ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

बुधवार, 26 अगस्त 2015

सहारा


   पिछली गर्मियों में जब मेरेलिन ने एक वर्क्ष का पौधा लगाया तो उसके सामने यह प्रश्न था - पौधे को सहारा दिया जाए या ना दिया जाए? जिस से उसने पौधा खरीदा था, उस विक्रेता ने मेरेलिन को कहा था कि, "एक वर्ष तक इस पौधे को सहारा दिए रखिए जिससे वह तेज़ हवाओं को झेल सके, फिर उस सहारे को हटा दीजिए जिस से उसकी जड़ें गहरी और मज़बूत हो जाएं और उसे थामे रहें।" लेकिन मेरेलिन के एक पड़ौसी ने उसे सलाह दी कि "कोई सहारा ना लगाए जिस से वह पौधा आरंभ से ही गहरी और मज़बूत जड़ों वाला हो, वरना बड़ा होने और पूरा पेड़ बनने में उसकी जड़ें कमज़ोर रह जाएंगी। सहारा नहीं देना दीर्घ-कालीन स्वास्थ्य के लिए बेहतर होगा।"

   रिश्तों के पनपने में भी हम इसी प्रश्न को लेकर चिंतित होते हैं। यदि हमारा कोई प्रीय अपने आप को किसी परेशानी में डाल लेता है, तब क्या हमें उसे उस परेशानी से निकालने के द्वारा उसे सहारा देना चाहिए, या फिर उसे अपने किए के परिणाम भुगतने के द्वारा स्वयं को मज़बूत बनने देना चाहिए, अपनी "जड़ें गहरी" करने देना चाहिए? उस व्यक्ति के दीर्घ-कालीन स्वास्थ्य के लिए जो बेहतर हो वही हमें करना चाहिए। परमेश्वर के वचन बाइबल में नीतिवचन नामक पुस्तक के 19 अध्याय में हमें दोनों ही प्रकार के विचार मिलते हैं - हमें दया के साथ सहायता करनी चाहिए (पद 17), परन्तु ऐसा करने से खतरा भी है क्योंकि इसे बारंबार करने की आवश्यकता भी हो सकती है (पद 19)। ऐसे में सही बात को करने के लिए हमें हमारी अपनी समझ-बूझ से बढ़कर बुद्धिमता की आवश्यकता होती है।

   इसीलिए परमेश्वर ने हमें अपने ऊपर ही नहीं छोड़ दिया है। हम जब भी उससे बुद्धि माँगेंगे, उसका आश्वासन है कि वह हमें बुद्धि देगा (याकूब 1:5)। जब हम परमेश्वर को अपना सहारा बना लेते हैं, वह हमें मज़बूती प्रदान करता है और हमारी जड़ों को गहरा करता है। - ऐनी सेटास


सही बुद्धिमता संसार को परमेश्वर के दृष्टिकोण से देखने में है।

पर यदि तुम में से किसी को बुद्धि की घटी हो, तो परमेश्वर से मांगे, जो बिना उलाहना दिए सब को उदारता से देता है; और उसको दी जाएगी। - याकूब 1:5

बाइबल पाठ: नीतिवचन 19:15-25
Proverbs 19:15 आलस से भारी नींद आ जाती है, और जो प्राणी ढिलाई से काम करता, वह भूखा ही रहता है। 
Proverbs 19:16 जो आज्ञा को मानता, वह अपने प्राण की रक्षा करता है, परन्तु जो अपने चाल चलन के विषय में निश्चिन्त रहता है, वह मर जाता है। 
Proverbs 19:17 जो कंगाल पर अनुग्रह करता है, वह यहोवा को उधार देता है, और वह अपने इस काम का प्रतिफल पाएगा। 
Proverbs 19:18 जब तक आशा है तो अपने पुत्र को ताड़ना कर, जान बूझ कर उसको मार न डाल। 
Proverbs 19:19 जो बड़ा क्रोधी है, उसे दण्ड उठाने दे; क्योंकि यदि तू उसे बचाए, तो बारंबार बचाना पड़ेगा। 
Proverbs 19:20 सम्मति को सुन ले, और शिक्षा को ग्रहण कर, कि तू अन्तकाल में बुद्धिमान ठहरे। 
Proverbs 19:21 मनुष्य के मन में बहुत सी कल्पनाएं होती हैं, परन्तु जो युक्ति यहोवा करता है, वही स्थिर रहती है। 
Proverbs 19:22 मनुष्य कृपा करने के अनुसार चाहने योग्य होता है, और निर्धन जन झूठ बोलने वाले से उत्तम है। 
Proverbs 19:23 यहोवा का भय मानने से जीवन बढ़ता है; और उसका भय मानने वाला ठिकाना पा कर सुखी रहता है; उस पर विपत्ती नहीं पड़ने की। 
Proverbs 19:24 आलसी अपना हाथ थाली में डालता है, परन्तु अपने मुंह तक कौर नहीं उठाता। 
Proverbs 19:25 ठट्ठा करने वाले को मार, इस से भोला मनुष्य समझदार हो जाएगा; और समझ वाले को डांट, तब वह अधिक ज्ञान पाएगा।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 119:89-176
  • 1 कुरिन्थियों 8