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रविवार, 3 नवंबर 2013

जल

   मंगल ग्रह पर पानी ढूँढने के लिए अमेरिका ने लाखों डॉलर खर्च कर दिए हैं। कुछ समय पहले अमेरिकी अन्तरिक्ष संस्था, नासा ने दो रोबोट उपग्रह, मंगल ग्रह पर उतारे, यह जानने के लिए कि वहाँ पानी है या कभी था कि नहीं। अमेरिका ऐसा क्यों कर रहा है? जो वैज्ञानिक उन दोनों रोबोट उपग्रहों से आने वाले आँकड़ों का अध्ययन कर रहें हैं, वे पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं कि मंगल पर कभी जीवन था कि नहीं; एवं वरतमान में संभव है कि नहीं। जीवन के लिए जल का होना अनिवार्य है, अगर पहले वहाँ जल था तो जीवन भी होने की संभावना है और यदि जल अब भी है तो आगे भी वहाँ जीवन को कायम रखना संभव हो पाएगा।

   लगभग दो हज़ार वर्ष पहले भी दो जन इस्त्राएल स्थित सामारिया के इलाके में जल की खोज में थे। उन में से एक वहीं के गाँव कि एक स्त्री थी और दूसरा गलील के इलाके का एक पुरुष था। उन दोनों की भेंट सुखार नामक एक गाँव के निकट एक कुएँ पर हुई। उस मुलाकात के दौरान उन दोनों में एक वार्तालाप हुआ, जिससे उस पुरुष अर्थात प्रभु यीशु मसीह को वह मिला जो वह ढूँढ रहा था और उस स्त्री को अनन्त जीवन का वह जल मिल गया जिसके, और जिसकी आवश्यकता के बारे में उसे पहले पता भी नहीं था (यूहन्ना 4:5-15)।

   जल आत्मिक और शारीरिक दोनों ही जीवनों के लिए अनिवार्य है। उस स्त्री के लिए प्रभु यीशु मसीह के पास एक अनेपक्षित आश्चर्य था - अनन्त जीवन का जल, अर्थात स्वयं प्रभ यीशु में विश्वास। आत्मिक जीवन के लिए प्रभु यीशु ही वह निर्मल, स्फूर्तिदायक और ताज़गी देने वाला जल है जो अपने पर विश्वास लाने वालों के जीवन को नया कर देता है, अनन्त स्वर्गीय जीवन का अधिकारी बना देता है (यूहन्ना 4:14)।

   क्या आज आप किसी ऐसे को जानते हैं जो जीवन के जल के लिए प्यासा है? कोई ऐसा जिसकी आत्मा की प्यास इस संसार से बुझ नहीं पा रही है? उसका परिचय जीवन के जल, प्रभु यीशु मसीह से करवाईए; आत्मा की प्यास केवल उस जीवन जल से ही बुझ सकती है। - डेव ब्रैनन


केवल प्रभु यीशु जो जीवन जल है आत्मा की प्यास बुझा सकता है।

यीशु ने उन से कहा, जीवन की रोटी मैं हूं: जो मेरे पास आएगा वह कभी भूखा न होगा और जो मुझ पर विश्वास करेगा, वह कभी प्यासा न होगा। - यूहन्ना 6:35

बाइबल पाठ: यूहन्ना 4:1-15
John 4:1 फिर जब प्रभु को मालूम हुआ, कि फरीसियों ने सुना है, कि यीशु यूहन्ना से अधिक चेले बनाता, और उन्हें बपतिस्मा देता है। 
John 4:2 (यद्यपि यीशु आप नहीं वरन उसके चेले बपतिस्मा देते थे)। 
John 4:3 तब यहूदिया को छोड़कर फिर गलील को चला गया। 
John 4:4 और उसको सामरिया से हो कर जाना अवश्य था। 
John 4:5 सो वह सूखार नाम सामरिया के एक नगर तक आया, जो उस भूमि के पास है, जिसे याकूब ने अपने पुत्र यूसुफ को दिया था। 
John 4:6 और याकूब का कूआं भी वहीं था; सो यीशु मार्ग का थका हुआ उस कूएं पर यों ही बैठ गया, और यह बात छठे घण्टे के लगभग हुई। 
John 4:7 इतने में एक सामरी स्त्री जल भरने को आई: यीशु ने उस से कहा, मुझे पानी पिला। 
John 4:8 क्योंकि उसके चेले तो नगर में भोजन मोल लेने को गए थे। 
John 4:9 उस सामरी स्त्री ने उस से कहा, तू यहूदी हो कर मुझ सामरी स्त्री से पानी क्यों मांगता है? (क्योंकि यहूदी सामरियों के साथ किसी प्रकार का व्यवहार नहीं रखते)। 
John 4:10 यीशु ने उत्तर दिया, यदि तू परमेश्वर के वरदान को जानती, और यह भी जानती कि वह कौन है जो तुझ से कहता है; मुझे पानी पिला तो तू उस से मांगती, और वह तुझे जीवन का जल देता। 
John 4:11 स्त्री ने उस से कहा, हे प्रभु, तेरे पास जल भरने को तो कुछ है भी नहीं, और कूआं गहिरा है: तो फिर वह जीवन का जल तेरे पास कहां से आया? 
John 4:12 क्या तू हमारे पिता याकूब से बड़ा है, जिसने हमें यह कूआं दिया; और आप ही अपने सन्तान, और अपने ढोरों समेत उस में से पीया? 
John 4:13 यीशु ने उसको उत्तर दिया, कि जो कोई यह जल पीएगा वह फिर प्यासा होगा। 
John 4:14 परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूंगा, वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा: वरन जो जल मैं उसे दूंगा, वह उस में एक सोता बन जाएगा जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा। 
John 4:15 स्त्री ने उस से कहा, हे प्रभु, वह जल मुझे दे ताकि मैं प्यासी न होऊं और न जल भरने को इतनी दूर आऊं।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 30-31 
  • फिलेमोन