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रविवार, 7 जुलाई 2013

बच निकलना

   प्राचीन युनानी गाथाओं में एक व्यक्ति इकैरस का उल्लेख है जो अपनी बाहों पर मोम के साथ पंख चिपकाकर, उड़ान भरकर एक टापू से बच कर भाग निकला, लेकिन इस सफल उड़ान के उत्साह और जोश में वह उड़ते उड़ते सूर्य के इतना निकट आ गया कि सूर्य की गरमी से मोम पिघल गया, उसके पंख बाहों से अलग होकर गिर गए और वह भी नीचे समुद्र में गिरा और डूब कर मर गया। यह प्राचीन किंवदती दिखाती है कि पक्षियों के समान उड़ान भरने का सपना मनुष्य के मन में प्राचीन काल से ही रहा है। अन्ततः एक व्यक्ति, इव्स रौस्सी, ने इस कलपना को सच कर दिखाया और सन 2004 में स्विटज़रलैण्ड के जनेवा शहर के नज़दीक से उसने अपनी पहली उड़ान भरी। रौस्सी ने अपने लिए एक उषमा-प्रतिरोधक सूट बनवाया, अपनी पीठ पर एक छोटा किंतु शक्तिशाली इंजन तथा पंख बांधे और अपने शरीर को वायुयान के धड़ के समान प्रयोग किया और उड़ान भरी। इसके बाद वह अनेक बार ऐसी ही सफल उड़ान भर कर दिखा चुका है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भजनकार दाऊद ने भी पंख होने की तीव्र लालसा जताई है जिससे वह उड़कर अपने शत्रुओं से बच निकले: "और मैं ने कहा, भला होता कि मेरे कबूतर के से पंख होते तो मैं उड़ जाता और विश्राम पाता!" (भजन 55:6)। दाऊद के समान ही, जब हम तनाव, दुर्व्यवहार, कठिनाईयों, दुखों आदि का सामना करते हैं तो हमारा मन भी करता है कि काश हम भी उड़कर इन परिस्थितियों से कहीं दूर बच निकलते।

   लेकिन एक मसीही विश्वासी के पास एक अन्य और अधिक अच्छा विकल्प भी है जो उसे प्रभु यीशु से मिला है - परिस्थितियों से कहीं दूर बच निकलने की बजाए, प्रभु यीशु का खुला निमंत्रण है कि हर बात में उसके शरणागत हो जाएं: "हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा। मेरा जूआ अपने ऊपर उठा लो; और मुझ से सीखो; क्योंकि मैं नम्र और मन में दीन हूं: और तुम अपने मन में विश्राम पाओगे" (मत्ती 11:28-29)।

   जीवन की परेशानियों से बच निकलने की लालसा रखने की बजाए, हमारे पास एक अधिक सहज और अति कारगर उपाय है - उन्हें प्रभु यीशु के पास लाकर उसे सौंप देना। बच निकलने की लालसा से हमें समाधान और विश्राम नहीं मिल सकता, किंतु प्रभु यीशु से अवश्य मिल सकता है। - बिल क्राउडर


परमेश्वर हमें सामर्थ देता है परिस्थितियों का सामना करने के लिए, उनसे बच कर भागने का प्रयास करने के लिए नहीं।

और मैं ने कहा, भला होता कि मेरे कबूतर के से पंख होते तो मैं उड़ जाता और विश्राम पाता! - भजन 55:6

बाइबल पाठ: भजन 55:1-8
Psalms 55:1 हे परमेश्वर, मेरी प्रार्थना की ओर कान लगा; और मेरी गिड़गिड़ाहट से मुंह न मोड़!
Psalms 55:2 मेरी ओर ध्यान देकर, मुझे उत्तर दे; मैं चिन्ता के मारे छटपटाता हूं और व्याकुल रहता हूं।
Psalms 55:3 क्योंकि शत्रु कोलाहल और दुष्ट उपद्रव कर रहें हैं; वे मुझ पर दोषारोपण करते हैं, और क्रोध में आकर मुझे सताते हैं।
Psalms 55:4 मेरा मन भीतर ही भीतर संकट में है, और मृत्यु का भय मुझ में समा गया है।
Psalms 55:5 भय और कंपकपी ने मुझे पकड़ लिया है, और भय के कारण मेरे रोंए रोंए खड़े हो गए हैं।
Psalms 55:6 और मैं ने कहा, भला होता कि मेरे कबूतर के से पंख होते तो मैं उड़ जाता और विश्राम पाता!
Psalms 55:7 देखो, फिर तो मैं उड़ते उड़ते दूर निकल जाता और जंगल में बसेरा लेता,
Psalms 55:8 मैं प्रचण्ड बयार और आन्धी के झोंके से बचकर किसी शरण स्थान में भाग जाता।

एक साल में बाइबल: 
  • अय्युब 34-35 
  • प्रेरितों 15:1-21


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