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गुरुवार, 23 अगस्त 2012

बचपन से आरंभ


   हम लोग रात्रि के भोजन के लिए एकत्रित होकर बैठे ही थे, कि हमारी ३ वर्षीय पोती चिंतित स्वर में बोल उठी - "हमने अभी भोजन के लिए ध्न्यवाद की प्रार्थना नहीं करी है!" हमने देखा कि एक व्यक्ति ने बैठते ही कुछ खाना आरंभ कर दिया था, जो हमारी पोती के लिए अनहोना और परेशानी का कारण था; क्योंकि वह जानती थी कि परमेश्वर को धन्यवाद दिए बिना हम भोजन आरंभ नहीं करते।

   उसकी यह चिंता एक अच्छा संकेत था; इससे यह पता चल रहा था कि हमारी पोती में एक अच्छी आदत, जो उसने अपने जीवन के आरंभ से अपने परिवार में देखी और सीखी थी, घर करना आरंभ कर चुकी थी और यह उसके जीवन भर उसके साथ रहेगी। यह छोटी सी बात उसे अभी उसकी छोटी उम्र से ही प्रार्थना और परमेश्वर के धन्यवादी होने के महत्व को सीखने में सहायक है, जो आगे चलकर उसे जीवन कि कई जटिल परिस्थितियों में सहायता और शांति पाने का मार्ग होगा।

   आज के इस समय में जब हर बात में मसीही विश्वास का कड़ा विरोध संसार भर में हो रहा है, बच्चों को मसीही विश्वास की शिक्षाओं के साथ बड़ा करना सरल नहीं है। कई माता-पिता चिंतित रहते हैं कि कैसे बच्चों को अपने प्रभु पर विश्वास करना और उसके भय में जीना सिखाएं, कैसे परमेश्वर के प्रति सही रवैया उनके मनों में डालें। परमेश्वर के वचन बाइबल में नीतिवचन नामक पुस्तक इस में सहायक है। नीतिवचन की शिक्षाएं सिखातीं हैं माता-पिता द्वारा दिए गए श्रेष्ठ निर्देश इस बात की कुंजी हैं (नीतिवचन १:८)। वैसे तो ये बातें किसी भी उम्र में सीखी-सिखाई जा सकती हैं किंतु बचपन ही से माता-पिता द्वारा बच्चों को बुद्धि कि बात सुनने (नीतिवचन २:२), यत्न से समझ-बूझ प्राप्त करने (नीतिवचन २:३), परमेश्वर के भय को मानने (नीतिवचन २:५), माता-पिता की शिक्षाओं को स्मरण रखने (नीतिवचन ३:१), भले-बुरे को समझने की शिक्षाएं दी जानीं चाहिएं (नीतिवचन ४:१-४) जिससे आती उम्र में वे परमेश्वर की निकटता और उसके वचन कि आज्ञाकारिता में स्थिर खड़े रह सकें।

   यदि आपके पास बच्चे या नाती-पोते हैं उन्हें इन भली शिक्षाओं को सिखाना बचपन ही से आरंभ कर दीजिए। आज का बोया-सींचा हुआ अच्छा बीज कल उनके जीवन में भले फल लाएगा। - डेव ब्रैनन


आपके बच्चों के कल का चरित्र, उनके जीवनों में आज बोई गई बातों पर निर्भर करता है।

हे मेरे पुत्र, यदि तू मेरे वचन ग्रहण करे, और मेरी आज्ञाओं को अपने हृदय में रख छोड़े,...तो तू यहोवा के भय को समझेगा, और परमेश्वर का ज्ञान तुझे प्राप्त होगा। नीतिवचन २:१,५

बाइबल पाठ: नीतिवचन २
Pro 2:1  हे मेरे पुत्र, यदि तू मेरे वचन ग्रहण करे, और मेरी आज्ञाओं को अपने हृदय में रख छोड़े, 
Pro 2:2  और बुद्धि की बात ध्यान से सुने, और समझ की बात मन लगाकर सोचे; 
Pro 2:3  और प्रवीणता और समझ के लिये अति यत्न से पुकारे, 
Pro 2:4  ओर उसको चान्दी की नाईं ढूंढ़े, और गुप्त धन के समान उसी खोज में लगा रहे; 
Pro 2:5  तो तू यहोवा के भय को समझेगा, और परमेश्वर का ज्ञान तुझे प्राप्त होगा। 
Pro 2:6  क्योंकि बुद्धि यहोवा ही देता है; ज्ञान और समझ की बातें उसी के मुंह से निकलती हैं। 
Pro 2:7  वह सीधे लोगों के लिये खरी बुद्धि रख छोड़ता है; जो खराई से चलते हैं, उनके लिये वह ढाल ठहरता है। 
Pro 2:8  वह न्याय के पथों की देख भाल करता, और अपने भक्तों के मार्ग की रक्षा करता है। 
Pro 2:9  तब तू धर्म और न्याय, और सीधाई को, निदान सब भली-भली चाल समझ सकेगा; 
Pro 2:10  क्योंकि बुद्धि तो तेरे हृदय में प्रवेश करेगी, और ज्ञान तुझे मनभाऊ लगेगा; 
Pro 2:11  विवेक तुझे सुरक्षित रखेगा, और समझ तेरी रक्षक होगी; 
Pro 2:12  ताकि तुझे बुराई के मार्ग से, और उलट फेर की बातों के कहने वालों से बचाए, 
Pro 2:13  जो सीधाई के मार्ग को छोड़ देते हैं, ताकि अन्धेरे मार्ग में चलें; 
Pro 2:14  जो बुराई करने से आनन्दित होते हैं, और दुष्ट जन की उलट फेर की बातों में मगन रहते हैं; 
Pro 2:15  जिनकी चालचलन टेढ़ी मेढ़ी और जिनके मार्ग बिगड़े हुए हैं।
Pro 2:16  तब तू पराई स्त्री से भी बचेगा, जो चिकनी चुपड़ी बातें बोलती है, 
Pro 2:17  और अपनी जवानी के साथी को छोड़ देती, और जो अपने परमेश्वर की वाचा को भूल जाती है।
Pro 2:18  उसका घर मृत्यु की ढलान पर है, और उसी डगरें मरे हुओं के बीच पहुंचाती हैं? 
Pro 2:19  जो उसके पास जाते हैं, उन में से कोई भी लौट कर नहीं आता, और न वे जीवन का मार्ग पाते हैं।
Pro 2:20  तू भले मनुष्यों के मार्ग में चल, और धमिर्यों की बाट को पकड़े रह। 
Pro 2:21  क्योंकि धर्मी लोग देश में बसे रहेंगे, और खरे लोग ही उस में बने रहेंगे। 
Pro 2:22  दुष्ट लोग देश में से नाश होंगे, और विश्वासघाती उस में से उखाड़े जाएंगे।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन ११३-११५ 
  • १ कुरिन्थियों ६