ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

बुधवार, 14 अगस्त 2013

बाध्य?

   मेरे एक मित्र ने मुझे संसार भर के 20 सबसे सुन्दर चर्च भवनों की फोटो भेजीं। ये 20 चर्च भवन विश्व के उत्तर-पश्चिम गोलार्ध में स्थित आइसलैंड देश से लेकर दक्षिण-पूर्व गोलार्ध में स्थित भारत देश तक संसार भर में फैले हुए हैं और प्रत्येक चर्च वास्तुशिल्पकला का उत्कृष्ट और अनुपम नमूना है।

   यर्मियाह नबी के दिनों में इस्त्राएल के लिए परमेश्वर की उपासना का सबसे सुन्दर स्थान था यरूशालेम में स्थित मन्दिर जिसकी राजा योशिय्याह ने हाल ही में मरम्मत करवाई थी (2 इतिहास 34-35)। उस समय के इस्त्राएली लोग उस भवन इमारत से बहुत प्रभावित थे और उससे बहुत लगाव रखते थे (यर्मियाह 7:4), और उनकी यह मूर्खतापूर्ण धारणा थी कि उस मन्दिर के वहाँ होने के कारण परमेश्वर उन्हें उनके शत्रुओं से बचा कर रखने को बाध्य है। लेकिन इसके विप्रीत परमेश्वर ने अपने नबी यर्मियाह द्वारा इस्त्राएली लोगों तक यह सन्देश पहुँचाया कि उन लोगों के मन और जीवन में पाप बसा हुआ है जो उनकी उपासना को व्यर्थ कर दे रहा है (पद 3, 9-10)।

   बाइबल बताती है कि परमेश्वर उसके नाम से बनाई गई भव्य और सुन्दर इमारतों से प्रसन्न नहीं होता यदि उन इमारतों को उसके नाम के लिए उपयोग में लाने वालों के मन में पवित्रता की सुन्दरता बसी हुई नहीं है। ना ही परमेश्वर को एक बाहरी विधि सम्मत आराधना, रीति-रिवाज़ों एवं विधि-विधानों को मानना, नियत पर्वों का मनाया जाना और विशेष दिनों को उसके नाम से निर्धारित किया जाना भाता है यदि यह सब करने वालों के मन उसके प्रति सच्ची रीति से समर्पित और उनके जीवन उसके आज्ञाकारी ना हों; उसे दिखावे की बाहरी पवित्रता नहीं वरन मन की खरी पवित्रता और सच्चा समर्पण चाहिए। और ऐसे ही बाइबल के अनुसार यह भी व्यर्थ विचार है कि लोगों के धर्म-कर्म के कार्यों तथा आडंबर के कारण परमेश्वर उनकी किसी भी बात को मान लेने और हर हाल में उनकी रक्षा करने को बाध्य हो जाता है।

   बाइबल सिखाती है कि कोई भी परमेश्वर को कुछ करने के लिए विवश नहीं कर सकता; परमेश्वर अपने निर्णय स्वयं अपने संपूर्ण ज्ञान तथा अपनी सिद्ध समझ के अनुसार ही लेता है, किसी के द्वारा किसी रीति या कार्य से बाध्य होकर नहीं। क्योंकि हम मसीही विश्वासी परमेश्वर की आराधना उपासना करते हैं, बाइबल पढ़ते हैं, प्रार्थना करते हैं और अन्य मसीही विश्वासियों के साथ संगति करते हैं इसलिए परमेश्वर हमारे पक्ष में कुछ करते रहने को बाध्य रहता है - यह भी एक व्यर्थ विचार है। हमारा इन सब बातों को करने का उद्देश्य परमेश्वर को अपने पक्ष में विवश करना नहीं वरन उसके बारे में सीखना, उसकी इच्छाओं को जानना, अपने संबंध को उसके साथ सही बनाए रखना तथा और प्रगढ़ करते रहना है जिससे हम उसकी आज्ञाकारिता में, उसे समर्पित और उसे महिमा देने वाला जीवन जी सकें और हमारे जीवनों से लोग सच्चे जीवित परमेश्वर की सच्चाई को देख सकें और अनुभव कर सकें। - सी. पी. हिया


सदा स्मरण रखिए - परमेश्वर ना बाध्य हो सकता है और ना ही किया जा सकता है।

पर तुम एक चुना हुआ वंश, और राज-पदधारी याजकों का समाज, और पवित्र लोग, और (परमेश्वर की) निज प्रजा हो, इसलिये कि जिसने तुम्हें अन्धकार में से अपनी अद्भुत ज्योति में बुलाया है, उसके गुण प्रगट करो। - 1 पतरस 2:9

बाइबल पाठ: यर्मियाह 7:1-11
Jeremiah 7:1 जो वचन यहोवा की ओर से यिर्मयाह के पास पहुंचा वह यह है:
Jeremiah 7:2 यहोवा के भवन के फाटक में खड़ा हो, और यह वचन प्रचार कर, ओर कह, हे सब यहूदियो, तुम जो यहोवा को दण्डवत करने के लिये इन फाटकों से प्रवेश करते हो, यहोवा का वचन सुनो।
Jeremiah 7:3 सेनाओं का यहोवा जो इस्राएल का परमेश्वर है, यों कहता है, अपनी अपनी चाल और काम सुधारो, तब मैं तुम को इस स्थान में बसे रहने दूंगा।
Jeremiah 7:4 तुम लोग यह कह कर झूठी बातों पर भरोसा मत रखो, कि यही यहोवा का मन्दिर है; यही यहोवा का मन्दिर, यहोवा का मन्दिर।
Jeremiah 7:5 यदि तुम सचमुच अपनी अपनी चाल और काम सुधारो, और सचमुच मनुष्य-मनुष्य के बीच न्याय करो,
Jeremiah 7:6 परदेशी और अनाथ और विधवा पर अन्धेर न करो; इस स्थान में निर्दोष की हत्या न करो, और दूसरे देवताओं के पीछे न चलो जिस से तुम्हारी हानि होती है,
Jeremiah 7:7 तो मैं तुम को इस नगर में, और इस देश में जो मैं ने तुम्हारे पूर्वजों को दिया था, युग युग के लिये रहने दूंगा।
Jeremiah 7:8 देखो, तुम झूठी बातों पर भरोसा रखते हो जिन से कुछ लाभ नहीं हो सकता।
Jeremiah 7:9 तुम जो चोरी, हत्या और व्यभिचार करते, झूठी शपथ खाते, बाल देवता के लिये धूप जलाते, और दूसरे देवताओं के पीछे जिन्हें तुम पहिले नहीं जानते थे चलते हो,
Jeremiah 7:10 तो क्या यह उचित है कि तुम इस भवन में आओ जो मेरा कहलाता है, और मेरे साम्हने खड़े हो कर यह कहो कि हम इसलिये छूट गए हैं कि ये सब घृणित काम करें?
Jeremiah 7:11 क्या यह भवन जो मेरा कहलाता है, तुम्हारी दृष्टि में डाकुओं की गुफ़ा हो गया है? मैं ने स्वयं यह देखा है, यहोवा की यह वाणी है।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 89-90 
  • रोमियों 14


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें