ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

रविवार, 7 सितंबर 2014

महिमा


   बहुत वर्ष पहले की बात है, मैं और मेरे बेटे, अपने आँगन में पीठ के बल लेटे हुए ऊपर उड़ रहे बादलों को, उनके द्वार बन रहे विभिन्न आकारों को, देख रहे थे। मेरे एक बेटे ने पूछा, "पापा, बादल ऐसे उड़ते कैसे रहते हैं?" मैंने अपने ज्ञान बघारने के लहज़े में बोलना आरंभ किया, "देखो बेटा" और फिर मैं चुप हो गया। कुछ पल की खामोशी के पश्चात मैंने स्वीकार किया कि "इसका उत्तर मुझे पता नहीं है, लेकिन मैं पता कर के तुम्हें अवश्य बताऊँगा"। मैंने उत्तर को खोजा और पाया कि वायुमण्डल की नमी ऊपर की ठंड से द्रवित होकर गुरुत्वाकर्षण द्वारा नीचे धरती की ओर आने लगती है, और नीचे धरती से गरम होकर हवा ऊपर की ओर उठती है। उस गर्म हवा के द्वारा वह नमी फिर से भाप बनकर ऊपर उठ जाती है, इसी कारण बादल हवा में उड़ते रहते हैं।

   यह इस तथ्य का वैज्ञानिक स्पष्टिकरण है। लेकिन यह वैज्ञानिक स्पष्टिकरण ही संपूर्ण उत्तर हो ऐसा आवश्यक नहीं। इस वैज्ञानिक स्पष्टिकरण को आधार देने वाली एक और बुनियादी बात भी है - परमेश्वर ने अपनी बुद्धिमानी और विद्वता में सृष्टि के संचालन के लिए ऐसे नियम बनाए हैं जो उसके सर्वज्ञानी होने और सिद्ध ज्ञान रखने को प्रकट करते हैं। बादल और उनका हवा में उड़ते रहना हमारे लिए एक चिन्ह एवं प्रमाण है सृष्टि में होकर दिखाई देने वाली परमेश्वर की भलाई, अनुग्रह, सामर्थ और बुद्धिमता का।

   इसलिए यह स्मरण रखिए कि जिसने बादलों को बनाया, उनके कार्य को निर्धारित किया और जो सृष्टि की हर बात का रचने तथा संचालित करने वाला है, उसकी सच्चाई को पहिचानना तथा उसके सच्चे स्वरूप में उसकी आराधना एवं महिमा करना हम सभी का कर्तव्य है। उसने अपने आप को गुप्त, या केवल कुछ ही लोगों के विशेष प्रयासों द्वारा खोजे सकने वाला नहीं रखा है, वरन अपनी सृष्टि में अपने गुण और कार्य प्रकट किए हैं (रोमियों 1:20); "आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है; और आकशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है" (भजन 19:1)। -डेविड रोपर


सृष्टि, सृष्टिकर्ता की ओर संकेत करने वाले चिन्हों से भरी पड़ी है।

क्योंकि उसके अनदेखे गुण, अर्थात उस की सनातन सामर्थ, और परमेश्वरत्व जगत की सृष्टि के समय से उसके कामों के द्वारा देखने में आते है, यहां तक कि वे निरुत्तर हैं। - रोमियों 1:20  

बाइबल पाठ: अय्युब 37:1-16
Job 37:1 फिर इस बात पर भी मेरा हृदय कांपता है, और अपने स्थान से उछल पड़ता है। 
Job 37:2 उसके बोलने का शब्द तो सुनो, और उस शब्द को जो उसके मुंह से निकलता है सुनो। 
Job 37:3 वह उसको सारे आकाश के तले, और अपनी बिजली को पृथ्वी की छोर तक भेजता है। 
Job 37:4 उसके पीछे गरजने का शब्द होता है; वह अपने प्रतापी शब्द से गरजता है, और जब उसका शब्द सुनाईं देता है तब बिजली लगातार चमकने लगती है। 
Job 37:5 ईश्वर गरज कर अपना शब्द अद्भूत रीति से सुनाता है, और बड़े बड़े काम करता है जिन को हम नहीं समझते। 
Job 37:6 वह तो हिम से कहता है, पृथ्वी पर गिर, और इसी प्रकार मेंह को भी और मूसलाधार वर्षा को भी ऐसी ही आज्ञा देता है। 
Job 37:7 वह सब मनुष्यों के हाथ पर मुहर कर देता है, जिस से उसके बनाए हुए सब मनुष्य उसको पहचानें। 
Job 37:8 तब वन पशु गुफाओं में घुस जाते, और अपनी अपनी मांदों में रहते हैं। 
Job 37:9 दक्खिन दिशा से बवण्डर और उतरहिया से जाड़ा आता है। 
Job 37:10 ईश्वर की श्वास की फूंक से बरफ पड़ता है, तब जलाशयों का पाट जम जाता है। 
Job 37:11 फिर वह घटाओं को भाफ़ से लादता, और अपनी बिजली से भरे हुए उजियाले का बादल दूर तक फैलाता है। 
Job 37:12 वे उसकी बुद्धि की युक्ति से इधर उधर फिराए जाते हैं, इसलिये कि जो आज्ञा वह उन को दे, उसी को वे बसाई हुई पृथ्वी के ऊपर पूरी करें। 
Job 37:13 चाहे ताड़ना देने के लिये, चाहे अपनी पृथ्वी की भलाई के लिये वा मनुष्यों पर करुणा करने के लिये वह उसे भेजे। 
Job 37:14 हे अय्यूब! इस पर कान लगा और सुन ले; चुपचाप खड़ा रह, और ईश्वर के आश्चर्यकर्मों का विचार कर। 
Job 37:15 क्या तू जानता है, कि ईश्वर क्योंकर अपने बादलों को आज्ञा देता, और अपने बादल की बिजली को चमकाता है? 
Job 37:16 क्या तू घटाओं का तौलना, वा सर्वज्ञानी के आश्चर्यकर्म जानता है?

एक साल में बाइबल: 
  • यहेजकेल 12-14


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें