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गुरुवार, 8 मई 2014

उपलब्ध


   गैरी अदालत में बैठा अपने मुकदमे की सुनवाई का नंबर आने की प्रतीक्षा में था। उस दौरान वह चल रहे मुकदमों की सुनवाई के दौरान एक के बाद एक लोगों की गवाहियाँ सुन रहा था जो बेघर किए जा रह थे। उन लोगों में से कई तो इस न्यायिक कार्यवाही से होकर ऐसे निकल रहे थे मानो वे इससे भलि-भांति परिचित हों और उन्हें कोई परवाह ना हो। लेकिन उन में से एक महिला, लेस्ली, बहुत घबराई हुई थी, उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है, और आगे क्या होगा, और ना ही उस महिला को समझ आ रहा था कि सही सहायता पाने के लिए किस के पास जाए।

   वहाँ बैठे बैठे गैरी को लगा जैसे उसके अन्दर कोई उसे उस महिला की सहायता के लिए आगे बढ़ने को कह रहा है। गैरी बहुत देर तक अपने अन्दर की उस आवाज़ को दबाता और नज़रन्दाज़ करता रहा, लेकिन वह आवाज़ शान्त नहीं हुई। गैरी ने आगे बढ़कर उस महिला की सहायता ना करने के कई बहाने ढूँढे; जैसे कि, अनजाने लोगों के साथ बातचीत करना उसे नहीं आता; उसे डर था कि उसका यह प्रयास गलत ना समझ लिया जाए, इत्यादि; लेकिन अन्ततः उसे लगा कि यह आवाज़ परमेश्वर की ओर से है, और वह परमेश्वर के निर्देशों के प्रति अनाज्ञाकारी नहीं होना चाहता था।

   जब वह महिला, लेस्ली, न्यायालय से निकल कर जाने लगी तब गैरी उसके पास गया और उससे कहा, "महोदया, मैंने अदालत में दी गई आपकी गवाही सुनी है, और मेरा विश्वास है कि परमेश्वर चाहता है कि मैं आपकी सहायता करूं।" पहले तो लेस्ली को गैरी पर शक हुआ, लेकिन गैरी ने उसे अपनी और अपनी इच्छा की खराई का विश्वास दिलाया। फिर गैरी ने कुछ लोगों से फोन द्वारा संपर्क किया और उस महिला का एक स्थानीय चर्च के लोगों के साथ संपर्क करवा दिया, जिन्होंने उसका घर बचाए रखने के लिए उसकी सहायता करी।

   परमेश्वर ने हम मसीही विश्वासियों को सक्रीय होकर उसके लिए कार्यरत रहने के लिए बुलाया है (1 यूहन्ना 3:18)। जब हम परमेश्वर की आवाज़ किसी की सहायता करने जाने के लिए सुनें, तो उस बुलाहट के प्रति ना केवल संवेदनशील हों वरन आज्ञाकारी भी रहें। परमेश्वर के लिए उपलब्ध बन कर ही हम उसके लिए उपयोगी हो सकते हैं। - जूली ऐकैअरमैन लिंक


जब हम परमेश्वर की इच्छानुसार दूसरों की सेवा में लगे होते हैं, तब ही हम अपने लिए सर्वोत्तम कार्य में होते हैं।

अपना मुंह खोल और धर्म से न्याय कर, और दीन दरिद्रों का न्याय कर। - नीतिवचन 31:9

बाइबल पाठ: 1 यूहन्ना 3:16-23
1 John 3:16 हम ने प्रेम इसी से जाना, कि उसने हमारे लिये अपने प्राण दे दिए; और हमें भी भाइयों के लिये प्राण देना चाहिए। 
1 John 3:17 पर जिस किसी के पास संसार की संपत्ति हो और वह अपने भाई को कंगाल देख कर उस पर तरस न खाना चाहे, तो उस में परमेश्वर का प्रेम क्योंकर बना रह सकता है? 
1 John 3:18 हे बालकों, हम वचन और जीभ ही से नहीं, पर काम और सत्य के द्वारा भी प्रेम करें। 
1 John 3:19 इसी से हम जानेंगे, कि हम सत्य के हैं; और जिस बात में हमारा मन हमें दोष देगा, उसके विषय में हम उसके साम्हने अपने अपने मन को ढाढ़स दे सकेंगे। 
1 John 3:20 क्योंकि परमेश्वर हमारे मन से बड़ा है; और सब कुछ जानता है। 
1 John 3:21 हे प्रियो, यदि हमारा मन हमें दोष न दे, तो हमें परमेश्वर के साम्हने हियाव होता है। 
1 John 3:22 और जो कुछ हम मांगते हैं, वह हमें उस से मिलता है; क्योंकि हम उस की आज्ञाओं को मानते हैं; और जो उसे भाता है वही करते हैं। 
1 John 3:23 और उस की आज्ञा यह है कि हम उसके पुत्र यीशु मसीह के नाम पर विश्वास करें और जैसा उसने हमें आज्ञा दी है उसी के अनुसार आपस में प्रेम रखें।

एक साल में बाइबल: 

  • नहेम्याह 4-6