ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

बुधवार, 16 जुलाई 2014

व्यवहार तथा वार्तालाप


   मैसाचूसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टैकनौलॉजी के एक शोधकर्ता एवं वैज्ञानिक ने अपने बच्चे के जीवन के पहले तीन वर्ष को रिकॉर्ड किया, यह जानने के लिए कि हम मानव भाषा कैसे सीखते हैं। उन्होंने और उनकी पत्नि ने अपने घर में स्थान स्थान पर कैमरे और रिकॉर्डिंग उपकरण लगाए जिनके द्वारा उन्होंने 200,000 घंटों से भी अधिक की ऑडियो तथा वीडियो रिकॉर्डिंग्स करीं। इन रिकॉर्डिंग्स को जमा करके, उन्हें संपादित तथा संक्षिप्त करके, उनका विशलेषण करके उन्होंने जाना कि कैसे बच्चों द्वारा निकाली जाने वाली ’गागा’ ध्वनि ’वॉटर’ (पानी) शब्द में परिवर्तित होती है।

   विचार कीजिए, यदि आपको ज्ञात हो कि कोई आपकी हर बात, हर व्यवहार, मुँह से निकलने वाला हर शब्द को रिकॉर्ड कर रहा है तब आपके व्यवहार तथा वार्तालाप पर उसका क्या प्रभाव होगा? यदि ऐसा हो, तो यह अध्ययन आपके बारे में क्या बात प्रकट करेगा? परमेश्वर के वचन बाइबल की नीतिवचन पुस्तक के 18 अध्याय में कुछ अविवेकपूर्ण बातों के उदाहरण प्रस्तुत करे गए हैं। नीतिवचन का लेखक लिखता है कि मूर्ख लोग अपने व्यवहार तथा वार्तालाप द्वारा कुछ बातों को प्रगट करते हैं: वे दूसरों की बात समझने की बजाए अपने ही विचार दूसरों पर थोपने का प्रयास करते हैं (पद 2); उनके शब्दों से विनाश आता है (पद 7); वे बिना पूरी बात सुनें और समझे ही आवेगवश बोलने लगते हैं (पद 13)। कहीं ये तथा ऐसी ही अन्य बातें आज हमारा ही चरित्र-चित्रण तो नहीं कर रही हैं?

   हमें अपने व्यवहार तथा वार्तालाप का अध्ययन करते रहने वाला बनना चाहिए। परमेश्वर की सहायता से हम अपने मुँह से निकलने वाले हानिकारक शब्दों को दूसरों को उभारने वाले तथा प्रोत्साहित करने वाले शब्दों में परिवर्तित कर सकते हैं, जिससे दूसरों को शांति तथा अनुग्रह मिले, यह परमेश्वर की हमारे लिए इच्छा है: "कोई गन्‍दी बात तुम्हारे मुंह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही जो उन्नति के लिये उत्तम हो, ताकि उस से सुनने वालों पर अनुग्रह हो" (इफिसीयों 4:29)। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


हमारे शब्दों में बनाने की भी शक्ति है और बिगाड़ने की भी।

और मैं तुम से कहता हूं, कि जो जो निकम्मी बातें मनुष्य कहेंगे, न्याय के दिन हर एक बात का लेखा देंगे। क्योंकि तू अपनी बातों के कारण निर्दोष और अपनी बातों ही के कारण दोषी ठहराया जाएगा। - मत्ती 12:36-37

बाइबल पाठ: नीतिवचन 18:1-15
Proverbs 18:1 जो औरों से अलग हो जाता है, वह अपनी ही इच्छा पूरी करने के लिये ऐसा करता है, 
Proverbs 18:2 और सब प्रकार की खरी बुद्धि से बैर करता है। मूर्ख का मन समझ की बातों में नहीं लगता, वह केवल अपने मन की बात प्रगट करना चाहता है। 
Proverbs 18:3 जहां दुष्ट आता, वहां अपमान भी आता है; और निन्दित काम के साथ नामधराई होती है। 
Proverbs 18:4 मनुष्य के मुंह के वचन गहिरा जल, वा उमण्डने वाली नदी वा बुद्धि के सोते हैं। 
Proverbs 18:5 दुष्ट का पक्ष करना, और धर्मी का हक मारना, अच्छा नहीं है। 
Proverbs 18:6 बात बढ़ाने से मूर्ख मुकद्दमा खड़ा करता है, और अपने को मार खाने के योग्य दिखाता है। 
Proverbs 18:7 मूर्ख का विनाश उस की बातों से होता है, और उसके वचन उस के प्राण के लिये फन्दे होते हैं। 
Proverbs 18:8 कानाफूसी करने वाले के वचन स्वादिष्ट भोजन की नाईं लगते हैं; वे पेट में पच जाते हैं। 
Proverbs 18:9 जो काम में आलस करता है, वह बिगाड़ने वाले का भाई ठहरता है। 
Proverbs 18:10 यहोवा का नाम दृढ़ गढ़ है; धर्मी उस में भाग कर सब दुर्घटनाओं से बचता है। 
Proverbs 18:11 धनी का धन उसकी दृष्टि में गढ़ वाला नगर, और ऊंचे पर बनी हुई शहरपनाह है। 
Proverbs 18:12 नाश होने से पहिले मनुष्य के मन में घमण्ड, और महिमा पाने से पहिले नम्रता होती है। 
Proverbs 18:13 जो बिना बात सुने उत्तर देता है, वह मूढ़ ठहरता है, और उसका अनादर होता है। 
Proverbs 18:14 रोग में मनुष्य अपनी आत्मा से सम्भलता है; परन्तु जब आत्मा हार जाती है तब इसे कौन सह सकता है? 
Proverbs 18:15 समझ वाले का मन ज्ञान प्राप्त करता है; और बुद्धिमान ज्ञान की बात की खोज में रहते हैं।

एक साल में बाइबल: 

  • नीतिवचन 15-18