ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

गुरुवार, 13 अगस्त 2015

नीची नज़र


   मेरी आँख का एक छोटा ऑपरेशन होने के बाद नर्स ने मुझ से कहा, "दो सपताह तक नज़र नीचे करके मत देखना। तब तक कोई खाना नहीं पकाना और कोई सफाई नहीं करना।" ऑपरेशन के बाद लगे टांकों को भरने के लिए समय चाहिए था, जिस दौरान उन पर कोई ज़ोर नहीं आना था, इसीलिए नर्स ने मुझे ये निर्देश दिए। उन निर्देशों के दूसरे भाग का पालन करना तो आसान था, किंतु पहले भाग का पालन कुछ कठिन था।

   प्रसिद्ध लेखक सी. एस. ल्यूईस ने अपनी पुस्तक Mere Christianity में एक अन्य प्रकार की नीची नज़र के बारे में लिखा, जिसके कारण भी लोगों को परेशानी होती है। उन्होंने कहा, "परमेश्वर में हम एक ऐसी हस्ती के समक्ष आते हैं जो हर बात में, हर रीति से, अपने प्रत्येक विचार में, हम से असीम श्रेष्ठ है...जब तक घमण्ड आपके अन्दर है, आप परमेश्वर को नहीं जान सकते। एक घमण्डी व्यक्ति सदा दूसरों को नीची नज़रों से देखता है, और जब तक नज़र नीची रहेगी आप अपने से ऊपर का कुछ भी देख नहीं सकेंगे।"

   प्रभु यीशु ने, परमेश्वर के मन्दिर में खड़े एक फरीसी (धर्मगुरु) के व्यवहार के दृष्टांत द्वारा यही बात समझाई (लूका 18:9-14)। उस फरीसी को अपने धर्मी होने का घमण्ड था, मन्दिर में खड़ा होकर वह प्रार्थना कर रहा था और उसका घमण्ड उसकी प्रार्थना से प्रकट हो रहा था - उसने परमेश्वर का धन्यवाद किया कि वह अन्य लोगों के समान नहीं था; उसने अन्धेर करने वालों, अन्यायियों, व्यभिचारियों और पास ही खड़े प्रार्थना कर रहे एक महसूल लेने वाले को नीच दृष्टि से देखा और अपने आप को परमेश्वर के समक्ष उन से उत्तम प्रस्तुत किया। इसकी तुलना में उस महसूल लेने वाले ने स्वीकार किया कि वह पापी है और परमेश्वर से क्षमा और दया की प्रार्थना करी। प्रभु यीशु ने बताया कि उस मन्दिर में वह फरीसी नहीं वरन वह महसूल लेने वाला धर्मी ठहराया गया।

   घमण्ड हम सब के लिए एक समस्या हो सकता है। ना हो कि हम दूसरों को नीची नज़रों से देखें, वरन हम सदा परमेश्वर के सम्मुख अपनी नज़रें नीची रखें, अपने मन नम्र बनाए रखें। - ऐनी सेटास


आत्मिक घमण्ड सब प्रकार के घमण्डों से बढ़कर विनाशकारी होता है।

क्योंकि मैं उस अनुग्रह के कारण जो मुझ को मिला है, तुम में से हर एक से कहता हूं, कि जैसा समझना चाहिए, उस से बढ़कर कोई भी अपने आप को न समझे पर जैसा परमेश्वर ने हर एक को परिमाण के अनुसार बांट दिया है, वैसा ही सुबुद्धि के साथ अपने को समझे। - रोमियों 12:3

बाइबल पाठ: लूका 18:9-14
Luke 18:9 और उसने कितनो से जो अपने ऊपर भरोसा रखते थे, कि हम धर्मी हैं, और औरों को तुच्‍छ जानते थे, यह दृष्‍टान्‍त कहा। 
Luke 18:10 कि दो मनुष्य मन्दिर में प्रार्थना करने के लिये गए; एक फरीसी था और दूसरा चुंगी लेने वाला। 
Luke 18:11 फरीसी खड़ा हो कर अपने मन में यों प्रार्थना करने लगा, कि हे परमेश्वर, मैं तेरा धन्यवाद करता हूं, कि मैं और मनुष्यों की नाईं अन्‍धेर करने वाला, अन्यायी और व्यभिचारी नहीं, और न इस चुंगी लेने वाले के समान हूं। 
Luke 18:12 मैं सप्‍ताह में दो बार उपवास करता हूं; मैं अपनी सब कमाई का दसवां अंश भी देता हूं। 
Luke 18:13 परन्तु चुंगी लेने वाले ने दूर खड़े हो कर, स्वर्ग की ओर आंखें उठाना भी न चाहा, वरन अपनी छाती पीट-पीटकर कहा; हे परमेश्वर मुझ पापी पर दया कर। 
Luke 18:14 मैं तुम से कहता हूं, कि वह दूसरा नहीं; परन्तु यही मनुष्य धर्मी ठहराया जा कर अपने घर गया; क्योंकि जो कोई अपने आप को बड़ा बनाएगा, वह छोटा किया जाएगा; और जो अपने आप को छोटा बनाएगा, वह बड़ा किया जाएगा।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 87-88
  • रोमियों 13


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें