ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

बुधवार, 20 फ़रवरी 2013

आराधना


   एक समय था जब मुझे चर्च में आराधना का समय मनोरंजन लगता था। मेरे जैसे लोगों के लिए ही सॉरेन किर्केगार्ड ने कहा है: "हम चर्च को एक नाट्यशाला के समान देखते हैं। हम श्रोताओं के समान जाकर पीछे की पंक्तियों में बैठ जाते हैं और सामने हो रही आराधना का अवलोकन किसी नाटक को देखने के समान करते हैं और यदि प्रस्तुत कार्यक्रम अच्छा लगता है तो फिर प्रशंसास्वरूप ताली भी बजा देते हैं। लेकिन चर्च में नाट्यशाला से उलट व्यवहार होता है, वहां आराधना के लिए एकत्रित जन अभिनेता तथा परमेश्वर श्रोता होता है। जो सबसे महत्वपूर्ण है वह उपस्थित लोगों के हृदयों में होता है ना कि सामने किसी मंच पर। हमारे हृदय से निकलने वाली आराधना की परख परमेश्वर करता है। जब हम आराधना से बाहर आते हैं तो हमारे मनों में अपने प्रसन्न होने या न होने का नहीं वरन प्रश्न यह होना चाहिए कि क्या परमेश्वर मेरी आराधना से प्रसन्न हुआ? क्या मेरी आराधना सच्ची तथा उसे ग्रहणयोग्य थी?"

   परमेश्वर के वचन बाइबल के पुराने नियम में इस्त्राएल के लिए परमेश्वर ने कई बलिदान और पर्व निर्धारित किए जो उनकी आराधना विधि का एक अंग थे। परन्तु फिर भी परमेश्वर ने कहा: "मैं न तो तेरे घर से बैल न तेरे पशुशालों से बकरे ले लूंगा। क्योंकि वन के सारे जीवजन्तु और हजारों पहाड़ों के जानवर मेरे ही हैं" (भजन ५०:९-१०)। परमेश्वर उन लोगों से पशु नहीं आज्ञाकारिता तथा धन्यवाद चाहता था (पद २३)।

   जब हम आराधना की क्रीयाविधि और अन्य बाह्य बातों पर ध्यान केंद्रित रखते हैं तो हम आराधना का केंद्र बिंदु भूल जाते हैं - परमेश्वर के लिए सच्चे हृदय से निकलने वाला धन्यवाद और उसके प्रति वास्तविक समर्पण, जिस से वह प्रसन्न होता है, ना कि कोई औपचारिकता तथा बाह्य स्वरूप। आराधना का उद्देश्य परमेश्वर से भेंट एवं संगति करना तथा उसे प्रसन्न करना है ना कि अपने आप को। सच्ची आराधना किसी औपचारिकता को पूरा करना नहीं है, वरन सच्चे हृदय की गहराईयों से निकलने वाली परमेश्वर को अर्पित करी गई निर्मल भेंट है। - फिलिप यैन्सी


आराधना का हृदय अराधक के हृदय से निकलने वाली आराधना है।

धन्यवाद के बलिदान का चढ़ाने वाला मेरी महिमा करता है; और जो अपना चरित्र उत्तम रखता है उसको मैं परमेश्वर का किया हुआ उद्धार दिखाऊंगा! - भजन ५०:२३

बाइबल पाठ: भजन ५०:७-१५
Psalms 50:7 हे मेरी प्रजा, सुन, मैं बोलता हूं, और हे इस्राएल, मैं तेरे विषय साक्षी देता हूं। परमेश्वर तेरा परमेश्वर मैं ही हूं।
Psalms 50:8 मैं तुझ पर तेरे मेल बलियों के विषय दोष नहीं लगाता, तेरे होमबलि तो नित्य मेरे लिये चढ़ते हैं।
Psalms 50:9 मैं न तो तेरे घर से बैल न तेरे पशुशालों से बकरे ले लूंगा।
Psalms 50:10 क्योंकि वन के सारे जीवजन्तु और हजारों पहाड़ों के जानवर मेरे ही हैं।
Psalms 50:11 पहाड़ों के सब पक्षियों को मैं जानता हूं, और मैदान पर चलने फिरने वाले जानवार मेरे ही हैं।
Psalms 50:12 यदि मैं भूखा होता तो तुझ से न कहता; क्योंकि जगत और जो कुछ उस में है वह मेरा है।
Psalms 50:13 क्या मैं बैल का मांस खाऊं, वा बकरों का लोहू पीऊं?
Psalms 50:14 परमेश्वर को धन्यवाद ही का बलिदान चढ़ा, और परमप्रधान के लिये अपनी मन्नतें पूरी कर;
Psalms 50:15 और संकट के दिन मुझे पुकार; मैं तुझे छुड़ाऊंगा, और तू मेरी महिमा करने पाएगा।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था २६-२७ 
  • मरकुस २

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें