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रविवार, 11 नवंबर 2012

निस्वार्थ प्रेम


   घटना ४ दिसंबर २००६ की है, एक १९ वर्षीय सैनिक इराक में अपने साथियों के साथ गाड़ी में गश्त पर था और उसने किसी को गाड़ी पर हथगोला फेंकते हुए देखा। उसने प्रयास किया कि वह हथगोला उनकी गाड़ी के अन्दर ना गिरे, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। उस युवा सैनिक के पास समय था कि वह गाड़ी से कूदकर अपनी जान बचा लेता, लेकिन गाड़ी से बाहर कूदने की बजाए वह गाड़ी के अन्दर उस हथगोले पर कूदकर लेट गया - वह तो शहीद हो गया लेकिन भौंचक्का कर देने वाले उसके इस निस्वार्थ कार्य से उसके साथी बच गए।

   आत्मबलिदान की ऐसी महान और समझ से परे घटनाओं द्वारा हम समझ सकते हैं कि जब परमेश्वर का वचन बाइबल कहती है कि ऐसा प्रेम भी है जो बड़े ज्ञान और महान विश्वास से बढ़कर है तो उसका क्या तात्पर्य है (१ कुरिन्थियों १३:१-३)।

   इस प्रकार का निस्वार्थ प्रेम बहुत विरला होता है; इसीलिए प्रेरित पौलुस ने फिलिप्पियों के विश्वासीयों को लिखी अपनी पत्री में शोकित होते हुए लिखा कि लोग मसीह की सेवा की अपेक्षा अपने स्वार्थ-सिद्धी की अधिक परवाह करते हैं (फिलिप्पियों २:२०-२१)। इसीलिए पौलुस अपने साथी इपफ्रुदितुस की सेवा के लिए आभारी हुआ जिसने दूसरों की सेवा के लिए अपने प्राणों की परवाह नहीं की (फिलिप्पियों २:३०)।

   यदि आप सोचते हैं कि दूसरों के लिए आप अपने प्राण कभी दाँव पर नहीं लगा सकते तो इपफ्रुदितुस इस निस्वार्थ कार्य के लिए पहला कदम उठाने का उदाहरण हमारे सामने रखता है। ऐसा प्रेम ना तो साधारण होता है, ना सामन्य रीति से मिलता है और ना ही मनुष्य की इच्छा से आता है। यह निस्वार्थ प्रेम परमेश्वर की आत्मा से प्राप्त होता है। पवित्र आत्मा ही हमें दूसरों के प्रति संवेदनशील होने और उनकी प्रति उस महान निस्वार्थ प्रेम की एक झलक दिखाने की सामर्थ भी देती है, जो परमेश्वर ने हमसे किया और प्रभु यीशु में होकर संसार के समक्ष प्रदर्शित किया।

   क्या आपने प्रभु यीशु के इस महान निस्वार्थ प्रेम और बलिदान पर कभी गंभीरता से विचार किया है? क्या अपने जीवन में आपने उसके इस प्रेम को स्वीकार कर लिया है? - मार्ट डी हॉन


परमेश्वर के प्रति अपने प्रेम को आप दूसरों के प्रति प्रदर्शित अपने प्रेम के द्वारा जान सकते हैं।

क्‍योंकि वही मसीह के काम के लिये अपने प्राणों पर जोखिम उठाकर मरने के निकट हो गया था, ताकि जो घटी तुम्हारी ओर से मेरी सेवा में हुई, उसे पूरा करे। - फिलिप्पियों २:३०

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों २:२०-३०
Php 2:20  क्‍योंकि मेरे पास ऐसे स्‍वाभाव का कोई नहीं, जो शुद्ध मन से तुम्हारी चिन्‍ता करे। 
Php 2:21  क्‍योंकि सब अपने स्‍वार्थ की खोज में रहते हैं, न कि यीशु मसीह की। 
Php 2:22   पर उसको तो तुम ने परखा और जान भी लिया है, कि जैसा पुत्र पिता के साथ करता है, वैसा ही उस ने सुसमाचार के फैलाने में मेरे साथ परिश्रम किया। 
Php 2:23  सो मुझे आशा है, कि ज्योंही मुझे जान पड़ेगा कि मेरी क्‍या दशा होगी, त्योंही मैं उसे तुरन्‍त भेज दूंगा। 
Php 2:24   और मुझे प्रभु में भरोसा है, कि मैं आप भी शीघ्र आऊंगा। 
Php 2:25   पर मैं ने इपफ्रदीतुस को जो मेरा भाई, और सहकर्मी और संगी योद्धा और तुम्हारा दूत, और आवश्यक बातों में मेरी सेवा टहल करने वाला है, तुम्हारे पास भेजना अवश्य समझा। 
Php 2:26  क्‍योंकि उसका मन तुम सब में लगा हुआ था, इस कारण वह व्याकुल रहता था क्‍योंकि तुम ने उस की बीमारी का हाल सुना था। 
Php 2:27  और निश्‍चय वह बीमार तो हो गया था, यहां तक कि मरने पर था, परन्‍तु परमेश्वर ने उस पर दया की; और केवल उस ही पर नहीं, पर मुझ पर भी, कि मुझे शोक पर शोक न हो। 
Php 2:28  इसलिये मैं ने उसे भेजने का और भी यत्‍न किया कि तुम उस से फिर भेंट करके आनन्‍दित हो जाओ और मेरा शोक घट जाए। 
Php 2:29  इसलिये तुम प्रभु में उस से बहुत आनन्‍द के साथ भेंट करना, और ऐसों का आदर किया करना। 
Php 2:30  क्‍योंकि वही मसीह के काम के लिये अपने प्राणों पर जोखिम उठाकर मरने के निकट हो गया था, ताकि जो घटी तुम्हारी ओर से मेरी सेवा में हुई, उसे पूरा करे। 

एक साल में बाइबल: 
  • यर्मियाह ५० 
  • इब्रानियों ८