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रविवार, 10 मई 2015

समय


   जब मैं पास्टर का कार्य कर रहा था तब मुझे कई माताओं के मध्य सेवकाई के अवसर मिले। मैं उनके पास अस्पतालों में गया और उनके नवजात शिशुओं के लिए उनके साथ आनन्दित हुआ। मैं उनके घरों में गया और बच्चों की अनाज्ञाकारिता के कारण व्याकुल और चिंतित महिलाओं को समझाया, मार्गदर्शन प्रदान किया, उन्हें आश्वस्त किया कि परमेश्वर उनके बलवाई बच्चों का भी ध्यान रखे हुए है। मैं उन माताओं के साथ भी खड़ा होकर दुखी हुआ जिनके बच्चे बीमार या घायल थे और मैं उन माताओं के दुख में उनके साथ दुखी होकर रोया भी जब उनके बच्चे किसी कारण इस संसार से जाते रहे।

   प्रभु यीशु की माता मरियम भी आनन्द और शोक के समयों से होकर निकली थी। उन्हें कितना आनन्द हुआ होगा जब मसीह यीशु का जन्म हुआ (लूका 2:7)। वो कितनी उत्साहित हुई होगी जब चरवाहे और फिर पूर्व देश के ज्ञानी प्रभु को देखने और दण्डवत करने आए (लूका 2:8-20; मत्ती 2:1-12)। उन्हें कितनी बेचैनी हुई होगी जब शिमौन ने भविष्यवाणी करी कि उसका दिल दुख की तलवार से छेदा जाएगा (लूका 2:35); और उसके लिए कितना हृदय-विदारक रहा होगा जब उन्होंने अपने बेटे को क्रूस पर लटके और मरते हुए देखा होगा (यूहन्ना 19:25-30)। लेकिन मरियम के लिए ये भिन्न समय उनके पुत्र की मृत्यु के भयानक दृश्य के साथ समाप्त नहीं हो गए; जब प्रभु यीशु मृतकों में से जीवित हो उठा, तब उनके लिए अभूतपूर्व आनन्द का समय भी आया।

   ने केवल माताएं, वरन हम सब अपने जीवन काल में अनेक प्रकार के आनन्द तथा दुख के समयों से होकर निकलते हैं; लेकिन जब हम अपने जीवन को प्रभु यीशु के हाथ में समर्पित कर देते हैं तो हमारे हर प्रकार के समय उसकी महिमा तथा उसके अनन्त उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उपयोग हो सकते हैं। - हर्ब वैन्डर लुग्ट


माँ होना परमेश्वर के साथ एक पवित्र ज़िम्मेदारी निभाने की सहभागिता है।

हर एक बात का एक अवसर और प्रत्येक काम का, जो आकाश के नीचे होता है, एक समय है। - सभोपदेशक 3:1

बाइबल पाठ: लूका 2:6-35
Luke 2:6 उन के वहां रहते हुए उसके जनने के दिन पूरे हुए। 
Luke 2:7 और वह अपना पहिलौठा पुत्र जनी और उसे कपड़े में लपेटकर चरनी में रखा: क्योंकि उन के लिये सराय में जगह न थी। 
Luke 2:25 और देखो, यरूशलेम में शमौन नाम एक मनुष्य था, और वह मनुष्य धर्मी और भक्त था; और इस्राएल की शान्‍ति की बाट जोह रहा था, और पवित्र आत्मा उस पर था। 
Luke 2:26 और पवित्र आत्मा से उसको चितावनी हुई थी, कि जब तक तू प्रभु के मसीह को देख ने लेगा, तक तक मृत्यु को न देखेगा। 
Luke 2:27 और वह आत्मा के सिखाने से मन्दिर में आया; और जब माता-पिता उस बालक यीशु को भीतर लाए, कि उसके लिये व्यवस्था की रीति के अनुसार करें। 
Luke 2:28 तो उसने उसे अपनी गोद में लिया और परमेश्वर का धन्यवाद कर के कहा, 
Luke 2:29 हे स्‍वामी, अब तू अपने दास को अपने वचन के अनुसार शान्‍ति से विदा करता है। 
Luke 2:30 क्योंकि मेरी आंखो ने तेरे उद्धार को देख लिया है। 
Luke 2:31 जिसे तू ने सब देशों के लोगों के साम्हने तैयार किया है। 
Luke 2:32 कि वह अन्य जातियों को प्रकाश देने के लिये ज्योति, और तेरे निज लोग इस्राएल की महिमा हो। 
Luke 2:33 और उसका पिता और उस की माता इन बातों से जो उसके विषय में कही जाती थीं, आश्चर्य करते थे। 
Luke 2:34 तब शमौन ने उन को आशीष देकर, उस की माता मरियम से कहा; देख, वह तो इस्राएल में बहुतों के गिरने, और उठने के लिये, और एक ऐसा चिन्ह होने के लिये ठहराया गया है, जिस के विरोध में बातें की जाएगीं 
Luke 2:35 वरन तेरा प्राण भी तलवार से वार पार छिद जाएगा-- इस से बहुत हृदयों के विचार प्रगट होंगे।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 राजा 10-12
  • यूहन्ना 1:29-51


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