ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

मंगलवार, 23 अप्रैल 2013

सहायता


   अमेरिका के बहुत से वन प्राणी संख्या में घटते जा रहे हैं और उनकी प्रजातियाँ लुप्त होने के कगार पर पहुँच रही हैं। इस स्थिति का एक प्रमुख कारण शिकारीयों की बन्दूकें नहीं वरन सड़कों पर भारी यातायात और रिहायशी इलाकों की बढ़ती हुई सीमाएं हैं जो उनके विचरण और रहने के क्षेत्रों पर कब्ज़ा जमाते जा रहे हैं और उन वन प्राणियों को विस्थापित कर रहे हैं। मुझे इन वन प्राणियों की दयनीय स्थिति का सजीव उदाहरण तब देखने को मिला जब मैं एक बार गाड़ी चलाते हुए जा रहा था कि अचानक एक मादा हिरन बड़ी तेज़ी से मेरी गाड़ी के आगे से होकर भागी, फिर सड़क की दूसरी ओर पहुँच कर रुक गई और पलट कर देखने लगी। मैंने भी उसी ओर देखा जिधर उसकी नज़रें लगी थीं और पाया कि उसके दो नन्हे शावक बड़ी बेबसी से सड़क के पार खड़ी अपनी माँ की ओर देख रहे थे, लेकिन सड़क पर चल रही गाड़ियों के कारण पार नहीं हो पा रहे थे। कुछ देर तक ऐसे ही बेबस खड़े रहने के बाद वे दोनो बच्चे वापस जंगल की ओर मुड़ गए; शायद एक परिवार सदा के लिए एक दुसरे से बिछड़ गया था।

   संसार पर पाप के प्रभाव, सांसारिकता तथा जीवन में पाप की प्रवृति से समस्त मानव जाति भी विनाश के कगार पर खड़ी है। पाप की इस अव्यवस्था के दुषप्रभाव से, उस हिरनी और उसके शावकों के समान, हम भी अपने आप को अनापेक्षित परिस्थितियों, अनभिज्ञ खतरों अथवा विषम परिस्थितियों में पा कर असहाय तथा निरुपाय अनुभव कर सकते हैं। पाप के प्रभाव और दोष से पार पाने में हमारे अपने प्रयास और क्षमताएं तथा योजनाएं चाहे अक्षम हों, लेकिन वास्तव में हम असहाय या निरुपाय नहीं हैं; हम सब को पाप के दोष और उसके दुषप्रभावों से बचाने के लिए स्वर्गीय परमेश्वर पिता की सहायता की उपल्बध है। चाहे वे दुषपरिणाम पूर्वजों के पापों के कारण हो और हमें उन से उभरने तथा अपने जीवन में उन्हें ना दोहराने की समझ और शक्ति की आवश्यकता हो (नहेमेयाह 9:2-3); या उस प्रेमी परमेश्वर और ध्यानपूर्वक हमारी देखभाल करने वाले धैर्यवान पिता के पास पश्चाताप के साथ लौटने के लिए हिम्मत और सदबुद्धि की आवश्यकता हो (लूका 15:8), परमेश्वर हमारी सहायता के लिए सदैव तत्पर और तैयार है। परमेश्वर ने हमें पाप के दोष से छुड़ाने और स्वर्गीय जीवन जीने के लिए हमारी सहायता करने को प्रभु यीशु के रूप में अपना हाथ हमारी ओर बढ़ाया है। किंतु उसके बढ़े हुए हाथ की ओर अपना हाथ बढ़ाकर उसे थामने और पाप से निवारण के उसके उपाय को स्वीकार करने की बजाए यदि हम अपनी ही सीमित समझ और युक्तियों के सहारे कार्य करते रहेंगे, और फिर परिणामस्वरूप परेशानियों में पड़े रहने को सही एवं बुद्धिमतापूर्ण समझते रहेंगे तो समस्या का निवारण नहीं हो पाएगा।

   केवल हमारा स्वर्गीय परमेश्वर पिता ही हमारे जीवनों के संचालन के लिए हमें वह परिपूर्ण अनुग्रह, संपूर्ण क्षमा, खरा उदाहरण और भीतरी शान्ति प्रदान कर सकता है जिसके साथ हम जीवन की कठिन परिस्थितियों का सामना कर सकें। वह हमारी वास्तविकता, हमारी क्षमता और कमज़ोरियाँ जानता है और इसीलिए उसने अपने पुत्र और संसार के उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह के द्वारा सेंत-मेंत बचाए जाने, तथा पापों से क्षमा और उद्धार पाने का मार्ग समस्त संसार के सभी लोगों के लिए बना कर दिया है। जो कोई उसके इस खुले निमंत्रण को स्वीकार करके प्रभु के पीछे हो लेता है, उसे वह सहायता के लिए अपना पवित्र आत्मा भी देता है, जो उस व्यक्ति में निवास करता है, उसकी सहायता करता है और उसका मार्गदर्शन करता है।

   परमेश्वर नहीं चाहता कि उसकी सृष्टि, उसके बच्चे अपने पापों में बने रहने के कारण उससे बिछड़ें इसलिए उसने अपने साथ चलने और बने रहने का मार्ग, क्षमा और सामर्थ सब के लिए दे दी है। उसकी इस प्रेम-भेंट को स्वीकार करके उसकी बात को मानना और उसका अनुसरण करना, अब यह प्रत्येक व्यक्ति का अपना निर्णय है। - मार्ट डी हॉन


परमेश्वर की ओर वापस लौट आने का मार्ग इस जीवन में ही खुला मिलता है।

और इस्राएलियों में से बहुतेरों को उन के प्रभु परमेश्वर की ओर फेरेगा। - (लूका 1:16)

बाइबल पाठ: मलाकी 4:4-6; मत्ती 1:21-23
Malachi 4:4 मेरे दास मूसा की व्यवस्था अर्थात जो जो विधि और नियम मैं ने सारे इस्रएलियों के लिये उसको होरेब में दिए थे, उन को स्मरण रखो।
Malachi 4:5 देखो, यहोवा के उस बड़े और भयानक दिन के आने से पहिले, मैं तुम्हारे पास एलिय्याह नबी को भेजूंगा।
Malachi 4:6 और वह माता पिता के मन को उनके पुत्रों की ओर, और पुत्रों के मन को उनके माता-पिता की ओर फेरेगा; ऐसा न हो कि मैं आकर पृथ्वी को सत्यानाश करूं।
Matthew 1:21 वह पुत्र जनेगी और तू उसका नाम यीशु रखना; क्योंकि वह अपने लोगों का उन के पापों से उद्धार करेगा।
Matthew 1:22 यह सब कुछ इसलिये हुआ कि जो वचन प्रभु ने भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा था; वह पूरा हो।
Matthew 1:23 कि, देखो एक कुंवारी गर्भवती होगी और एक पुत्र जनेगी और उसका नाम इम्मानुएल रखा जाएगा जिस का अर्थ यह है “परमेश्वर हमारे साथ”।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 शमूएल 16-18 
  • लूका 17:20-37


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें