ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

शनिवार, 10 अक्तूबर 2015

गवाह


   अपनी किशोरावस्था में मैंने एक वाहन दुर्घटना देखी। अपने आप में यही एक स्तब्ध कर देने वाला अनुभव था, लेकिन जो कुछ इसके बाद हुआ वह इससे भी अधिक परेशान कर देने वाला था। क्योंकि उस दुर्घटना का मैं ही एक मात्र गवाह था, इसलिए कुछ महीनों तक मुझे बार बार पुलिस, वकीलों और बीमा कंपनियों के प्रतिनिधियों को उस दुर्घटना का विवरण देना पड़ा। उन्हें मुझ से उस दुर्घटना के घटित होने के पीछे के कारण या उस दुर्घटना से उत्पन्न हुई चिकित्सा संबंधित बातों पर मेरी राय अथवा टिप्पणी नहीं चाहिए थी, उन्हें केवल जो मैंने होते देखा उसका ही विवरण चाहिए था।

   प्रभु यीशु के अनुयायी होने के नाते हमें संसार के सामने वह रखना है जो हमने अपने जीवनों में प्रभु यीशु के द्वारा होते देखा या अनुभव किया है। लोगों को प्रभु यीशु की ओर प्रेरित करने के लिए आवश्यक नहीं कि हम उनके सभी प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर देने पाएं या धर्मविज्ञान को समझाने पाएं। जो हमें करना है वह इतना ही है कि हम प्रभु यीशु के क्रूस और पुनरुत्थान के कारण हमारे जीवन में जो कुछ हुआ उसे लोगों को बताएं। इसमें सब से अच्छी बात यह है कि ऐसा करने के लिए हमें अपनी किसी क्षमता पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं है; हमारे गवाह होने के लिए प्रभु यीशु ने हमारे लिए एक सहायक नियुक्त किया है: "परन्तु जब पवित्र आत्मा तुम पर आएगा तब तुम सामर्थ पाओगे; और यरूशलेम और सारे यहूदिया और सामरिया में, और पृथ्वी की छोर तक मेरे गवाह होगे" (प्रेरितों 1:8)।

   हम जितना परमेश्वर के पवित्रात्मा के मार्गदर्शन और सामर्थ पर निर्भर होकर प्रभु यीशु के गवाह होने की अपनी ज़िम्मेदारी को निभाएंगे, उतने ही अधिक प्रभावी रीति से हम पाप से आहत संसार को पाप से राहत देने वाले प्रभु यीशु की ओर प्रेरित कर सकेंगे। प्रभु यीशु द्वारा हमारे बदले गए जीवनों की गवाही दूसरों के भी इस आशीष को पाने में उपयोगी हो जाएगी। - बिल क्राउडर


हमारी गवाही परमेश्वर द्वारा हमारे जीवन में हुए कार्यों का बताना ही है।

इसलिये तुम जा कर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्रआत्मा के नाम से बपतिस्मा दो। और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्‍त तक सदैव तुम्हारे संग हूं। मत्ती 28:19-20

बाइबल पाठ: प्रेरितों 1:1-9
Acts 1:1 हे थियुफिलुस, मैं ने पहिली पुस्तिका उन सब बातों के विषय में लिखी, जो यीशु ने आरम्भ में किया और करता और सिखाता रहा। 
Acts 1:2 उस दिन तक जब वह उन प्रेरितों को जिन्हें उसने चुना था, पवित्र आत्मा के द्वारा आज्ञा देकर ऊपर उठाया न गया। 
Acts 1:3 और उसने दु:ख उठाने के बाद बहुत से पड़े प्रमाणों से अपने आप को उन्हें जीवित दिखाया, और चालीस दिन तक वह उन्हें दिखाई देता रहा: और परमेश्वर के राज्य की बातें करता रहा। 
Acts 1:4 ओर उन से मिलकर उन्हें आज्ञा दी, कि यरूशलेम को न छोड़ो, परन्तु पिता की उस प्रतिज्ञा के पूरे होने की बाट जोहते रहो, जिस की चर्चा तुम मुझ से सुन चुके हो। 
Acts 1:5 क्योंकि यूहन्ना ने तो पानी में बपतिस्मा दिया है परन्तु थोड़े दिनों के बाद तुम पवित्रात्मा से बपतिस्मा पाओगे। 
Acts 1:6 सो उन्हों ने इकट्ठे हो कर उस से पूछा, कि हे प्रभु, क्या तू इसी समय इस्त्राएल को राज्य फेर देगा? 
Acts 1:7 उसने उन से कहा; उन समयों या कालों को जानना, जिन को पिता ने अपने ही अधिकार में रखा है, तुम्हारा काम नहीं। 
Acts 1:8 परन्तु जब पवित्र आत्मा तुम पर आएगा तब तुम सामर्थ पाओगे; और यरूशलेम और सारे यहूदिया और सामरिया में, और पृथ्वी की छोर तक मेरे गवाह होगे। 
Acts 1:9 यह कहकर वह उन के देखते देखते ऊपर उठा लिया गया; और बादल ने उसे उन की आंखों से छिपा लिया। 

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 34-36
  • कुलुस्सियों 2