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रविवार, 30 जून 2013

खोया और पाया

   जिस दिन तक मुझे "ढूँढ" नहीं लिया गया, मुझे पता ही नहीं था कि मैं "खोई" हुई हूँ!

   मेरा जीवन सामन्य रीति से चल रहा था, मैं अपने कार्य में व्यस्त रहती थी, ज़िम्मेदारियाँ और दिनचर्या पूरी करती थी, कभी कभी कुछ मौज मस्ती भी कर लेती थी। फिर एक दिन मुझे एक ई-मेल मिला जिसका शीर्षक था "शायद आप मेरे रिश्तेदार हैं।" मैंने वह सन्देश पढ़ा तो पाया कि वह एक महिला द्वारा भेजा गया है, जो अपने एक अन्य रिश्तेदार के साथ मिलकर पिछले 10 वर्ष से एक पुराने परिवार की मेरी तरफ के परिवार जनों की शाखा को खोज रही है क्योंकि उन्होंने अपने पिता से उनकी मृत्युशैया पर यह वायदा किया था कि वे परिवार की इस खोई हुई शाखा के लोगों को अवश्य ही ढूँढ निकालेंगे।

   मुझे "खो जाने" के लिए कुछ भी तो नहीं करना पड़ा था, मैं तो अपने जन्म से ही "खोई" हुई थी; इसी प्रकार मुझे ढूँढे जाने के लिए भी कुछ नहीं करना पड़ा सिवाय इसके कि मैं स्वीकार कर लूँ कि मैं उस खोई हुई परिवार शाखा की सदस्या हूँ, शेष कार्य तो मुझे ढूँढने वालों ने स्वयं ही पहले से ही कर लिया था। क्योंकि परिवार के उन सदस्यों के साथ मेरा कोई व्यक्तिगत संपर्क नहीं था इसलिए मुझे उन से दूर और "खोए हुए" होने का एहसास भी नहीं था और ना ही इस बात की जानकारी कि कोई मुझे ढूँढ रहा है।  यह जानकर कि मुझे ढूँढने के लिए उन्होंने इतनी मेहनत करी, इतना समय लगाया मुझे बहुत अच्छा लगा और आभास हुआ कि मैं कुछ विशिष्ट हूँ।

   इस घटना पर विचार करते हुए मुझे परमेश्वर के वचन बाइबल के लूका 15 अध्याय में प्रभु यीशु द्वारा दीये तीन "खोए और पाए" दृष्टांतों का स्मरण हो आया -  खोई हुई भेड़, खोया हुआ सिक्का और खोया हुआ पुत्र। जब कभी हम परमेश्वर पिता से भटक जाते हैं, चाहे जानबूझ कर उस खोए हुए पुत्र के समान, या अनजाने में उस खोई हुई भेड़ के समान - परमेश्वर हमें "ढूँढने" और लौटा लाने के प्रयास में लग जाता है। चाहे हमें यह आभास ना भी हो कि हम खोए हुए हैं, किंतु यदि परमेश्वर के साथ हमारा व्यक्तिगत सम्पर्क और संबंध नहीं है तो हम खोए हुए ही हैं और हमारे जीवन का पाप हमें परमेश्वर के साथ सही संबंध बनाने नहीं देता। इसलिए पाप में अपने खोए हुए होने को स्वीकार करना और परमेश्वर द्वारा प्रभु यीशु में उस पाप के निवारण को स्वीकार कर लेना ही ढूँढे जाने की ओर पहला कदम है।

   परमेश्वर ने तो एक बड़े प्रयास और कीमत के चुकाए जाने के द्वारा संसार के हर पाप में खोए हुए व्यक्ति के वापस उसके पास लौट आने और स्वर्गीय परिवार में स्वीकार होने का मार्ग तैयार कर के दे दिया है। हमें केवल प्रभु यीशु से पापों की क्षमा माँगकर अपना जीवन उसे समर्पण करना है और उसकी आज्ञाकारिता में चलना है। वह प्रेमी स्वर्गीय पिता संसार और पाप में खोई हुई अपनी सन्तानों को बड़ी लालसा और प्रेम से वापस घर लौट आने को बुला रहा है; क्या आज आप उसकी इस पुकार को सुन कर स्वीकार करेंगे और उसके पास लौट आएंगे? - जूली ऐकैरमैन लिंक


ढूँढे जाने की आशीषों को पाने के लिए अपने खोया हुआ होने की दशा को स्वीकार करना अनिवार्य है।

क्योंकि मनुष्य का पुत्र खोए हुओं को ढूंढ़ने और उन का उद्धार करने आया है। - लूका 19:10 

बाइबल पाठ: लूका 15:1-10
Luke 15:1 सब चुंगी लेने वाले और पापी उसके पास आया करते थे ताकि उस की सुनें।
Luke 15:2 और फरीसी और शास्त्री कुड़कुड़ा कर कहने लगे, कि यह तो पापियों से मिलता है और उन के साथ खाता भी है।
Luke 15:3 तब उसने उन से यह दृष्‍टान्‍त कहा।
Luke 15:4 तुम में से कौन है जिस की सौ भेड़ें हों, और उन में से एक खो जाए तो निन्नानवे को जंगल में छोड़कर, उस खोई हुई को जब तक मिल न जाए खोजता न रहे?
Luke 15:5 और जब मिल जाती है, तब वह बड़े आनन्द से उसे कांधे पर उठा लेता है।
Luke 15:6 और घर में आकर मित्रों और पड़ोसियों को इकट्ठे कर के कहता है, मेरे साथ आनन्द करो, क्योंकि मेरी खोई हुई भेड़ मिल गई है।
Luke 15:7 मैं तुम से कहता हूं; कि इसी रीति से एक मन फिराने वाले पापी के विषय में भी स्वर्ग में इतना ही आनन्द होगा, जितना कि निन्नानवे ऐसे धर्मियों के विषय नहीं होता, जिन्हें मन फिराने की आवश्यकता नहीं।
Luke 15:8 या कौन ऐसी स्त्री होगी, जिस के पास दस सिक्के हों, और उन में से एक खो जाए; तो वह दीया बारकर और घर झाड़ बुहार कर जब तक मिल न जाए, जी लगाकर खोजती न रहे?
Luke 15:9 और जब मिल जाता है, तो वह अपने सखियों और पड़ोसिनियों को इकट्ठी कर के कहती है, कि मेरे साथ आनन्द करो, क्योंकि मेरा खोया हुआ सिक्‍का मिल गया है।
Luke 15:10 मैं तुम से कहता हूं; कि इसी रीति से एक मन फिराने वाले पापी के विषय में परमेश्वर के स्‍वर्गदूतों के साम्हने आनन्द होता है।

एक साल में बाइबल: 
  • अय्युब 17-19 
  • प्रेरितों 10:1-23