ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

गुरुवार, 7 अगस्त 2014

विस्मयकारी सृष्टि


   अगस्त 2011 में अमेरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अंतरिक्ष में स्थित हबल दूरबीन से लिए गए चित्रों को मिलाकर बनाया गया एक संयुक्त चित्र प्रकाशित किया, जिसे देखने वाले लोगों के चेहरों पर एक मुस्कुराहट आ गई। चित्र में दो नक्षत्र समूहों को आपस में टकराना आरंभ करते हुए दिखाया गया है, और यह टकराव की स्थिति एक अन्तरिक्षीय विस्मयबोधक चिन्ह (!) के समान दिखाई देती है। जो नवीनतम गणना मैंने पढ़ी है, उसके अनुसार अन्तरिक्ष में लगभग 100 अरब नक्षत्र समूह हैं और प्रत्येक नक्षत्र समूह सैकड़ों अरब तारों से मिलकर बना है, तथा नए नक्षत्र समूह अभी भी खोजे जा रहे हैं।

   जब मैंने वह अन्तरिक्षीय विस्मयबोधक चिन्ह वाले चित्र को देखा, तो मेरा ध्यान हमारे विस्मयकारी सृष्टिकर्ता की ओर गया, आकाशमण्डल जिसकी महिमा का वर्णन कर रहा है (भजन 19:1), किंतु वह तो अपने बनाए आकाशमण्डल से भी बढ़कर है। जब राजा सुलेमान परमेश्वर की उपस्थिति के लिए मन्दिर बनवा चुका, तो परमेश्वर कि महानता को स्मरण कर के उसने प्रार्थना में कहा, "क्या परमेश्वर सचमुच पृथ्वी पर वास करेगा, स्वर्ग में वरन सब से ऊंचे स्वर्ग में भी तू नहीं समाता, फिर मेरे बनाए हुए इस भवन में क्योंकर समाएगा" (1 राजा 8:27)। राजा सुलेमान को एहसास हुआ कि जब परमेश्वर की उपस्थिति स्वर्ग में भी सीमित नहीं रह सकती तो पृथ्वी पर बने पत्थर के एक मन्दिर में क्योंकर सीमित हो सकती है?

   हमारे सीमित और नश्वर मन-मस्तिष्क के समझ पाने की क्षमता से कहीं कहीं अधिक बढ़कर प्रभु परमेश्वर की हस्ती है, लेकिन फिर भी उसने हमारे लिए यह संभव किया है कि हम उसे प्रभु यीशु में होकर जान सकें, जिसे उसने हमारे पापों की क्षमा और उद्धार के लिए इस संसार में मरने और फिर मृतकों में से पुनः जी उठने के लिए भेजा है। जब हम प्रभु यीशु पर विश्वास कर के अपने पापों से पश्चाताप करते हैं तथा अपना जीवन उसे समर्पित करते हैं, हमारे जीवन भी उसकी महिमा करने वाली उसकी विस्मयकारी सृष्टि का एक भाग बन जाते हैं। - एनी सेटास


सृष्टि में हम परमेश्वर की हस्तकला, और पापों से हमारे छुटकारे में हम उसके हृदय को देखते हैं।

आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है; और आकशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है। - भजन 19:1

बाइबल पाठ: 1 राजा 8:22-30
1 Kings 8:22 तब सुलैमान इस्राएल की पूरी सभा के देखते यहोवा की वेदी के साम्हने खड़ा हुआ, और अपने हाथ स्वर्ग की ओर फैलाकर कहा, हे यहोवा! 
1 Kings 8:23 हे इस्राएल के परमेश्वर! तेरे समान न तो ऊपर स्वर्ग में, और न नीचे पृथ्वी पर कोई ईश्वर है: तेरे जो दास अपने सम्पूर्ण मन से अपने को तेरे सम्मुख जानकर चलते हैं, उनके लिये तू अपनी वाचा पूरी करता, और करुणा करता रहता है। 
1 Kings 8:24 जो वचन तू ने मेरे पिता दाऊद को दिया था, उसका तू ने पालन किया है, जैसा तू ने अपने मुंह से कहा था, वैसा ही अपने हाथ से उसको पूरा किया है, जैसा आज है। 
1 Kings 8:25 इसलिये अब हे इस्राएल के परमेश्वर यहोवा! इस वचन को भी पूरा कर, जो तू ने अपने दास मेरे पिता दाऊद को दिया था, कि तेरे कुल में, मेरे साम्हने इस्राएल की गद्दी पर विराजने वाले सदैव बने रहेंगे: इतना हो कि जैसे तू स्वयं मुझे सम्मुख जानकर चलता रहा, वैसे ही तेरे वंश के लोग अपनी चालचलन में ऐसी ही चौकसी करें। 
1 Kings 8:26 इसलिये अब हे इस्राएल के परमेश्वर अपना जो वचन तू ने अपने दास मेरे पिता दाऊद को दिया था उसे सच्चा सिद्ध कर। 
1 Kings 8:27 क्या परमेश्वर सचमुच पृथ्वी पर वास करेगा, स्वर्ग में वरन सब से ऊंचे स्वर्ग में भी तू नहीं समाता, फिर मेरे बनाए हुए इस भवन में क्योंकर समाएगा। 
1 Kings 8:28 तौभी हे मेरे परमेश्वर यहोवा! अपने दास की प्रार्थना और गिड़गिड़ाहट की ओर कान लगाकर, मेरी चिल्लाहट और यह प्रार्थना सुन! जो मैं आज तेरे साम्हने कर रहा हूँ; 
1 Kings 8:29 कि तेरी आंख इस भवन की ओर अर्थात इसी स्थान की ओर जिसके विषय तू ने कहा है, कि मेरा नाम वहां रहेगा, रात दिन खुली रहें: और जो प्रार्थना तेरा दास इस स्थान की ओर करे, उसे तू सुन ले। 
1 Kings 8:30 और तू अपने दास, और अपनी प्रजा इस्राएल की प्रार्थना जिस को वे इस स्थान की ओर गिड़गिड़ा के करें उसे सुनना, वरन स्वर्ग में से जो तेरा निवासस्थान है सुन लेना, और सुनकर क्षमा करना।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 34-36