठ: रोमियों १२:१२-२१
Rom 12:12  आशा मे आनन्‍दित रहो, क्‍लेष मे स्थिर रहो, प्रार्थना मे नित्य लगे रहो।
Rom 12:13   पवित्र लोगों को जो कुछ अवश्य हो, उस में उन की सहायता करो; पहुनाई करने मे लगे रहो।
Rom 12:14   अपने सताने वालों को आशीष दो; आशीष दो श्राप न दो।
Rom 12:15  आनन्‍द करने वालों के साथ आनन्‍द करो, और रोने वालों के साथ रोओ।
Rom 12:16  आपस में एक सा मन रखो, अभिमानी न हो, परन्‍तु दीनों के साथ संगति रखो; अपनी दृष्‍टि में बुद्धिमान न हो।
Rom 12:17  बुराई के बदले किसी से बुराई न करो, जो बातें सब लोगों के निकट भली हैं, उन की चिन्‍ता किया करो।
Rom 12:18  जहां तक हो सके, तुम अपने भरसक सब मनुष्यों के साथ मेल मिलाप रखो।
Rom 12:19  हे प्रियो अपना पलटा न लेना, परन्‍तु क्रोध को अवसर दो, क्‍योंकि लिखा है, पलटा लेना मेरा काम है, प्रभु कहता है मैं ही बदला दूंगा।
Rom 12:20  परन्‍तु यदि तेरा बैरी भूखा हो तो उसे खाना खिला, यदि प्यासा हो, तो उसे पानी पिला, क्‍योंकि ऐसा करने से तू उसके सिर पर आग के अंगारों का ढेर लगाएगा।
Rom 12:21  बुराई से न हारो परन्‍तु भलाई से बुराई का जीत लो।
एक साल में बाइबल: 
  • १ शमूएल १५-१६ 
  • लूका १०:२५-४२